.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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10 अक्टूबर 2019

માતાજી તારી મૂરતી

માતાજી તારી મૂરતી

      :(ઢાળ = ચારણી ચરજનો )

                ।।ભાવગીત।।

મઢડામાં ભાળી મેં મરમાળી રે, માતાજી તારી મૂરતી રે જી (ટેક) 

લાખ લાખ દિવડાના ,તનથી તેજાળી રે (2)
એ જી એને આતમાના તેજે પૃથ્વી ઉજાળી રે

                    માતાજી તારી મૂરતી રે..... (ટેક)

વહે છે મુખેથી જેને, વાણી ચાર વેદ વાળી  (2)
એજી એવા જ્ઞાન રે પુરાણો પીધા  જેને ગાળી રે

                   માતાજી તારી મૂરતી રે.....(ટેક)

દેવી છે દયાળી જેના ,થાનકે મળે છે થાળી  (2)
એ જી એનો આતમો હુલાસે અતિથી ને ભાળી રે

                     માતાજી તારી મૂરતી રે..... (ટેક)

ખરુ સમરણ ભાળી, ભલે હોય રાત કાળી  (2)
એજી કેવી છે કૃપાળી પુગે પગ પાળી રે

                   માતાજી તારી મૂરતી રે..... (ટેક)

ભજે 'બલદેવ' ભાળી, મઢડાના મઢવાળી (2)
એ જી એવી પ્રશન રહોને માડી પરચાળી રે

                   માતાજી તારી મૂરતી રે.....(ટેક)

કતૉ= ચારણકવિ બલદેવભાઈ હરદાનભાઈ નરેલા  -ભાવનગર

19 नवंबर 2017

वरदाळी ने वंदना - संकलन - संपादन चारण नामलबाई राणाभाई गामणा (वाचा)

प्राचीन अर्वाचीन गरबाओ, चरज, भावगीत तेमज माताजीना छंदो अने भजननो संग्रह
वरदाळी ने वंदना

संकलन - संपादन

चारण नामलबाई राणाभाई गामणा (वाचा)

कुल पाना - 128

आज रोज ता.19/11/2017 ने मागशर सुद-1 (ऐकम) ने रविवार ना रोज सवारे 5:30 श्री नामलबेन राणाभाई गामणा (गढवी) रामचरण पामेल छे अने तेमना द्वारा संकलन-संपादित  पुस्तक
"वरदाळी ने वंदना"

ई-बुक स्वरूपे चारणी साहित्य पर मुकवा अने कायमी सम्भारणा रुपे आजे तारीख 19-11-2017 ना देवलोक पाम्या होय तो  तेओ श्री नामलबाई राणाभाई गामणा नी पुण्य स्मरण यादि स्वरूपे आ पुस्तक तेमना पुत्र

श्री किशोरभाई राणाभाई गामणा (वाचा) मूल गाम माड़ी हाले जलाराम ट्रासपोर्ट राजकोट तरफ थी मळेल  छे




सौजन्य
श्री किशोरभाई राणाभाई गामणा (गढवी)
गंगोत्री पार्क-2, रेल नगर मेईन रॉड, राजकोट
मो :-  98253 25480


"वरदाळी ने वंदना" पुस्तक  डाउनलोड करवा माटे ::- Click Here

श्रध्धा सुमन दोहो

तू जननी तू जगदम्बा, तू इस्वर ने तात,
विहरि पण विसराय ना,माड़ी नामल मात,


स्मरण अने सत संग ना,ते तो अमि पाया आई,

ई संस्कृति सँस्कार ने,तारा बाळक भूले न बाई,


परमकृपाळु परमात्मा ऐमना दिवंगत आत्माने शांति आपे ऐवी मां भगवती पासे प्रार्थना

 

29 अक्टूबर 2017

|| चरज: मोगल तु मीठड़ी माईरे || || कर्ता: मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||

