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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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19 नवंबर 2017

जाडवा जुकी नित केछे रे रचना कीशोरदान सुरु

जाडवा जुकी नित केछे रे

(राग) माताजी कहे बीवे मारो

जाडवा जुलीने जुकी नित केछे रे नमे ई गमे नाथने रेजी

जाणवा जेवु छे जाडे। मन राखी माळे रे
एजी. द्रष्टीमा राखो दाडे दाडे रे नमेई गमे नाथने रेजी

शीतल आपेछे छांयो, आंगणे गमेते आयो रे
एजी. भेद भीतर कदी नव भाळ्यो रे नमेई गमे नाथने रेजी

उभा कोई अडीने आभे, मेरु सम मपाई ना वांभे
एजी. छता खलक सरखो छे एने खांभे रे नमेई गमे नाथने रेजी

खंत राखी हाडथी खीले, भावना ई सौनी जीले रे
एजी. रागद्वेश लवलेश नही दीले रे नमेई गमे नाथने रेजी

उंच नीच शुछे आमा, आडोने अवळो थामा रे
एजी कालजे कीशोर के रटय नीत रामा रे नमेई गमे नाथने रेजी

रचना कीशोरदान सुरु

17 नवंबर 2017

आवडमानो भाव रचना कीशोरदान सुरु

आवडमानो भाव

(राग) सुना समदरनी पाले

ए. आवडने आसरे जाये रे, जईने मा नमीये पाये रे
माथे ओढी भेड़ियो माडी, खबरु लेसे मात खमकारी रे
आवडमा अनंत उपकारी रे

ए. खलकमा ख्यात छे बानु रे, अटकाव्यो आभमा भानु रे
बांध्यो बाई लोबडी छेडे। वीर उगायोँ वीख विदारी रे
आवडमा अनंत उपकारी रे

ए. शोभे तेज टीलडी भाले रे,
आभा जाणे प्रसरी हाले रे
रमवा रास नीशरी अंबा, शोलशजी मा राज़ राजेश्वरी रे
आवडमा अनंत उपकारी रे

ए. दयाभरी दीलमा माजी रे, रेजे तु अमपर राज़ी रे
आजो छे  एक तीहारो समरता देजे साद सुखकारी रे
आवडमा अनंत उपकारी रे

ए. जनमी जग प्रसीध्ध मादानी रे
उजाळी नात कुल अवनी
रे
कीशोर भाव भावथी गावे, आपजे आशीष मात अविकारी रे
आवडमा अनंत उपकारी रे

रचना कीशोरदान सुरु

21 अक्टूबर 2017

शीव स्तुति रचना कीशोरदान सुरु

शीव स्तुति छंद सारसी

दोहो

शंकर हे समरथपती। वडा देव वीशेष
वंदा पांव विश्वेश्वर। हाथ जोडी हमेश

समरथपती ने सेवजो़। छे देवजो सवेॅश्वरा
प्रख्यात भोलो भोलपण से। प्रणत हे पालेश्वरा
ओ देवना तु देव अवधूत। जब्बर जटाधार छो
कैलास शीखर से नजर कर। धुजॅटी आधार छो

छो काल हुंदा काल शंकर। स्थान जाको मषान को
मुक्ती प्रदाता मलक माथे। आप सौ इनशान को
भुतप्रेत भाषे नीत पासे। हरेक नो हीतवार छो
कैलाश शिखर से नजर कर। धुजॅटी आधार छो

बडदेव दाता शरण जाता। शुभथाता क्षणिक मे
दुखथाय वेता नहीरेता। कहुएता अडीग रे
संसार स्वामी बहुनामी। वीपती हरनार छो
कैलास शीखर से नजर कर। धुजॅटी आधार छो

द्रष्टी परे ज्या महादेवा। सुख ऐवा सांपडे
जे चीत कदीना चेतव्यु। आफरडु आवी पडे
नबलु नीवारी नाखवु। ईमे आपता पुरवार छो
कैलाश शीखर से नजर कर। धुजॅटी आधार छो

पारवतीना पती प्यारा। नाथमारा हीयबसो
टालो उदासी दाशखाशी। बातसाची मानशो
कीशोर भावे गुण गावे। देव खरो दातार छो
कैलाश शीखर से नजर कर। धुजॅटी आधार छो

रचना कीशोरदान सुरु

18 अक्टूबर 2017

पीठडमा प्राणथी प्यारी रचना कीशोरदान सुरु

पीठडमा प्राणथी प्यारी
(राग) भजा तोय भेङीया वाङी

पीठडमा प्राणथी प्यारी, भारु पर भावना भारी

वेणले वेगे वछुटती आवे,दया खाशी दीलमाय
ऐ. लई टेको ई लाकडी तणो, छोरुनी करवा स्हाय
नवेखंड नामना न्यारी, पीठडमा प्राणथी प्यारी

दीपतो एवो चरखडो डुंगर, परचो पुरण खाश
ऐ. पत्थरा रुपी भेंसु परखाती, हाल भाषे आभाश
नजरे कौतुक नीहारी, पीठडमा प्राणथी प्यारी

शींगवडाना घाट पर शोभे, नाणावाली नो नेश
ऐ. आस्था राखी हालतो रेजे, बारणे एने बेश
राखे लाज राखववारी, पीठडमा प्राणथी प्यारी

चडे लाकड़ीये चांपडो एवु, पाटरामा परसीध्ध
ऐ. परचा पुरे कईक जनोने, वरदाली वीध वीध
नाशे पंड़्य दुख नीवारी, पीठडमा प्राणथी प्यारी

बाकुला धणेज तेज तु बोड़ा, पाच पहाडे पुजाय
ऐ. चारण कीशोर वीनवे चंडी, गुणला थारा गाय
पुरे हैये हाम सोयारी, पीठडमा प्राणथी प्यारी

रचना कीशोरदान सुरु

8 जून 2017

माेगल स्तुती रचना - कीशाेरदान सुरु

माेगल स्तुती(राग) पृथवी पाखंडे खाधी माढ

माेगल देव वडी छे दयाळ रे, पाये नमजाे एनी पाळ

अंतरनादे आवीरे उभी, बाेलने मारा बाप
जेम वाछरु माथे गाय वळुंभे अेम छाेरुनु हैये स्थान...माेगल..

बेलपे रहेजाे सदाये बाइ, वेलेरी सुणजाे वात
घटडामा रटणा अेकधारी, मारा अंतरनी अमीरात...माेगल...

मंगल मुतीँ छे मंगलकारी, सकलकला सुखधाम
काळ कदापी हाेइजाे काेपेल, काइ आवेन अेनु काम..माेगल..

जाणवावाळी जाणी लेशे, अंतर यामी आइ
शरणे जइने शीश नमावाे, केवु पडे नही काइ...माेगल....

वीध वीध रुपे वेदे वखाणी, घांघणीया कुळनी जाय
चरनकमल कीशाेर नीत सेवाे अेने भराेसे रहेजाे भाय..माेगल.

रचना कीशाेरदान सुरु

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