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27 फ़रवरी 2019
चारण संत प.पू.ब्रह्मलिन श्री निरंजन बापुनी 11 मी निर्वाण निर्वाण तिथी
25 फ़रवरी 2019
|| सूर्यवंदना छप्पय || || कर्ता मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||
*||रचना : सूर्यवंदना ||*
*|| कर्ता :मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
*|| छंद : वीर छप्पय ||*
*अधिपत्य अवकाश,अतितं तृठी अजायब,*
*अधिपत्य अवकाश,नवोधर अंश कु नायब,*
*अधिपत्य अवकाश,कर्म अर्धांगिय किन्ना*
*अधिपत्य अवकाश,छाव तप संज्ञा छिन्ना*
*प्रथमी प्रमाण सह परखियो,अळ अधिपत्य असवारको*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,सुध मित नमे सतकार को*
*अजय देव अखिलज्ञ,उग्र वसु अवनीत अमरा,*
*अजय देव अखिलज्ञ,तात यम जीवतर तमरा,*
*अजय देव अखिलज्ञ,विवस्वत शनि चकित वीर,*
*अजय देव अखिलज्ञ,भजु अमरेश तरुण भीर,*
*जय नरेशआभ जगदीश्वरं,सुर सकळ ज्ञान सुविचार है,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,सुज प्रसन्न मित शणगार है,*
*नरंद नभे नाराण,तमस्सा तारण तप्पे,*
*नरंद नभे नाराण,अमस्या रूप न अप्पे,*
*नरंद नभे नाराण,गिरी जल तुज बल गरजे,*
*नरंद नभे नाराण,धीर धरती पर धरजे,*
*सर्वेस्वर प्रथम तु सर्वमें,पूजन गुणपत प्रात,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,घटी सकल मित घात,*
*गरवो गगन गढ़वीर,धरातल पर पद धरतो,*
*गरवो गगन गढवीर,नयन हर बाल निखरतो,*
*गरवो गगन गढ़वीर,महाबल तेज मनन मढ़,*
*गरवो गगन गढवीर,गजावत सृस्टि तणो गढ़,*
*रह राय साय हथियार राण तु,बाण किरण परमाण बणावे,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,जग कथे नमन मित आप जणावे*
*कश्यप नंदन कथु,छाव तुज पौत्र परे छत,*
*कश्यप नंदन कथु,धरा पर माँ कज थ्या धत,*
*कश्यप नंदन कथु,लळी पड़ता जे धर लहु,*
*कश्यप नंदन कथु,संकटा निरख रड़े सहु,*
*कश्यपसुत किरपा करो,तपो पाक धर तापजे,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अजवास मित धर आपजे*
*दिग्ध काल दूडीयंद,जकड वा सर भरेय जल,*
*दिग्ध काल दुडीयंद,पकड पा अग्नि धरे पल,*
*दिग्ध काल दुडीयंद,श्वास तप मिश्र समायो,*
*दिग्ध काल दूडीयंद,आस धर चलण अपायो*
*धर पंच तत्व पाताल धरा,सुर अखिल जीव सजावियो*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,गण जसमित तव नित गावियो*
*जगत आत्म जगदीश,चराचर आत्म चलावण,*
*जगत आत्म जगदीश,आत्म परब्रह्म अपावण,*
*जगत आत्म जगदीश,आर्य वंशा तुज आतम,*
*जगत आत्म जगदीश,सृस्टि आतम तुज गौ सम*
*आदि अनाद त्रय काल अरक,हर सकल आत्म कल्याण हो*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,पर आत्म मित परमाण हो*