*||रचना : मोगल तू मीठड़ी माई रे ||*
*|| कर्ता: मितेशदान महेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*
*|| चरज ढाळ: भजा तूने भेळीयावाळी रे ||*
मोगल तू मीठडी माई रे,राणेसर मात रवराई रे,
नमू तूने शीश नमाई रे,मोगल तू मीठडी माई रे,(टेक,)
काळ माथे कुळ कापीयू माँ ते वेर टार्या मूळ व्याप,
है,,सत वाटे गुण चारणो साथे,आइ नामु अखियात,
शीतळता नु हेत समाई,नमू तूने शीश नमाई,
मोगल तू मीठड़ी माईरे,राणेसर मात रवराईरे,(१)
भांगिया भुंडा लोभ भवोना,ने भंड घेला
घोळी भान,
है,,दैवी दया कर दुखियारा,ने देय मीठा छौल दान,
वारु कर वेद वरदाई,नमू तूने शीश नमाइ,
मोगल तु मीठड़ी माई रे,राणेसर मात रवराई रे,(२)
घोर समे घमसाण घेराणु,आ लोक थयो लजवाण,
है,,पापीओ ने दई धाह पछाडी,पुर तारु परमाण,
आवो अवतार लै आई,नमू तूने शीश नमाई,
मोगल तु मीठड़ी माई रे,राणेसर मात रवराई रे(३)
वेद ने वारया कोई वर्या नै,भेद भूल्या जे भान,
है,,परचाळी तुज पाय पड्या,जेना मेह वरसाया मान,
गावे *मीत* तुज गरवाई,नमू तूने शीश नमाई,
मोगल तू मीठड़ी माईरे,राणेसर मात रवराई रे,(४)
*~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~*
*कवि मीत*
(घेला:गांडपण भर्या  वर्तन,)
(छौल:आनंद)
नोंध: आमा रवराइ एटले रापर वाडी मा रवराइ ने नथी उल्लेख्या
रवराई एटले जेनी नामना  कीर्ति नो कोई अंत नथी अने एनी उन्नति चढ़ावो वध्याज करे छे एवी मा राणेसर नी मोगल दर्शावी छे जे बदल तमने कोई मनथी प्रश्न न रहे ते बदल जाण
धन्यवाद 
*~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~*

1 अक्टूबर 2017

मीठी रे नजरुं आइ तमे राखजो चारण कवि आलभाइ

 *चारण कवि आलभाइ खेतशीभाइ गढवी रचित माताजी नी चरज* 
विस रे भुजाळी आइ तुने विनवुं
माडी करजे तारा छोरु उपर मेर रे
महामाया मोमाइमा...
मीठी रे नजरुं आइ तमे राखजो
आइ तारा मेरु ने हिमालय मोटा ओरडा
माडी विश्व रे आखामा तारो वास रे
महामाया मोमाइमां...
मीठी रे नजरुं आइ तमे राखजो
अमने हंमेस रे भरोसो भगवति आपनो
मां अमे तमने छोडीने बीजे क्यां जाइं रे
महामाया मोमाइमां...
मीठी रे नजरुं आइ तमे राखजो
मां बालुडा जाणीने जालजे बावडी
बस आचलुं कही करजोडे "आल" रे
महामाया मोमाइमां...
मीठी रे नजरुं आइ तमे राखजो
 *रचना -- चारण कवि आलाभाइ खेतशीभाइ गढवी* 
*गाम-- शेखडीया- कच्छ*
*ढाळ=बाकर मार्यो आइ ते बजार मां*
 *टाइपिंग -- राम बी. गढवी* 
*नविनाळ कच्छ*
*फोन नं. -- 7383523606*
 *वंदे सोनल मातरमं* 

18 सितंबर 2017

आयल मां आवने वेली रे - चारण कवि भरतदान गढवी

 *चारण कवि भरतदान रचीत चरज* 
आयलमां आवने वेली रे,बाळकनी तुज छो बेली रे
आयल मां आवने वेली रे...२
युद्धमां सैनिक खेले होळी,लागे नइं एने गोळी
दुश्मनना माथडा माडी नांखने त्रोडी रे...
आयल मां आवने वेली रे...
त्रसवादी त्रास दिये तोप फोडी,मारे मानवने अंग मरोडी
बनीजा चंडी चामुंडा नांख चीमोडी रे...
आयलमां आवने वेली रे...
लाडकडीना लगन थावे,नथी भाइ जवतल कोण होमावे
बनीने भाइ भवानी आवने भोळी रे...
आयलमां आवने वेली रे...
खारवो खेळे दरियो दोळी,ठालवे पवन झपाटे जोळी
कृपाळी करजे माडी कांठडे होडी रे...
आयलमां आवने वेली रे...
खलक आखामां ख्यात छे खोळी,धाबडीयाळी आवने धोळी
"भरत" कहे आवने वेली थाइसना मोडी रे...
आयलमां आवने वेली रे...
 *रचना -- चारण कवि भरतदान* 
 *टाइपिंग -- राम बी.गढवी* 
*नविनाळ - कच्छ*
*फोन नं.=7383523606*
 *ओडीयोमांथी रचना टाइप करेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी* 
 *वंदे सोनल मातरमं* 
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12 मई 2017

|| आवड़ मा नी चरज || ||कर्ता मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||

