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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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19 अगस्त 2016

राग जिल्लो - त्रिताल रचना ::- शंकरदान जेठीदान देथा - लींबडी

```राग जिल्लो - त्रिताल```

```रचना ::- शंकरदान जेठीदान देथा - लींबडी```

समजी लेने प्यारा सत्यसार संसार मां रे... टेक.

जन्मयो ज्यारे आ संसारे, तारे साथ हतुं शुं त्यारें ;
लेवानुं पण नथी लगारे लारमां रे, समजी लेने .... टेक.

जीव देहनी थतां जुदाई, सरवे मिथ्या थशे सगाई ;
बधां रहे पछताई रोई घरबारमां रे, समजी लेने .... टेक.

उधम आ तनथी आदरवो, जेणे मटे जनमवो मरवो ;
फेरो पडे न फरवो खाणी चारमां रे, समजी लेने .... टेक.

शंकर कवि झट आवे छेडो, हरि नामथी कर तुं हेडो ;
पार थाय तो बेडो भव एकुपारमां रे, समजी लेने .... टेक.

टाइप बाय :- www.charanisahity.in

संदर्भ :- लघु संग्रह (कच्छ भुज की व्रजभाषा पाठशाळा के अभ्यासक्रम का प्रारंभिक पुस्तक) पाना नंबर :- 173 पर थी

18 अगस्त 2016

समजवा जेवा सोरठा - रचना ::- शंकरदान जेठीदान देथा - लींबडी

समजवा जेवा सोरठा

रचना ::- शंकरदान जेठीदान देथा - लींबडी

नित रटवुं हर नाम, देवुं धन अन दीनने ;
करवा जेवां काम, साचां ई बे शंकरा.  || 1 ||

दानव मानव देवनें, सूरां भगतां सोत ;
माथे सउने मोत, साचुं अंते शंकरा. || 2 ||

मुवा पछी मानुषने, दईनें अगनी दाग ;
रोवे ताणीन राग, ई-स्वारथ नें सउ शंकरा. || 3 ||

पवन पवनमां मळे, माटी माटी थाय ;
पण ममता नो मूकाय, छेवट सुधी शंकरा. || 4 ||

भर्यां होय भंडारमां, अन धन अपरंपार ;
पण-भातामां पई भार, साथे नावे शंकरा. || 5 ||

भामन मनहरणी भुवन, सुत भ्राता समराथ ;
ई- स्नेही कोई संगाथ, छेवट न करे शंकरा. || 6 ||

हाजर होय हरेक, सगां कुटुंबी सेवको ;
पण अंते ऐका ऐक, छे जावानुं शंकरा. || 7 ||

लोभेंथी लाखोतणी, माय मेळवियें ;
पण अंत वेळायें ऐ, साथे नावे शंकरा. || 8 ||

मात पिता पूर्वज मनुष, जीयां बधांये जेम ;
आपणे छेवट ऐम, छे जावानुं शंकरा. || 9 ||

मोह ममत तुं मेल, भूवन राज वैभव तणो ;
मोगल तणा महेल, छे जो दलिऐ शंकरा. || 10 ||

टाईप बाय :- www.charanisahity.in

संदर्भ :- लघु संग्रह (कच्छ भुज की व्रजभाषा पाठशाळा के अभ्यासक्रम का प्रारंभिक पुस्तक) पाना नं-170 पर थी

24 फ़रवरी 2016

शंकरदानजी देथानी रचना

संसार मा सुख पामवा कंगालनु दुख कापवुं
याचक अतीथी ने यथा शक्ती दान अन्न नु आपवुं
परणी त्रीया  पर प्रेम राखी उच्च करणी आचरी
भवदधी तरवा भावथी हरदम समरवा हर हरी...
उतम विचारोथी निरतंर शुध्ध अंतर राखवु
बद कमॅ थी डरवु बहु सतकमॅ ना सेवक थवु
राखी सु रीती नेक नीती सत्य बाबत नी समज
भजवा अमर अज अजर ऐवा वृषभधव्ज कां गरुडधव्ज...
निज सुख स्वारथ साधवा दुख दिन ने देवु नही
लाखो मले पण लोभवश अन्याय थी लेवु नही
काळे करी धन त्रीया काया त्यागवा पडसे तदन
तो समरवा सुख सदन ऐ मदॅन मदन कां मधुसुदन....
ऐवो वखत आवे कदी अन्न होय ऐकज टंक नु
तो आपे करो उपवास पण राजी करो मन रंक नु
ऐवी अजायब मजा लेवा विर द्र्ढ राखी वृती
क्षण क्षण प्रति संभारवा गीरजापती का श्रीपती....
नरनाथ ने घरनाथ ने जरनाथ सवै जाणजो
सद वखतमा सत्यकमॅ करजो अंहकार न आणजो
कितीॅ वरो परहित करो मृत्युलोक मा लेवा मजो
शंकर कवि निती सजो दुरमती तजो इश्र्वर भजो

रचना:- लींबडी राजकवि शंकरदानजी देथा.

टाईप:- लाभुभाइ गढवी.