हे सूर्य नारायण देव,जगत ना ईश्वर आ सकळ जग जेनाथी चाले छे,जेना द्वारा समग्र सृस्टि मा जीव पूरे छे,हवा,पाणी,अग्नि जेना थकी उद्भवी एवा आ समस्त चराचर नो आत्मा तू छो,सजीव ना जीवन थी मृत्यु तु जीव नो सार तत्व तुज परमब्रह्मदेव छो,आर्य तमने एमना सर्वस्व देव तरीके पूजता,पोताना स्वभाव प्रकृति थी तमो जीव ने जे जीवडो छो,हे देव तमे आ सृस्टि ना नैत्र समान छो,एवा आदि अनादि देव जे त्रणलोक ना कल्याण नो मूळभूत पायो छे एवा देव ने मारा नित्य प्रणाम,
*मृग नैणो मिहिराण,चपळ हर प्रहर विहर नर,*
*मृग नैणो मिहिराण,तहर जर जर भर सुरवर,*
*मृग नैणो मिहिराण,सखर तट पर अर अमर,*
*मृग नैणो मिहिराण,प्रखर विद गुणभर प्रवर,*
*मही बार मास महीराण तु,नमु विघ्न निवारक नाथने*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,पद धर्यो शबद मित प्रार्थने*
*स्त्रोत शिखर पर सज्ज,अखिल ब्रह्मांड उपायो,*
*स्त्रोत शिखर पर सज्ज,पुंज क्रियकांड पमायो,*
*स्त्रोत शिखर पर सज्ज,सप्त अश्वारथ शोभे,*
*स्त्रोत शिखर पर सज्ज,महिर पद मनोरथ मोभे,*
*गुण वंद गजोदर तुज गण्यो,प्रथम नाम परमेश हे*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अथ अखर मित अमरेश है*
(20-2-2019)
*यवन आप अजवाश,भाश भरमांड भगीरथ,*
*यवन आप अजवाश,गणे धर लोक आ गरथ,*
*यवन आप अजवाश,भये जल विष्म तमस भय,*
*यवन आप अजवाश,तले नभ छंड हले तय*
*अविनाश आप अवनीतसे,नवनीत मित मन न्याल हो*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,कर वंद यवन किरपाल हो*
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
23 फ़रवरी 2019
श्री अखिल कच्छ चारण सभा आयोजीत आई श्री सोनल मा प्रेरित समूह लग्न रजतजयंति महोत्सव-2019
|| सूर्यवंदना छप्पय || || कर्ता मितेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||
*||रचना : नित्य सूर्यवंदना ||*
*||कर्ता : मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
*||छंद : वीर छप्पय ||*
(3-2-2019)
*प्रत अळेय धर प्रगट,सुष्म किरणा पड़ सरपट,*
*प्रत अळेय धर प्रगट,झटक निज हस्तक झटपट,*
*प्रत अळेय धर प्रगट,निरंजन नवदिधित नुर,*
*प्रत अळेय धर प्रगट,सप्तरंगा भर महि सुर,*
*हरदम हयात सुर हाटके,कट तिमिर जात मूळ कंदने,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,मित नमत हे कश्यप नंदने,*
हे सूर्यनारायण,आ धरती पर सर्व प्रथम तमे उदय थाओ छो,अपना सात रंगों थी भरपूर महत्वकांक्षी किरणों अमारा जिव ने,श्वासने,तथा शरीर ने सुवासित करे अने एक प्रफुलित शक्ति प्रदान करे छे,आप नित प्रगट थता आप जेम व्यक्ति आळश मरोड़ता हाथ झाटके एम आप उदय थता ज् किरण ने झाटकी धरती पर नाखो छो जेथी अमारा देह ने शक्ति मळी रहे,हे निरंजन देव तमे अमारा जिव ने तारो छो,एवा हरदम हयात,तमारा हकोटे रात्रि नो अंधकार मूळ थी दूर थई जाय छे एवा सर्वप्रकाश देव ने मारा नित्य वंदन
(4-2-2019)
*चढ्यो आभ चमकार,चरण पथ तप सर चढता,*
*चढ्यो आभ चमकार,गरण दल गढ़ेय गढ़ता,*
*चढ्यो आभ चमकार,रूप सुर सांज रणंके,*
*चढ्यो आभ चमकार,डाळ पंखी रव डणके,*
*पृथ प्रौढ़ भोर पर प्रतिकजे,दृढ़ दुड़ीयंदो अम देव है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,खर नमत ध्यान मित खेव है*