*आवड़ मा नी चरज*
*कर्ता - मितेशदान महेशदान गढ़वी (सिंहढाय्च)*
आई तू तो प्रगट रे प्रकाशी रूपक मावड़ी,
माड़ी तारा नाम रे लेता ने दरीदर भागे रे,
                            जगदंबा आवड़ तू खरी,(1)
माड़ी तूने नमें रे जगत आखु भाव थी,
माड़ी एना दुखो ने संकेलो वेली वारे रे,
                             जगदंबा आवड़ तू खरी,(2)
माड़ी तारा देवळो शोभे छे दीपक माळ थी,
माड़ी तारा त्रिषुले कीधा छे अशूर संहार रे,
                              जगदंबा आवड़ तू खरी,(3)
माड़ी तारा नाम रे सुणी ने भुत प्रेत भागता,
माड़ी ते तो कीधा रे तारा बाळ तणा उद्धार रे,
                             जगदंबा आवड़ तू खरी,(4)
माड़ी तू तो दया नो सागर ने आशीष उर नी,
माड़ी ते तो भूलो ने कीधी छे अमारी माफ रे,
                             जगदंबा आवड़ तू खरी,(5)
माड़ी आजे दुखे रे पीड़ायो मारा कर्म थी,
माड़ी मारा दुखो ने सिंचया ने कीधा नवा नूर रे,
                            जगदंबा आवड़ तू खरी,(6)
माड़ी तू ने अरजे  मितेश एना साद थीं,
माड़ी एनी चरज सुणी ने आतम ठार ने,
                            जगदंबा आवड़ तू खरी,(7)

4 अप्रैल 2017

आवड मां नो भेळीयो रचना :- चारण कविश्री किशनदानजी भुराभाई लांगा

.        *आवड मां नो भेळीयो*
.        *ढाळ - मछराळी मोगल*
. *रचना :- चारण कविश्री किशनदानजी भुराभाई लांगा*
.                *||चरज||*
माडी तमे भले रे ओढयो रे आवडमां भेळीयो
माडी तारा भेळीयामां उजळु अमाणु भावी रे,
आधशकित आवड, भले रे ओढयो रे आवडमां भेळीयो (टेक)
माडी ऐने महेशे पींजयो ने उमाये कांतीयो (2)
माडी ऐना रामने सीताऐ गुंथ्या त्राग रे,
आधशकित आवड, भले रे ओढयो रे आवडमां भेळीयो (टेक)
माडी ऐने विष्णुऐ वणयो ने रमाऐ रंगीयो (2)
माडी ऐमां ब्रह्माजीऐ पाडी छे नवली भायतु रे,
आधशकित आवड, भले रे ओढयो रे आवडमां भेळीयो (टेक)
माडी तने भावेथी ओढाडे कृष्ण भेळीयो (2)
माडी ऐमां तेत्रीस करोड देवतानी सांखु रे,
आधशकित आवड, भले रे ओढयो रे आवडमां भेळीयो (टेक)
माडी आ छे आदि रे अनादिनो भेळीयो (2)
माडी तारा भेळीये गाजे छे चौद ब्रह्मांड रे,
आधशकित आवड, भले रे ओढयो रे आवडमां भेळीयो (टेक)
माडी हवे अमे रे तमारुं बानु पेरीयुं (2)
माडी तुं तो राखजे अमारा बाना केरी लाजु रे,
आधशकित आवड, भले रे ओढयो रे आवडमां भेळीयो (टेक)
माडी आ *"किशन"* कविनी सुणजो विनंती (2)
माडी तमे अमाणो करोने आई उद्धार रे,
आधशकित आवड, भले रे ओढयो रे आवडमां भेळीयो (टेक)
*कर्ता :- चारण कविश्री किशनदानजी भुराभाई लांगा गाम - शिवा*
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*नोंध :- आ रचना ओरीजल छे*


28 मार्च 2017

सरधार नी सिंहमोय - रचियता : कवि श्री नागदेव


आवतीकाले आई श्री सिंहमोई ( जीवणी ) माताजीनो प्रागट्य दिवस छे ते निमिते आईमांनी नी चरज माणीयें  
माडी तारी लीली रे वाडी ने लीलो तारो नेहडो ,
लीलो राखजे चारण कुळनो नेह रे सरधारनी सींहमोय .......
आइ ते तो बाकरने मारयो रे भरी बजारमां

