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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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6 सितंबर 2016

राम बिना सुख स्वपने नाहिं :- रचना:-थार्या भगत

राम बिना सुख स्वपने नाहिं, क्यों भूले गाफिल प्रानी रे.  टेक

धन यौवन बादल की छाया, देख देख तुं क्यों ललचाया.
माटी में मिल जावे काया, रहे न एक निशानी रे .… राम बीना…

उपदेश देवे सन्त सुजाना, थके पुकारी वेद पुराना.
किरतारने तुजे दियादो काना, अजहु रहे अञानी रे… राम बीना…

मिथुनाहारमग्नमतिमन्दा, और सार समजे ना अन्धा.
अपनी भूलसे आप हि बन्धा, पडे चोरासी खानी रे…राम बीना…

थार्यो कहे छोडदे आशा, जूठा है सब भोग विलासा.
दो दिनका ये देख तमासा, आखर है सब फानी रे.…      राम बीना …

रचना:-थार्या भगत
टाइप :- सामरा पी गढवी ना जय माताजी 🌻🙏🙏🙏🌻

27 अगस्त 2016

सोरठा (गोपीओनो संदेश) रचना :-रचना - थार्या भगत

सोरठा (गोपीओनो संदेश)

एक अमारो बोल, कहेजो ओधव कानने.
दई गयो अमने कोल, ते साचो कर सामळा.

बीजो नथी आधार, बेहाल बनी छु बावरी.
आवडी बधी ओशियार, शाने माटे सामळा.

त्रण लोकोनां ताज, गजब न करीए गोविंदा.
मारा अंतरनो अवाज, सांभळी लेने सामळा.

जींदगीनां दिन चार, जट पधारो जादवा.
विनवुं वारमवार, सामा आवो सामळा.

पंचमां जशे प्रतीत, जो अबळा अथडावशो.
रंक शुं आवी रीत, शोभे न तुंने सामळा.

छठीनां अवळा लेख, प्रियतम परदेशी बने.
दया नजर थी देख, शरणागत ने सामळा.

सत बोलुं छुं श्याम, प्राण न रहे पांजरमहीं.
पूरो हैयानी हाम, सूरत बतावी सामळा.

अरजी आठोय पोर, निठारा न बनो नाथजी.
जरा न हाले जोर, समरथ सामे सामळा.

नवा भरणा नेश, विठला वादळा वरसिया.
घनश्याम तारो वेश, सांभरे अमने सामळा.

दशे दिश जोउं वाट, दु:ख अति दामोदरा.
गोधन यमुना घाट, सूनां लागे सामळ

एकादशी उपवास, नहावुं गमे नहि नीरमां.
अति मळवानी आश, सतावे अमने सामळा.

बारे विरहनी आग, अंगार जरे अंतरमहिं.
जगपति हवे तो जाग, सूतो होय तो सामळा.

तेरो नाम नंदलाल, जपी अजामिल ओधर्यो.
अमारो भूल्या ख्याल, शा अपराधे सामळा.

चौदिश करूं निहार, ज नाथ अमारो आवशे.
पण अबळानो अवतार, शुं करवानुं सामळा.

शरत्पूनमनी रात, रडीये व्रजमां भामिनी.
कोने कहुं दु:खनी वात, सगो न कोई सामळा.

षोड आना संताप, तुज विण व्रजमां भूधरा.
थार्यो कहे पधारो आप, सुद्धि लेवाने सामळा.

रचना - थार्या भगत
टाइप - सामळा .पी. गढवी
9925548224

22 अगस्त 2016

शिव स्तुति - रचना :- थार्या भगत  (झरपरा)

शिव स्तुति
दोहा

हरकरूणा बिन दिशत नही, सब गुण धर कैलास.
सो योजन विस्तार वट, तहां शंकर करत निवास.

              छंद:-रणंकी
कर कर निवास शंकर समरथ, झर झर मुखमें तेज झरे.
खर खर गंग जटामें खरकत, भरर भभूति सुअंग भरे.
चरचित चंदन गंध समीरे, मधुकर वृंद गुजारत है.
शोभित शिव कैलास शिखरपर, अजर अमर बिराजत है.    १

वाघचर्म वस्तर अतिशोभित, चम चम भाल शशी चमके.
लरलर गले भुजंगम लरकत, ठणण श्रवण कुंडळ ठमके
गौरवदन पर जूल लटाक, अनंग अनेक लजावत है.
शोभित शिव कैलास शिखर पर, अजर अमर बिराजत है.    २