हे सूर्यनारायण,सवार नी व्हली प्रोढे आपना तेज नो चमकार आभै चड़ी,अमे जेम पगला भरिये तेम पगले पगले तमारो ताप वधारता रहो छो,(एक उद्देश्य सिद्ध करो छो के जेम आगळ वधिये तेम जीवन मा पण घणा ताप वधता रहेशे,)अने सांजे पड़ता वृक्ष पर थी पंखीना कलबलाट आपना ढळता नी साथे काने पड़े अने केसरी संध्या नी आरती ओना नाद रणके छे एवी मनोरम्य कीर्ति ना आधार तमे छो,याया धरती पर एक नियम नु प्रतीक आप बण्या छो,एवा देव ने मारा नित्य नमन
(5-2-2019)
*मिहिर तेज मकरंद,सृष्टि सुर मधु सरित सम,*
*मिहिर तेज मकरंद,कटे विष अशुध कालकम,*
*मिहिर तेज मकरंद,पखाळे परम ज्ञान पथ,*
*मिहिर तेज मकरंद,रिदय घर वहत तेज रथ,*
*भ्र्मरा गुंजार सम तप भर्यो,अर्क उजागर अंगसे,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,रवि दियण नमत मित रंगसे(3)*
हे सूर्यनारायण,आपनु तेज मधुरु छे, मकरंद(भमरा) जेम फूल माथि रस पान करे इम आपना तेज आ धरती पर ना रोग नु निवारण छे,आ धरती पर रहेल अशुध वायु ने आपना तेज निवारे अने शुद्ध जीवन प्रदान करे जे कारण मनुष्य जीवी शके छे,आप परम ज्ञानी छो जेम रथ नु पैड़ू चालतु रहे एम् आपना रिदये थी तेज नो व्हाल वरस्तो रहे अमपर इटली विनंती आप देव ने,एवा मिहिरदेव मकरंद ने मारा नित्य नमन
(6-2-2019)
*कुदरत रूप कमाल,ज्वाल सूरजण तु जग्गे,*
*कुदरत रूप कमाल,भोर निरखे नभ भग्गे,*
*कुदरत रूप कमाल,अर्क साक्षात अजायब*
*कुदरत रूप कमाल,सर्व पर एकज सायब*
*नव नाथ लोक त्रि नर नमो,सुर कुदरत देव समित है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी प्रताप,मन जप्यो नाम सुरमित है*
हे सूर्यनारायण,आ कुदरत आपे बनावी छे पण केवो कमाल केवाय,केवु आश्चर्य केवाय के समग्र ब्रह्माण्ड मा आप एक ज् एवा देव छो एवी शक्ति छो के जे1 सर्वप्रकाश विश्व,आ अखिल ब्रह्मांड ने प्रकाश आपे छे,आ सर्व नो एक ज् सायब(ईशवर,मालिक) छे इ तू छो नारायण,आपने त्रण लोक ना नाथ,देवो तथा नर नमन करे छे,इवा कुदरत रूपी देव ने मारा सतनित्य नमन,
(7-2-2019)
*जगत वंद कर जोड़,क्रोड किरपा तप करणा,*
*जगत वंद कर जोड़,तोड़ षडरिपु मनतरणा,*
*जगत वंद कर जोड़,थाट शक्ती कर थोभे,*
*जगत वंद कर जोड़,शान प्रतिमा नभ शोभे*
*उपमा अनेक तुज अर्कनाथ,वंदु विख्यात तुज वात है*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,गुण नमन किये मित गात है*
हे सूर्यनारायण,आ जगत तने हाथ जोड़ी वंदनं करे छे,ते अमारा पर केटली कृपा करी,एने वर्णवि नथी शकता,मनुष्य मन ना छ् विकार आप थकी ज् दूर थई शके छे एना सिवाय एने कोई दूर करी शकतु नथी,आपनी भक्ति तप थी मन एना योग्य कार्यवर्तने चालु रहे छे,हे नारायण आपने मा जगदंबा इ एक थाटे रोक्यो हतो त्यारे आप थोभी रह्या,आपनी मदद वगर दिवस न हाली शके क़े न रात, आपने मारे शु उपमा आपवी ए ज् हु नथी विचारी शकतो आप निराकार छो एवा विख्यातिदेव ने नित्य नमन
(8-2-2019)