पहेला प्रणाम पृथ्वी मातने ,
पछी लीधा काई रवेशी रवराई ना नाम रे सरधारनी सींहमोय ........
आइ ते तो बाकरने मारयो रे भरी बजारमां

आपा रे धनराज हीमत तमे ना हारसो ,
वारे तारी सिंहण जीवणी आइनो साथ रे ,
सरधार नी सिंहमोय .......
आइ ते तो बाकरने मारयो रे भरी बजारमां

माडी तमे बादशाहना चीरीने कर्या बे भाग जो .,
माडी ( एने ). उंधो रे पछाडी ने थाप्यो पीर रे सरधार नी सिंहमोय .............
आइ ते तो बाकरने मारयो रे भरी बजारमां

माडी दीकरीयु नी लाजु राखवा वेली आवजे ,,
नागदेव कहे वीलंब ना करजे मोरी मात रे सरधार नी सिंहमोय ........
आइ ते तो बाकरने मारयो रे भरी बजारमां

रचियता  कवि श्री नागदेव गढवी

पोस्ट.  मनुदान गढवी

 भुल चुक क्षमा करजो  

18 जनवरी 2017

||चरज- आइ धुनल मा क्रोध करो नही || कर्ता- मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च)

*||चरज- आइ धुनल मा क्रोध करो नही ||*
        *||ढाळ- काळजा केरो कटको मारो ||*
        *||कर्ता- मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*
आइ धुनल मा क्रोध करो नही,
             चरणे लागू पाय,
जगदम्बा जगजननी तुने,
           विनवु छु शरमाय,(टेक.)
सिंहधरी रुप कोप किधो ते,
         काळ बनी तु आइ,
दाँत लोहा हथियार बनावी,
           आण तोरी फरकाइ,                  (1)
आभ गाज्या ने राव चकरायो
         कहर्यो  हाहाकार,
वीज चमकी ने तेज फेलाणो,
          चार बाजू चहकार,                 (2)
आंख जुओ जाणे आग फूँकाणी,
           ए तो काळका नो अवतार,
हाथ नवे हथियार सजीने,
          आविया तारणहार,                (3)
कोप करो नही मावडी मोरी,
          ,माफ़ करो ने आइ,
बाळ गणी ने साय करो,
         मारी आरदा सुणो बाइ,                         (4)
भुल हती मारी एटली के,
      मे लोभ किधो मन माय,
पाप समा मे पोटला बाँधी,
      क्रोध मा पाम्यो काय,
(5)
एक थपाटे रोळियो रा ने,
         भोय पछाड्यो पाय,
आण दिधी ए गाम सेमाडे,
         पग मेले नही राय,(6)
कर जोडाणा ने नाद वर्ताणा,
       धुनल ना जयकार,
आइ गया उडी आभमा त्यातो,
         आभ थयु चमकार,(7)
तुज वीणा नथी कोइ आधारो,
           जीव छते घट माय.,
आइ कृपा नित राखजे अम पर,
         *"मीत"*तोरा गुण गाय,(8)
--------- *मितेशदान(सिंहढाय्च)* ----------
*कवि मीत*
*==================*
*धुनल मा का  स्थान(गाव  मीठन,तेहसील,रेवदर,जिल्लो सिरोही,राजस्थान)*
*================*
*खरो भाव भक्ति तणो,*
           *हैये राखण नार.*
*संचालक सम भरतसिंह,*
           *मित्र भलो इ यार.*
*=================*
आइ श्री धुनल मा की जो मेने चरज रची है उसके लिये मे खरेदिल से श्री भरतसिंह जी का आभार व्यक्त करता हु,
उन्होने मुजे आइ श्री धुनल मा के बारे मे बताया,आइ श्री का इतिहास लिखके भेजा
उसके लिये धन्यवाद केह्ता हु भरतसिंह जी मीठन को.
 *जय.माताजी*

8 जनवरी 2017

लळी लळी पाय लागु रचना :- चारणकविश्री तखतदान रोहडीया (दान अलगारी)

