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6 फ़रवरी 2019

माडी तने वंदन हांसबाई मात चारण महात्मा पालु भगत

प्रातः स्मरणीय प.पु.आई श्री हांसबाई मां (मोटा रतडिया मांडवी कच्छ)नो 91 मो जन्म महोत्सव वसंत पंचमी ता.10-02-2019 ना रोज उजवाशे ऐ निमिते चारण महात्मा पालु भगत ववार कच्छ हाले काळीपाट राजकोट रचेल ऐक रचना आपनी समक्ष मुकववानुं नानकडो प्रयास करेल छे.
               भजन
           --------------------
माडी तने वंदन हांसबाई मात....
वंदन हांसबाई मात, पवित्र देवी तुं प्रख्यात .... माडी
भलुं करवानी भावनाथी नोतरी आखी नात ;
हूंफ, आशिष ने हिंमत आपे, हैयामां हरखात ... 1
अपलखण ने आळस ईर्षाना जगतमां उत्पात ;
ऐनुं निवारण करवा आई तुं मथे दिवस रात ... 2
चींधे छोरुने चूको न चीलो, किये वालप साथे वात ;
सुमति राखशो तो सुखी थाशो, जाळवी राखजो जात ... 3
श्रद्धा, विश्वास ने राखे सबूपूरी तो दर्शनथी दुःख जात ;
सदा कृपाळु शिवने सेवे, भवनी टाळे
भ्रांत ... 4

.              दोहा
हां गीता का तत्त्व है, स शास्त्र का सार
बाधा हर हर भजन ते ईश्वर के आधार

रचियता :- चारण महात्मा पालु भगत ववार कच्छ हाले काळीपाट राजकोट

टाईप बाय :- www.charanisahity.in

संदर्भ :- आईश्री हांसबाई मां गुणगाथा पुस्तक मांथी


वसंत पंचमी सुधी रोज हांसबाई मांनी विविध कविओ रचेल रचनाओ आपनी  समक्ष मुकवानो नानकडो प्रयास करीश.

आवतीकाले कवि अनुभा  नी रचना

गोत्र नराने गात तात नाराण तपेश्वर

      वंदे सोनल मातरम् 


23 अगस्त 2016

|| कवित || रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत

.               || कवित ||

        रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत

राग जग त्यागे, अनुरागको आराधे नित,
जाग जाग सोचे, वैराग ज्ञान बढे हम.

नाक काट नारी के, नाक ही को काट कर,
नाक वास आस त्यागे, वाक वाक गढे हम,

चारन की जननी के, पयकी खमीरता को,
सत्य दिखलावे, कलीकाल हुं से लढे हम,

"पालु" भनंत मित्र, हरि कृपा हरि हुकी,
सत संग मढे नित्य, रामायन पढे हम.

रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत (ववार-कच्छ) हाले काळीपाट-राजकोट

संदर्भ :- श्री सुबोध बावनी मांथी पाना नं-125 पर थी

टाईप :- www.charanisahity.in

30 मार्च 2016

मनवा दो दीन का महेमान रचना :- चारण महात्माश्री पालु भगत

.          मनवा दो दीन का महेमान
.          ढाळ :- भाई तुं तो भजी ले ने किरतार
.         रचना :- चारण महात्माश्री पालु भगत
मनवा दो दीन का महेमान, दो दीन का महेमान,
छोड कपट आलस अंतर से, भजी ले तुं भगवान,
              मनवा दो दीन का महेमान.... टेक
बडे बडे राजा महाराजा, बहु सेना बलवान,
चले गये काल चककरमें (2), रहा न नाम निशान,
                मनवा दो दीन का महेमान...1
महिषासुर हिरणाकंस रावण, आभ अडयो अभीमान,
सुर नर दानव जीत लीये सो(2), हो गये सपन समान,
                     मनवा दो दीन का महेमान...2
तनका मनका भरा भवनका, मत कीजे अभीमान,
कल न परत छन ऐक पलक की(2), कब छुट जावे प्रान,
                    मनवा दो दीन का महेमान...3
चला चली आदी से चलती, जल थल सकल जहान,
"पालु" भजन कर अवसर पायो (2), भावाधिन भगवान,
                     मनवा दो दीन का महेमान...4
रचना :- चारण महात्माश्री पालु भगत- ववार कच्छ हाले काळीपाट राजकोट
संदर्भ :- श्री सुबोध बावनी मांथी
       वंदे सोनल मातरम् 