*किरण छोड किरपाण,उगार्यो उर धर आंजण,*
*किरण छोड किरपाण,मळ्यो हनु गुणविध माजण*
*किरण छोड किरपाण,सकळजग तुज पर समता,*
*किरण छोड किरपाण,नियत नित हर सम नमता*
*सुर शिव समान सज शोभतो,महा मांडवराय महान है,*
*पट निहर प्रोढ़ अवनीपरे,वंदन क्रिपाण मित वान है*
हे सूर्यनारायण,आप केवा कृपाल देव छो,आपने हनुमान फळ समजी खावा आव्यो छताय आप क्रोधायमान न थ्या,सदाय मन ने वश मा राखनार देव छो,आपे हनुमान ने ब्रह्माण्ड मा ज पथ पर तमारा रथे साथे बेसाड़ी दरेक ज्ञान पुरु पाड्यू,जेम एक मा पोताना पुत्रने जणे एम जण्यो,आ जगत तमारा पर निर्भर छे सर्व तमारा आधार पर ज रहे छे जेम शिव ने नमें एवी नामना तमारी पण छे एवा देवोना देव समान सूर्यदेव ने मारा नित्य नमन,
(9-2-2019)
*आदि नाथ अदभुत,काल व्रेह्मण्ड अजर कटे,*
*आदि नाथ अदभुत,अड़ाभीड़ थंभ अमर अटे,*
*आदि नाथ अदभुत,अळ्या धर सुता अपावी*
*आदि नाथ अदभुत,खंत नित नजर खपावी*
*अदभुत नाथ अविनाश अर्क,दिन हर गण करत दयालदनि,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे, बस नमन कृत मित न्याल बनी*
हे सूर्यनारायण,आप आदि अनादि अद्भुत देव छो,ब्रह्मांड नु समय चक्र आप थकी छे,आप अजर अमर छो,जीवन अने मृत्यु वच्चे नो अड़ाभीड़ थंभ छो,ज्यारे सृस्टि नी रचना करवानी हती त्यारे आप तैयार थ्या,आपे पोताना अड़धा अंग ने छुटु करि आ सृस्टि रची,तेथी आपनी पुत्री सामान छे आ धरती अने,नित्य तमे आ धरती ना बाळको पर नजर खपावी राखो छो के कोई दुखी तो नथी ने,इवा नित्य निरखि देव ने मारा सत सत नमन,
(10-2-2019)
*आज वसंती आभ,रचे थर आभा रंजन,*
*आज वसंती आभ,मचे सुर पंचत: मंजन*
*आज वसंती आभ,जरे थळ वायु अग्नी जळ*
*आज वसंती आभ,वसे तुज दल बन वमळ*
*महा पंचतत्व सुर महाराण,थर उमट्या बन जीव थंभ है,*
*पट निहर प्रौढ़ अवनी परे,अर्क अवल मित आरंभ है*
हे सूर्यनारायण,आज वसंतपंचमी छे,आज ना दिवसे आपे अनेरु वातावरण रच्यु छे जाणे आभ मा एक सुगंधि वातावरण फेलायु होय,आपे पंचतत्व ने वश मा कर्या छे जे धरती पर मनुष्य जिव ने सचववा राख्या छे,आप हसो तो आ जिव सृस्टि रहेशे,माटे सर्व जिव नो अवल आधार आप ज् छो,एवा सर्वप्रथम देव ने मारा नित्य वंदन
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
19 फ़रवरी 2019
|| छंद पद्धरी || || कर्ता मितेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||
*||रचना: हल्दीघाटी युद्ध में
राणा प्रताप का युद्ध वर्णन ||*
*||कर्ता: मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च)||*
*|| छंद पद्धरी ||*
रम जुद्ध रक्त पट राण राय,बहकत्त मुगल भळक्यों बिताय,
दळबळ फौजा डहकेय डाक,जम चल्यो हरण जीव दैत जाक,(१)
ग्रज वद्ध अकळ मध रज्ज नभ्भ ,रज मेघ पकड नभराट रभ्भ,
हुहकार हट्ट कट विकट होम,वर तुरंगपथी परताप व्योम,(२)
दळ सहड बाज बहलोल दाट,कळ पकळ राण हथ तेग काट,
जळ जकळ मुंड पळ तुंग जोड़,तही चढ़ कुध्धो धड दियो तोड़,(३)
सचीराट त्राटके करे सांग,मथ राण काट बन इलम रांग,