लळी लळी पाय लागु
रचना :- चारणकविश्री तखतदान रोहडीया (दान अलगारी)
लळी लळी पाय लागु दयाळी दया मागु, रे मोगल माडी...(टेक)
तु चौद भुवनमां रेती, उडळ मा आभ लेती,
छोरूने खम्मा केती, रे मोगल माडी
           लळी लळी पाय लागु....(टेक)
डाढाळी देव ऐवी, सुर नाग नर सेवी,
तने केवडीक केवी, रे मोगल माडी
           लळी लळी पाय लागु....(टेक)
घांघणीया घरे आवी, तात देवसुर दिपावी,
वंश चारणे वधावी, रे मोगल माडी
           लळी लळी पाय लागु....(टेक)
तुं छो तरणने तारण, वळी वंशनी वधारण,
चंडीका खरी चारण, रे मोगल माडी
           लळी लळी पाय लागु....(टेक)
त्रिशुळ लईने हाथे, सहु जोगणीनी साथे,
भेळीयो ओढी माथे, रे मोगल माडी
           लळी लळी पाय लागु....(टेक)
धाबळीयाळी धाऊ, सांभळ अमाणी रावुं,
केताक गुण गावुं, रे मोगल माडी
           लळी लळी पाय लागु....(टेक)
दारीद दुःख दळजे, प्रघळा बिरदने पळजे,
वारु करेवा वळजे, रे मोगल माडी
           लळी लळी पाय लागु....(टेक)
गांडी आ देव गरजी, करू हाथ जोडी अरजी,
माडीनी जेवी मरजी, रे मोगल माडी
           लळी लळी पाय लागु....(टेक)
"दान अलगारी" रंग दे छे, भामीणां तोळा ले छे,
तुने उदो उदो के छे, रे मोगल माडी
           लळी लळी पाय लागु....(टेक)
रचना :- चारणकविश्री तखतदान रोहडीया (दान अलगारी)
टाईप ::- www.charanisahity.in
संदर्भ :- चरज थी अरज भाग-1 पाना नं-78 पर थी

खोडल आई खबरु लेजे रचना :- चारणकविश्री तखतदान रोहडीया (दान अलगारी)

खोडल आई खबरु लेजे
रचना :- चारणकविश्री तखतदान रोहडीया (दान अलगारी)
खोडल आई खबरु लेजे, लोबडीयाळी लाभ तुं देजे रे (2)
         खोडल आई खबरु लेजे...(टेक)
माडी तारू बिरद मोटु, जगत तो साव छे खोटु (2)
कळी दळी नाखतो जोटु रे, खोडल आई खबरु लेजे रे
          खोडल आई खबरु लेजे...(टेक)
गुनाहोय बाळना माडी, अवगण करे छोरू अनाडी (2)
पण नगुणी होय नई माडी रे, खोडल आई खबरु लेजे रे
         खोडल आई खबरु लेजे...(टेक)
दैत्योने डारती आवे, पोताना ने पाळती आवे (2)
पातक परजाळती आवे रे, खोडल आई खबरु लेजे रे
         खोडल आई खबरु लेजे...(टेक)
त्रिशूळा तोळती हाथे, सातेय बेनडीयु साथे (2)
भलो ओढी भेळीयो माथे रे, खोडल आई खबरु लेजे रे
         खोडल आई खबरु लेजे...(टेक)
अमी वरसावती आंखे, नवे खंड नजरु नाखे (2)
विरवानी आबरु राखे रे, खोडल आई खबरु लेजे रे
         खोडल आई खबरु लेजे...(टेक)
मामडीयानी ऐटलुं मागुं, जपु तनो पोढता जागु (2)
भेळीयाळी दूर नो भागु रे, खोडल आई खबरु लेजे रे
         खोडल आई खबरु लेजे...(टेक)
माडी तारा नामनी माया, छोरुडाने करती छांया (2)
"अलगारी" ऐ गुणला गाया रे, खोडल आई खबरु लेजे रे
         खोडल आई खबरु लेजे...(टेक)
रचना :- चारणकविश्री तखतदान रोहडीया (दान अलगारी)
टाईप ::- www.charanisahity.in
संदर्भ :- चरज थी अरज भाग-1 पाना नं-79 अने 80 पर थी

पीठड मां ना परचा केवा कर्ता :- चारण कविश्री तखतदान रोहडीया (दान अलगारी)

