गगन मुकी गिरनारयो, पुरवा करो पवन्न
अरक उगे तउं अन्न, जळ वरहे जो जोगडा,
हे भगवान सुर्य नारायण आजे वादळां बउ चड्यां छे पण पवन गिरनारी वाय छे, जो आप कृपा करी एने पुरव दीशा नो ओतराखंडी करो अनहद जळ वरहे अने मबलख अनाज उगी सके, अमारां आपने नीत्य वंदन छे,
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