6 मार्च 2016

अविलंब शंकर आवजो रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत

.         अविलंब शंकर आवजो
.                दुहो
.  रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत
शिव कृपाल समरथ सदा, मुदा हेत महादेव,
वंदा पाव उमदा प्रभु, प्रदा भकती अभयेव.
.                छंद : हरिगीत
मद दोष गंजन भक्त रंजन, कृपा अंजन कर कृपा,
हे भीड भंजन तु नीरंजन, आत्मा अजपा जपा,
विश्वेस हे सर्वेस निर्मल, नाथ नीत अपनावजे,
संभाळ लेवाने सदा, अविलंब शंकर आवजे.
            अविलंब शंकर आवजे....(टेक)...1
मंथन हतु दरिया तणु, रत्नो घणा जडता हता,
बे बाकळा देवो बिचारा, झेरथी बळता हता,
जीवन बचाव्यु जीरव्यु, विख धरण नेह वहावजे.
                संभाळ लेवाने सदा...2
आ देह पांचे भूतनु, तुं भूतनो पण नाथ छे,
भ्रम तुत आखो तोडवा, अवधुत तुं समराथ छे,
अटपट्टी आंटी गुंटीयुं, छळ कपटथी छोडावजे.
              संभाळ लेवाने सदा...3
पोते करेला पापथी, भवमांय भोगववु पड्युं,
जन्मो जनम ना कर्मने, नथी जाणता के शुं नडयुं,
अवळु बधु सवळु करी, नबळु निवारी नाखजे.
            संभाळ लेवाने सदा...4
पुन्यो हतां के पाप सुख दुःख, सामटा संसार मां,
वळि लाभ के हानी थती, आ विश्वना वहेवार मां,
अकुपार भवसागर भयंकर, बुडता ने बचावजे.
              संभाळ लेवाने सदा...5
बलवान बंधन मोह मां, ज्या जीव सौ जकडाय छे,
केवुं गजुं माया गजब, ब्रह्माय भुली जाय छे,
लोभामणा दळ लोढमांथी, नाव कांठे लावजे.
                संभाळ लेवाने सदा...6
अरजी सुणी अंतर तणी, अविनाश व्हेलो आवजे,
समराथ श्वासे श्वासमां, विश्वास शुध्ध वहावजे,
बस आस ऐकज खास तारी, पास वास वसावजे.
                संभाळ लेवाने सदा...7
सरूवर तरुवर गिरिवरे, जड पवनमां परकासमां,
सचरा अचरमां सर्वमां, अवकासमां आभासमां,
"पालु" कहे रहेजे प्रसन्न, दिदारने दरसावजे.
                  संभाळ लेवाने सदा...8
रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत
श्री सुबोध बावनी मांथी
टाईप बाय :- www.charanisahity.in
      हर हर महादेव 
     वंदे सोनल मातरम्  