.      *पीठड मां ना परचा केवा*
कर्ता :- चारण कविश्री तखतदान रोहडीया (दान अलगारी)
पीठडमाना परचा केवा, जगतने जाणवा जेवा (टेक)
लोबडीयाळनी लाकडी आजे, पाटरामा ऐ पुजाय (2)
ऐ.... आदिथी चडे छे चापडा ऐमां, ठीक कौतक घणु थाय
आजु लग साच छे ऐवा, पीठडमाना परचा केवा
          पीठडमाना परचा केवा.....(टेक)
जबरा झांखीने जेर कर्या, ऐवी आगवी वातु अनेक (2)
ऐ... ऐवो भरोसो थाय अटाणे, टाणे राखे कोई टेक
वारे आवे खबरु लेवा, पीठडमाना परचा केवा
           पीठडमाना परचा केवा.....(टेक)
वाणे चडेलाने वावडो वेडे के, भूले दिशानुं भान (2)
ऐ...पोकार करे तेदि' मात पीठडने, सांभळे सर्वे कान
भेरे आवे भीड भंगेवा, पीठडमाना परचा केवा
          पीठडमाना परचा केवा...(टेक)
भेरे रीये नित भेळीयावाळी, वेणे करे नित वात (2)
ऐ... अकलमां कोईने उतरे नई ऐवी, छोरूडाने साक्षात
माडी आपे मीठडा लेवा, पीठडमाना परचा केवा
          पीठडमाना परचा केवा...(टेक)
खलक आखुं तारा खोळले खेले, अलख अविनाशी अंब (2)
ऐ... "दान अलगारी" कये देव दयाळी, बाटीयाणी जगदंब
छोरू आव्या शरणे रेवा, पीठडमाना परचा केवा
          पीठडमाना परचा केवा...(टेक)
कर्ता :- चारण कविश्री तखतदान रोहडीया (दान अलगारी)
टाईप ::- www.charanisahity.in
संदर्भ :- चरज थी अरज भाग-4 पाना नं-31 पर थी

31 दिसंबर 2016

आई श्री सोनल मां मढडा "चरज" - दिलजीत बाटी ढसा जं

आई श्री सोनल मां मढडा
         "चरज"
राग..बदलाय बहू गयो छू...
संकट मटीग्या सामटा आई मां आव्या पछी,
विघनो विखाणां वेगथी आई मां आव्या पछी,....टेक
हती अंधारी रात मां सघळा चारण वरण परे,
तिमीर टळीग्या ते बधा आई मां आव्या पछी,....1
चिंता मटाडी मावडी तमे स्नेहे छोरुडां तणी,
वेम  व्यसन ने कर्या अळगा आई मां आव्या पछी,....2
नानू नोधारु नावडूं तोफानी दरियो छे घणो,
कृपाळू कांठे लाविया आई मां आव्या पछी,....3
अभण हता तेथी ज तो आवडत ओछी हती,
भणतर भणाव्या भावथी आई मां आव्या पछी,.....4
दूनिया तणी आ भीडमां कोण कोने ओळखे,?
ओळखाण ज्ञाती नी दिव्य *दिलजीत* आई मां आव्या पछी,.....5
*बीजोत्सव निमीते*
आई मां सोनल वंदना
दिलजीत बाटी ढसा जं.
मो...99252 63039

16 दिसंबर 2016

मां मोगल चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*जय मां मोगल*
            "चरज"
राग..तूम्हे देखती हू तो ऐसा.
वडी विश्व व्यापी आई मां अमाणी,
विध विध रुपे मां वरताणी,
ओखाधर वाळी एज अवतारी
मोगल रुपे मां मच्छराळी,
वडी विश्व व्यापी .....टेक
नवेखंड नजरु तमारी नेजाळी,
वेगे करो वारु  वडहथ वाळी,
संकट हरणी सदा सूख कारी,
बळवंत बेली रेजो बिरदाळी,
वडी विश्व व्यापी......1
नावडी अमाणी दरिये नोधारी
आफत आवी आई अणधारी
करुणा करो आवी हेते कृपाळी,
विघन विडारण विह भूजाळी,
वडी विश्व व्यापी.......2
रथडों मेलीने रण यूधमां तूं आवी,
डग्या दिग्पाळ धींगी धराने धृजावी,
सेना मृगलानी एक क्षणमां खपावी,
भेळियानी भेट वाळी रमे रगताळी,
वडी विश्व व्यापी.....3
सूखडां दियो दूःख हरी ने दयाळी,
आई मां अमाणी वडहथ वाळी,
समरण मां नू सदा सूखकारी
हानी हरी हैये दयो हरियाळी
वडी विश्व व्यापी......4
शिव ब्रह्मा हरी नारद शारद उचारे,
अष्टसिधी नवेनिधी आरती उतारे,
समंदर साते मांना पगडा पखाळे,
उदो उदो *दिलजीत* दिलथी पूकारे,
वडी विश्व व्यापी.....5
आई मां मोगल वंदना
दिलजीत बाटी ढसाजं.
*मो..99252 63039*