त्रेंक त्रेंक शंखरव शणणण, डिम डिम डिम डमरूक बजे.
धिनक धिनक तबलध्वनि बाजत, गणण गणण दशदिग्गरजे.
किन्नर चारण गावत गुण गण, अजब अप्सरा नाचत है.
शोभित शिव कैलास शिखर पर, अजर अमर बिराजत है.    ३

पद पदमासनको हि जमावत, बढ अष्टांग हीयोग बढे.
संकर सेज स्वरूप संभारत, सर सर सुखद समाधि चढे.
विगत करत युग कोटी हजारो, धीरे प्राण उतारत है.
शोभित शिव कैलास शिखर पर, अजर अमर बिराजत है.   ४

नाग नर देवा कर पद सेवा, धर धर योगी ध्यान धरे.
अनंत अजन्मा एक अनुपम, डर डर आगे काल डरे.
अष्टसिद्धि नवनिधि कर जोड, हमेश हुकम पर चालत है.
शोभित शिव कैलास शिखर पर, अजर अमर बिराजत है.   ५

कर महेर देवाधिप मुजपर, हर हर मेरे दोष हरो.
भवसागर बूडत है नैया, धर कर बेगसे पार करो.
अविचल वास दियो चरनोंमें, थार्यो ए वर मागत है.
शोभित शिव कैलास शिखर पर, अजर अमर बिराजत है.  ६

रचना :- थार्या भगत  (झरपरा)
टाइप :- सामळा .पी. गढवी ना जय माताजी
मो :- 9925548224
भुल चुक क्षमा
🌹🙏🙏🙏🌹

3 जुलाई 2016

राम बिना सुख स्वपने नाहिं,

राम बिना सुख स्वपने नाहिं, क्यों भूले गाफिल प्राणी रे.  टेक

धन जोबन बादल की छाया, देख देख के क्यों ललचाया.
माटी में मिल जावे काया, रहे न एक निशानी रे .… राम बीना…

उपदेश देवे संत सुजाना, थके पुकारी वेद पुराना.
किरतारने  दिया दो काना, अजहु रहे अज्ञानी रे… राम बीना…

मैथुन आहर मे मग्न मति मंदा,  सार असार समजे नही अंधा.
आपकी भुलसे आप हि बंधा, पडे चोरासी खानी रे…राम बीना…

थार्यो कहे छोड दे आशा, जूठा है सब भोग विलासा.
दो दिनका  देख तमासा, आखीर है सब फानी रे.…      राम बीना …

19 मार्च 2016

किस देश वसे प्रितम मेरा रचना :- थार्या भगत

किस देश वसे प्रितम मेरा, कहो पवनदेव प्यारा.  टेक
दशे दिशा तुं आचे जावे, दामोदर कयों न दिखावे.
संग न लावे न पाती बतावे, मेरा अंतर जरे अंगारा.    १
निश्र्चें देख आये नाथको, बेपरवा भया भारी.
ॐकार ध्वनि अनहद उच्चारी, सब जग करे पसारा.   २
तुम देखा शेषकी शय्या तपासी, वैकुंठ होंगे अविनाशी.
मुजसे कब मिले सुखराशी, सोइ लावो समाचारा.         ३
थार्यो कहे शोधी लावो साही, मेरे दिलको धीरज नाही.
हजार वार पडुंमौं पाही, बतावो प्रभु का द्वारा.    ४

रचना :- थार्या भगत झरपरा-कच्छ

टाईप :- सामरा .पी. गढवी

26 दिसंबर 2015

रचना :- थार्या भगत

किस देश वसे प्रितम मेरा, कहो पवनदेव प्यारा.  टेक
दशे दिशा तुं आचे जावे, दामोदर कयों न दिखावे.
संग न लावे न पाती बतावे, मेरा अंतर जरे अंगारा.    १
निश्र्चें देख आये नाथको, बेपरवा भया भारी.
ॐकार ध्वनि अनहद उच्चारी, सब जग करे पसारा.   २
तुम देखा शेषकी शय्या तपासी, वैकुंठ होंगे अविनाशी.
मुजसे कब मिले सुखराशी, सोइ लावो समाचारा.         ३
थार्यो कहे शोधी लावो साही, मेरे दिलको धीरज नाही.
हजार वार पडुंमौं पाही, बतावो प्रभु का द्वारा.    ४
रचना :- थार्या भगत
टाईप :- सामरा .पी. गढवी ना

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