5 मार्च 2016

शंकर अघ हर स्हाय करे रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत

.        शंकर अघ हर स्हाय करे
.        छंद :- रेणंकी - अधरोष्ट
.     रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत
घट घट गती उलट सुलट कट संकट, झट झट हट अग्यान हटे,
नट खट नट नीकट हटक वृती खट नट, तट गट सीकर सरीत तटे,
रट रट रस घटक चटक ध्यावत चित्त, विकट कटक जुट कष्ट हरे,
जय जय शिर गंग जटाधर जडधर, शंकर अघहर स्हाय करे.
              जीय शंकर अघहर स्हाय करे...1
नीरखत जग नृत्य करत गती अविगत, अविरत रत हरी रस रटनंग,
लटकत गल नाग झेर जल घटकत, अटकत जटकत द्रग अटनंग,
विहरत कैलाश वास अविनासी, नीत नीत हित चित्त नजर धरे,
             जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...2
वन वन वन नुतन व्यसन सुध्ध विचरन, चरन द्युली सुर द्रगन चहे,
दिन दिन उर ध्यान नेह दिनन तन, नैनन नीज जन लगन लहे,
अन धन तन अरुज ग्यान दानी धन, वर्षन हर्षन को विचरे,
            जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...3
सर सर हर वास चराचर डुंगर, गीरिवर कंदर सहज सजे,
कर वर धर सुल शुल हर शंकर, अडर काल डर सदा अजे,
निरजर निरवान नाथ नहि अंतर, सदा स्वतंतर ता विचरे,
             जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...4
अलीखीत गती अनत वेद नीत वंदत, सत वृत सुद्यकृत उन्नत रती,
उधरत जो रहत शरन रत संतत, गहत लहत जीय चहत गती,
चारन सुत वंदत तेही संतत, करुणा कर वर नजर करे,
            जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...5
कर तल नीत नाथ कुशल जल थल वल, हलचल उज्वल अचल चीतह,
औढर उर नेह सदा शिव शंकर, खट खल दल दल दील वीरतह,
द्यरीये शीर वरद हस्त वीश्वेश्वर अर्ध "अर्ध पालु" कवि उच्चरे,
           जय जय शिर गंग जटाधर जडधर...6
श्री सुबोध बावनी मांथी पाना नंबर :- 103 पर थी
रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत (ववार कच्छ) हाले काळीपाट-राजकोट
टाईप बाय :- www.charanisahity.in
       हर हर महादेव 
      वंदे सोनल मातरम्  

4 मार्च 2016

कवित - चारण महात्मा श्री पालु भगत

कवित( 2 )
मान अपमान नांहि, मद अभिमान नांहि,
पाप से पिछान नांहि, आत्मा उदार है.
कामना न झंखना न,  शंखना न काऊ हु मे,
लिखना सदैव  सत्य, वृती तदाकार है.
शोच हे न संग हे न,  राग हे न रंग हे न,
भ्रम हे न भंग हे न, गुन के आगार है.
'पालु' मन रंच हु, प्रपंच को न लेश जामे,
नमस्कार  नमस्कार,  ताहि नमस्कार है.
:- भावार्थ:- ( मान के अपमान,  मद के अभिमान अने पापथी जेने ओळखाण नथी. कामना, झंखना अने शंका कुशंका जेने जगत प्रत्ये छे नहि, जे सदा सत्य ने ज जूऐ छे. जेनी तदाकार ईश्वर मां वृत्ति छे.जेने राग के रंग भ्रमणा के भांगी पडवु जेनामां नथी. जेने निराशा नथी. गुणों ना जे सदन छे. जेना मनमां लेशमात्र प्रपंच नो प्रवेश नथी ऐवा संत ह्रदयने मारा वारंवार नमस्कार छे.)
(सुबोध बावनी)
( चारण महात्मा श्री पालु भगत// डायाभाई गढवी (मोटी खाखर))

17 फ़रवरी 2016

चारण महात्मा पालु भगत


आजे आपनी समक्ष चारण महात्मा पालु भगत (ववार-कच्छ) हाले काळीपाट- राजकोट वाळा नो आई श्री खीमश्री मां (मोटा भाड़िया)ना 73 मां प्रागट्य महोत्सव निमिते प्रवचन नो वीडियो अने ऑडियो मुकवानुं नानकडो प्रयास करेल छे.

वीडियो बाय :- कनैया स्टुडियो मोटा भाड़िया मांडवी कच्छ





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16 जनवरी 2016

कवित चारण महात्मा श्री पालु भगत

कवित (1)
शोक न हर्ष मोह,  आलय ना अंग हुको
लयमे सुखालय , सकल जग सारी है.
काउसे विरोध हे न , मन को निरोध किये ,
बोध हे अमित वृती , तदाकार धारी है.
काम हे न क्रोध हे न,  लोभ हे न क्षोभ हे न,
सुविध्या  सुनीतिवान , अविध्या विदारी है.
'पालु' अतोल गती ईश मे अडोल ध्यान,
ऐसे शुर संतन को,  वंदना हमारी  है ....
( चारण महात्मा श्री पालु भगत// डायाभाई गढवी (मोटी खाखर))

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