4 दिसंबर 2016

आई श्री सोनलमां चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई श्री सोनल माँ मढडा*
          *चरज*
राग..विधी ना लखिया लेख ..
समरण करिये सोनल आई मनथी मावडी रे,
तारो तारो ने तत्काळ नोधारी नावडी रे,
समरण करिये .....टेक
नवखंड नाम गूंजे नेजाळी,
विघन हरजो विह भूजाळी,
ए वारु थाजो वड हथ वाळी
सोनल मावडी रे,....1
उठता बेहता सूता संभारु,
सपने सोनल मां ने भाळू ,
प्रभाते परथम छबी निहाळू
सोनल मावडी रे...2
अंतर नाम जपू एक धारु,
विचारे ऐकज आई विचारु,
माँ विण जगमां कोण छे मारु
सोनल मावडी रे.....3
गूरु मात पिता भीन भाई,
साची मां थी एक सगाई,
बेलु कायम रेजो बाई,
सोनल मावडी रे....4
माँ एम शबद सूणे ज्यां काने
आवी जाशे त्यां  अनूमाने,
मिस कोल करीतो जो तूं माने
सोनल मावडी रे....5
नरवो माँ  छोरु  नो  नातो,
*दिलजीत* हैया मां हरखातो
चरजू स्नेहे मानी गातो,
सोनल मावडी रे......6
माँ सोनल मढडा नी वंदना
दिलजीत बाटी ढसा जं.
*मो..99252 63039*

8 अक्टूबर 2016

आई श्री खोडीयार मां चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई श्री खोडीयार*
        "चरज"
राग..जागरे.....जाग..जागरे..
खमंकारी खोडीयार तूने वंदन वारंवार..हो..
मघरवाळी मात आवो हवे खमंकारी खोडीयार....टेक
डंख दीधो विर मेरखिया ने क्रोध करीने काळे,
अमृत लेवा आईमां तेदी पूगी तूं पाताळे,
आई आपीने आण मां नभ थंभाव्यो भाण हो,
मघरवाळी मात आवो हवे खमंकारी खोडीयार....1
भाले बेठी रा'नौघणने जाहल वारे जातो,
तारी दयाथी दरिया वचे मावडी मारग थातो,
राखी जाहलनी लाज ऐवी आईमां राखो आज हो,
मघरवाळी मात आवो हवे खमंकारी खोडीयार...2
माटेल धरे  मां तूं बिराजे गळधरा गूण वाळी,
तातणियामां तूंज बेठी छो बूढी मां बिरदाळी,
शकित तूं साक्षात वराणामां विख्यात हो,
मघरवाळी मात आवो हवे खमंकारी खोडीयार....3
राजपरामां राजवी ऐ तारु मंदीर बांध्यू मोटूं,
भावेणाना भूपतीने लाग्यू खलक नू बधू खोटूं,
बेलपे रेती बाई आताभाई ने आई हो,
मघरवाळी मात आवो हवे खमंकारी खोडीयार...4
चरजू लखू स्नेहथी मां नी भीतर केरा भावे,
*दिलजीत बाटी* दिलथी मां ना गूण मधूरां गावे,
अंतरथी करु याद मां सांभळो मारो साद हो,
मघरवाळी मात आवो हवे खमंकारी खोडीयार...5
*मां खोडल वंदना*
दिलजीत बाटी ढसा जं. ना
जै माताजी..मो..9925263039