हहुकाट थडक्के हया हाक,अह्रींमान कर्ण निज फाटआक,(४)
धर जुलमवध्ध रड़े कटे धार,हिंदवो हुँकारे भय मुग़ल हार,
चौ दिश चीख्ख दिया मुघल चोर,दैत्यों संहार फुट गयो दौर,(५)
हलदीय रंग लहु भंग होड़,ककळाट भले मुघलाय क्रोड,
अकबरा अंग थरथरे आट,डर गर्यो नफट निज निकट डाट,(६)
कळपे धधक आसफ्फ कोट,दल छंड फळफळे दियो दोट,
कटके वधेर कटकट कमोत,हथ धड़ बछुट पथ मथ्थ होत,(७)
मध गगन शोर महेक्यो महान,जद रंग हल्दीयो लग जहांन,
शक्तिय संग *मित* रहसदाय,जयजय प्रताप महाराण राय,(८)
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
પોલીસ ભરતી પરીક્ષા શારીરિક કસોટી માટે પાસ
16 फ़रवरी 2019
BEST OF LUCK
Vejandh Gadhavi
14 फ़रवरी 2019
अनुरोध रचियता पबु गढवी 'पुष्प ' भुज -कच्छ
अनुरोध
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कश्मीर को बचाने, सरकार, आप जागो,
आतंक को भगाने, सरकार, आप जागो ।
आतंकियों के डर से जो हो चुके पलायन,
उनको वहीं बसाने, सरकार, आप जागो ।
कश्मीर हो या कच्छ हो, भारतके दुश्मनोंका,
नामो निशां मिटाने, सरकार, आप जागो ।
देखो, अभी न हो तो, फिर तो कभी न होगा,
छप्पनका सीना ताने, सरकार,आप जागो ।
कश्मीर के लिए जो पहले कभी किये थे,
वादे सभी निभाने, सरकार, आप जागो ।
जो भी किया भरोसा, अब टूटने लगा है,
थोड़ा यकीं दिलाने, सरकार, आप जागो ।
ऐसे नहीं चलेगा, कुछ तो जनाब करना,
सरकार फिर बनाने, सरकार, आप जागो ।
फौजी शहीद होते, उनकी शहादतों पर,
दो बूंद ही बहाने, सरकार, आप जागो ।
आक्रोश फैलता है, जनता पुकारती है,
इस आग को बुझाने, सरकार, आप जागो ।
दे दो अभी इजाजत, इस देश के बलों को,
फिर हौसला बढ़ाने, सरकार, आप जागो ।
फिरसे अमन बनाकर, रंगीन घाटियों के,
इस मुल्क को सजाने,सरकार,आप जागो ।
मै 'पुष्प ' एक शायर, अनुरोध कर रहा हुं,
शम्मा नई जलाने, सरकार, आप जागो ।
--- पबु गढवी 'पुष्प '
भुज -कच्छ
Mobile :9825857394
13 फ़रवरी 2019
खोडल खपराळी रचना: जोगीदान चडीया
*महा अष्टमी ने दिवसे जगदंबा खोडीयार ना चरणो मां वंदन*
. *||खोडल खपराळी ||*
. *छंद: भुजंग प्रयात*
. *रचना: जोगीदान चडीया*
प्रगट्टी धरा सिंध मे मां प्रचंडी, चली चाळका नेहडे मात चंडी
प्रसन्नी रहौ मां सदा ये प्रचाळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||01||
थडो मात हिंगोळ ने पर्स थापे, अमी कुंभ तुं आवडाई ने आपे
दुधड नेश व्रांणां द्रसाणा दियाळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||02||
जिभां जोगीदाना जपां लाख जापो, अमूं बाळ तोळां अहो दर्स आपो
भवां भोळ ग्वाळे भजी जेम भाळी, खमां खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||03||
तुंही व्योम खांडा तणा खेल खेले, मदे अंध ने मात भाळ्या न मेले
बणें चंडीका रुप चारण चूडाळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||04||
जगत जोगणीं भ्रात ने ज्युं जगारो, अमां कळजगां वक्ख से मा उगारो