17 जनवरी 2016

शंकरदानजी देथानी रचना


शंकर सुखकर शांतिकर,
      दुःखहर दीनदयाल,
हे हर दुःख हरज्यो हवे,
     झट लेज्यो संभाल।
कालहर कष्टहर रोगहर रोरहर,
पापहर पिडाहर
प्राणेश्वर प्यारेहो।
सुखप्रद संपप्रद संपती सुतोषप्रद,
शांतिप्रद सर्वभ्रांती
श्रेय करनारेहो
दास दुःखहारी कालपाष के विनाशकारी,
सर्वशक्तिमान आशुतोष
नाम वारेहो।
भारीभयकारी येहै मेरीहै बिमारी तामे शिवप्रियकारी तुम रक्षक हमारे हो।
जाके रक्षक धुरजटी,
   महाकाल के काल,
ताहीको क्या करीशके,
    कलेश बिचारा काल।
यह कवित दोहा यही,
    पढही जो रोगीष्ट,
ताही मानुष को त्वरीत,
        रोग होईहै मूक्त।
कृर्ता  कवि शंकरदानजी देथा।
लींमडी,
टाईपरायटींग बलवंतसिंह मोड,
बावला।
भूलचुक क्षमा करशो।
हर हर महादेव

15 अक्टूबर 2015

अजा उमाजी अंबाजी लींबडी - राजकवि श्री शंकरदान देथा

जय माताजी
आजे त्रीजु नोरतु छे . ते निमिते लींबडी राजकवि श्री शंकरदान जेठीभाई देथा नी एेक  रचना  माणीये
                                      अजा उमाजी अंबाजी
दुहो 

प्रसन प्रसन प्रसनाननी , हम पर रहो सदाय ,
प्रणतपाल परमेश्वरी , जय अंबा जगराय .

         || छंद त्रिभंगी || 

जय जगरायाजी , महामायाजी , शुसि कायाजी , छायाजी ,
होवो शिशु पाजी , तउ क्षमाजी , कर तुं हाजी , हा हा जी , 
प्रिति नित ताजी , नहि ईतराजी , वा माताजी , वा वा जी ,
रहो राजी राजी , हम पर माजी , अजा उमाजी , अंबाजी 
जय अजा उमाजी , अंबाजी ......टेक ||1||

धवलांबर धरनी , उजवल बरनी , शंकर धरनी , शंकरनी ,

निज जन निर्जरनी , रक्षा करनी , अशरन शरनी , अध हरनी , 
वासी गिरवरनी , शिव सहचरनी , हिम भूधरनी , दुहिता जी ,
रहो राजी राजी ..........||2||

चकवे चरिताळी , बूढी बाळी , जोबनवाळी , जोराळी ,

विध विध वपु वाळी , अकळ कपाळी , मृडा दयाळी , मायाळी ,
आपाति अघ टाळी , कर रखवाळी , तूं अेको मम , त्राता जी , 
रहो राजी राजी ..........||3||

प्राकम पामेवा , विजय करेवा , लेवा जग जश लाभेवा , 

अजरामर अेवा , अभय अभेवा , देवन देवा ,महादेवा ,
चाहत तुव सेवा , हरी-हर जेवा , देवी वांच्छित फल , दाताजी ,
रहो राजी राजी ..........||4||

निगमागम जाणी , विविध वखाणी , पुनित पुराणी , परमाणी ,

सुर सेव्य सयाणी , मा महाराणी , रुप ब्रमाणी , रुद्राणी ,
विध्याप्रद वाणी , वीणा पाणी , वरदाणी , विख्याताजी , 
रहो राजी राजी ..........||5||

महिषादीक मारणी , असुर अहारणी , खळदळ दारणि , खग धारणि , 

सुरजकाज सुधारणि , अमर उधारणि , कष्ट निवारणी , शुभ कारणि ,
आश्रीत उगारणि , दुर्मिति हारणि , चारणि चंडि प्रख्याताजी ,
रहो राजी राजी ..........||6||

शंतर कैलासी , संग प्रवासी , सदा हुलासी , सूख राशी ,

गिरी गबर निवासी , विध्य विलासी , टाळण फांसी , चोरासी ,
रुषि सहस्त्र अठ्यासी , सिध्ध सन्यासी , गुण चारण सुर , गाताजी , 
रहो राजी राजी ..........||7||

सेवक कवि "शंकर" कहत जोरि कर , कृपा नजर कर करुणाळी , 

मोही ताप मुगतकर , षड रिपु क्षयकर , तन-मन दु:ख हर , त्रिशुळाळी ,
गिरीजा मा मम घर , रिध्धि सिध्धि वृधि कर , दे सुबुधी सुख , शाताजी ,
रहो राजी राजी ..........||8||

           || छंद : छप्पय ||
नमो अंबीका उमा , अद्रिजा अजा अपर्णा ,

नमो गौरी गिरिसुता , आशापुर्णा , अन्नपुर्णा ,
नमो भीड भंजणी , भवा भगवती भवानी ,
नमो दया सागरी , देवि दुर्गा महादानी ,
दु:ख दमनि सिधेश्वरी शंकरी , कृपा सिघ्र मम पर करो ,
शिव प्रिया हुं "शंकरदास" के ,दुरित रोग दारिद हरो ,

                 || दुहा ||
सुमती आयु आरोग्यदा , वांच्छिंत प्रदा विख्यात , 

धन यश स्त्री सुख धामदा , नमो अंबिका मात (1)

जिमि दिनकर के दरशते , सिघ्र तिमिर विनसाय ,

ईमि अंबाष्टक उचरते , पाप त्रिताप नसाय , (2)

रचयता :- कविश्री शंकरदान जेठीदान देथा ( लिंबडी राज कवि )

टाईप :- मनुदान गढवा - महुवा.

     9687573577
टाईपमां भुल होयतो क्षमा करजो

          वंदे सोनल मातरम् 

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