4 अक्टूबर 2016

आई श्री जानबाईमां देरडी चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई श्री जानबाई मां देरडी*
            *चरज*
ढाळ..मच्छराळी मोगल ...
माडी ऐवी लाखेणी शोभे रे आई तूने लोबडी,
माडी ऐने आभेथी ऐ उतारी आवड आई ऐ रे जगदंबा जानल लाखेणी शोभे रे आई तूने लोबडी....1
माडी ऐने वरुडिऐ ऐ वणी छे जा-जा वालथी,
ऐ माडी ऐने रंगमा रंगी छे रवेची आई ऐ रे जगदंबा जानल लाखेणी शोभे रे आई तूने लोबडी.....2
माडी ऐमा चांदो ने सूरज शकित ऐ छांपीया,
माडी ऐमा नवलाख तारलानी भात्यू रे जगदंबा जानल लाखेणी ऐ शोभे रे आई तूने लोबडी.....3
माडी तारी लोबडिये गंगा ने भेळी गोमती रे,
ऐ माडी ऐमा वहे छे जमूनाना मिठा वारी रे जगदंबा जानल लाखेणी  शोभे रे आई तूने लोबडी....4
माडी तारी लोबडिये समृधी भाळी सामटी रे,
ऐ माडी तारा चरणो  पखाळे सायर साते रे जगदंबा जानल लाखेणी शोभे रे आई तूने लोबडी....5
माडी तारी लोबडिये रिध्धी सिध्धी नव निध्धी निरखी,
माडी तारी चरजू ऐ गावे छे
*दिलजीत बाटी* रे जगदंबा जानल लाखेणी शोबे रे आई तूने लोबडी...6
*देरडी मा बिराजमान आई श्री जानबाई मां -धानबाई मां जागती जगदंबा ओने करोडो रंदना*
दिलजीत बाटी ढसा जं. ना
जै माताजी.-मो-9925263039

25 सितंबर 2016

आई श्री सोनल वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई  श्री  सोनल  वंदना*
             "चरज"
ढाळ..काळजा केरो कटको..
आई करुछू अरजी मारो साद कां सूणे नई,
क्या अपराधे करणी अम थी मूखने म्रोडी गई;
आई करुछू अरजी मारो...टेक
होय हजारु बाळना गूना पण जननी जूवे नई,
धाह सूणे त्या ध्रोडती आवे घटमां घांघी थई,
आई करुछू अरजी मारो...1
गण तारा अवगण अमाणां त्राजवे तोळीश नई,
अंध लंपट अने नफट छोरुना
खाता खोळीश नई;
आई करुछू अरजी मारो...2
माक करीदे मावडी हवे नवा करशू नई,
कीधा गूनाने विहरी जई राखो शरणे राजी थई;
आई करुछू अरजी मारो...3
मढडा वाळी मात आवो हवे आई अवतारु लई,
राह भूलेलाने वाळजे वाटे दिलथी डारो दई;
आई करुछू अरजी मारो...4
मिट मंडाणी मढडे बिजे चितडूं चोंटे नई,
मां विना मोटा देवना गूणला गावा गोठे नई;
आई करुछू अरजी मारो...5
शिव-ब्रह्मा-हरी भूले भले पण
मात तूं मेलीश नई,
मां विहोणा देवना *दिलजीत* देवळ दिठ्या नुई;
आई करुछू अरजी मारो...6
आई श्री सोनल वंदना
दिलजीत बाटी ढसा जं. ना
जै माताजी ।।मो.9925263039॥

22 सितंबर 2016

आई श्री पीठड मां नी चरज : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

*आई  श्री  पीठड  मां*
            *चरज*
राग..हालीरै ऐ हालीने मारा....
भेलडिये ऐ भूजाळी बेठी बाटी कूळ बीरदाळी जो विघन ऐ हरोने वडहथ वाळीरे
ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो...टेक..
अरणा ऐ अहवारी हाथे हेमनी लाकडी वाळीजो,
मां खाडूं रे लावनारी तूं खमकारी रे ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो....1
जाहलनी ऐ वारे हाल्यो जूनाणानो राजा जो,
तेदी' दरियाने ऐ पीधो तेंतो दयाळी रे ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो....2
नावलडी ऐ नोधारी वावडो वेरी लाग्यो वा'वा जो,
मने वमळेथी ऐ बचावो वालप वाळी रे ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो...3
*दिलजीत* ने ऐ भरोंसो तारो भारी लेळिया वाळी जो,
मां छोरुनी ऐ राखो नित रखवाळी ऐ सोयानी पीठड वेली करजे वारुजो...4
            *दूहो*
तूं विना त्री लोकमां ऐके नही आधार,
हवे' वेली करजे वार पोताना जाणीन पीठबाई,
    आ चरज अमारा कूळदेवी
*आई  श्री  पीठड  मां*
नो मढ भेला' भेलडी' अने बाबरियात आ त्रणे गाम ऐकज बापूना वंश वारसदार ना छे *मूळ गाम भेला* उपरथी  *भेवलिया-बाटी*अमारी शाखा छे आ त्रणे गामनो मढ ऐकज गाम भेलडी मा छे जे आ चरज भेलडिये भूजाळी एवू लख्यू छे आपनी जाण माटे
*दिलजीत बाटी ढसा जं.*
ना जै माताजी मो 9925263039

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