विधाता बणीं ल्यो विकारोय वाळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||05||
धरा पाप से मा हुती जांण धगती, शिला दित्य ए सातमो राय सगती
रमां रोही शाळा हु तो पाप पाळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||06||
अहा हाकले आरबो मात आया, धरा वल्लभी पुर पे जोध धाया
गणेणी उठ्युं गोम ने प्हाड गाळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||07||
मनाव्यो छतां मात ना वात मान्यो , पछाड्यो धरा जग्त आखे प्रमान्यो
भ्रकुटी मरोडे किधूं रूप काळी , खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||08||
जपे राव ने साव जोगण जुनांणे, धरा गुर्जरी तो पुजे पांण पांणे
खडेड्यो लीये आभ ने मात खाळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||09||
जदै जोगीदानम् जीभे रास जामे, प्रचो मात तोळो पूरो जग्ग पामे
ग्रजे चौद ब्रह्मांड दै हत्थ ताळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||10||
नमो खोडल्अंबे तणां नाम नाजे , गगन भेद नादोय गोहिल्ल गाजे
वखतसिंग आता वखत मां वडाळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||11||
अढारौ सतक पादरो मात आप्या, वधी वंश वेली अरू विश्व वाप्या
मगर वाहनी मेर करजो मढाळी, खमा खोडली खेल्य तुं खप्पराळी..||12||
🙏🏻🔱🙏🏻🔱🙏🏻🔱🙏🏻🔱🙏🏻
12 फ़रवरी 2019
11 फ़रवरी 2019
आई श्री खीमश्री मां जन्म जयंती उजवणीनो अहेवाल
10 फ़रवरी 2019
|| हांसबाई माँ नी वंदना || ||कर्ता मितेशदान गढ़वी ||
*🔱प्रातः स्मरणीय प.पु.आई श्री हांसबाई माँ(मोटा रतडिया (मांडवी) कच्छ )नो 91 मो जन्म महोत्सव वसंत पंचमी ता:10-2-2019 ना आज माँ हांसबाई ना चरणों मा शब्द रूपी वंदन🔱*
*|| आई श्री हांसबाई माँ वंदना ||*
*|| छंद : दूर्मिळा ||*
*||कर्ता : मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
*मृदुहय सोनल मावड़ी,हांसल रिदय हयात*
*मित नमु तुज मंगला,तारीं उदारता अखियात*
सिद्ध रिध समु नव निध सुरंगीय,ध्यान मनोरथ नित धरे,
चित आनंद हित समु चिर धारण,झारण तेज सलिल झरे,
हरखे नयनांगण आवत हे हर,से नित व्हाल उनित समे,
गुण हांसल नाम रतडिये गाजत,न्याल बणी त्रय लोक नमे(1)
शिवकार सदा मुख सार सज्यो,कर त्याग संसार में जाप कियो,
सतकार तणु सनमान सजाविय,जीवन काल निराल जियो,
दन दिव्य दयाल बनी दुःख दारिय,राज रिदै महमाय रमे,
गुण हांसल नाम रतडिये गाजत,न्याल बणी त्रय लोक नमे(2)
मृदुला मन भाव मही महमाय,विचार उद्धार सुधार वणे,
जग चारण तेज जणाव जनेतायु,जोगण रूप तु लाख जणे,
कुट विष तणा फंद काट कई,जग भाव तणा अमरित जमे,
गुण हांसल नाम रतडिये गावत,न्याल बणी त्रय लोक नमे(3)
रह साय सदा शकती सुखकारण,तारण ताप त्रिविध तणा,
शरणे तुज सेवक सार समे,पुन पामत लाभ उदारपणा,
कर जोड़ प्रणाम वदे करणी,अहोभाग गण्या मित आज अमे,
गुण हांसल नाम रतडिये गावत,न्याल बणी त्रय लोक नमे(4)
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
9558336512