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31 जनवरी 2016
30 जनवरी 2016
नारायण स्वामी
KAILASH KE NIVASI
AASHA KARU CHHU AAPNI
GAZAL-KHUSHI DEJE JAMANA NE HARDAM
PRABHATIYA
OM NAMAH SHIVAY
SHIV AARTI
JAP LE HARI KA NAME
LONDON PROGRAM
MOTHARA PROGRAM
RAJKOT PROGRAM
परम पुज्य आई नागबाइ मा
परम पुज्य आई नागबाइ मा
{{ पींगलशीभाइ पी पायक // मातृदर्शन }}
पोस्ट टाइप :- सामराभाइ पी गढवी, गाम मोटी खाखर (कच्छ)
मोरारदान जी सुरताणीया गाम:-मोरजर (कच्छ)
आई नागबाइ जाुनागढना छेल्ला रा मांडलिक त्रीजानां समकालीन हतां. रा मांडलिक सं, १४८९ इ. स. १४३३ मां गादीए आव्यो, ए वखते तेनी उम्मर वीशेक वष नी हती. एटले तेनो जन्म वि. सं. १४६९ इ. स. १४१३ आसपास थयो होवानु जणाय छे. अने आई नागबाइ पुत्र खूंटकरण रा मांडळिकथी दशेक वषे मोटो हतो एटले आई नागबाई रा मांडलिक करतां त्रीशेक वष मोटां होवाथी तेमनो जन्म वि. सं . १४३९ इ. स. १३८३ लगभग थएलो तेम लागे छे,
आइ नागबाइना पितानुं नाम हरजोग गढवी तेमनी शाख अटक मादा. तेओ जुनागढ पासे धणकूलीआ नामना गामे रहेता हता. धणा सुखी हता. खूब भेंसो, गायो राखता अने खेती करावता.आइने जुनागढथी दक्षिणे दशेक माइल पर आवेला दात्राणा नामे गामना गढवी रविसुर (रवसुर) गोरविआळा साथे परणावेलां. तेओ गाम धणी जागीरदार हता. एमनी जागीरमां दात्राणा उपरांत मोणिया हतां. जगदबानां परम ऊपासक अने भक्ति ध्यानमां लीन रहेनारां, वचनसिद्धिवाळां हतां नानी वयथीज तेओ माताजी तरीके प्रसिध्ध थइ गयेला अने नवरात्री मां चंडीपाठ नां पुरश्र्वण थतां. ए वखते हजारो भाविको एमने त्यां आवतां. कहेवाय छे के चोर्याशी गामना लोको नवरात्रिमां माताजीनां नैवैद्य करवा माटे दात्राणा आवतां एटले चरजोमां आई नागबाईने " चोयाशीना चाकळावाळा नी उपमा आपवामां आवी छे. रविसुर गढवीने पहेला लग्र थी भोजो अने वेदो (उपनाम दुदो) नामना बे पुत्रो थएला. तेमांथी भोजो निवॅस स्वगॅवासी थया अने वेदा अथवा दूदाना वशमां गोरवीआळीना गोरवीआळा छे. अने रविसुरनां बीजा लग्र आइ नागबाई साथे थयां तेमनो एकज पुत्र नामे खूटकरण. ए खूटकरणनां धमॅपत्निनु नाम आइ मीणबाइ, जे खूब स्वरूपवान, तेजस्वी अने जोगमाया स्वरूप हतां. खू टकरण अने मीणबाइना त्रण पुत्रो-तेमांथी एक अपुत्र थया. अने बीजा बे तेमांथी एक नागाजण अने बीजा सहूंदर. ऊपर कह्यु तेम खूटकरण रा मांडलिकथी दशेक वर्ष मोटा हता.आने ए बे वच्चे गाढ मित्राचारी हती. उपरांत खूटकरणनु गोरवीळा कुळ आइ गोरवीना वखतथी जुनागढना रा ना वंश साथे दशोंदी तरिके संकळाएलु हतु . खूटकरण पासे सूरजपशा नामनो एक थोके थोके रूपाळो अने भलो पाणीपंथो धोडो हतो. तेना पर स्वार थईने खूटकरण दररोज सवारमां रा पासे जुनागढ आवता अने आखो दिवस रा पासे रोकाता, राजकाजमां सलाहकारनु काम करता. रा ने कसूंबानु बधाण हतु ए बन्ने मित्रो एक बीजाना हाथे कसुंबो लेता साथेज जमता. अने खूटकरण दररोज सांजे पाछा दात्राणे जता. प्रौढावस्थामां खूटकरण गढवीनी तबीयत नरम गरम रहेवाथी तेमना मोटा युवान पुत्र नागाजणे तेमनु स्थान संभाळ्यु. एटले तेओ दररोज जुनागढ आवता अने रा ने कसूंबो पीवरावता. थोडाक समयमांज नागाजणना बुद्धिचातुयॅ , राजनीतिपटुता, चारणवट अने सज्जनतानी घणी सुंदर छाप रा मांडलिकना मन पर पडी राने तेना तरफ खूब मान उपजयु , पोतानाथी दशेक वष नाना नागजण साथे राने नागजणना पिता खूटकरणनी जेमज मित्रभाव दढीभूत थयो. अने हळवे हळवे राजकाजमां रा तेनी सलाह लेवा लाग्या.
आवी रीते रा तथा नागाजण वच्चे वधतो जतो आत्मीयतानो भाव रा ना केटलाक पासवानाे, तेना हजूरीया अने बीजा कर्म चारीओ-कारभारीओने खूचवाो लाग्यो,एमणे संगठ्ति रीते रा ना कान भंभेरवा शरू करी दीधु . तेमणे भेगा मळीने राने कह्यु . के :-
नागाजण पर आप वधारे पडतो विश्र्वास राखो छो ते बरोबर नथी. तेनी वफादारी अने विश्र्वसनियतानी खात्री करवी जोइए रा ए कह्यु के नागाजण चारण छे आइ नागबाइनो पौत्र छे एनी विश्र्वासपात्रतामां मने तो कइ शंका आवती नथी अने धारो के आपणे खात्री करवी होय तो केवी रीते ते करवी ? एटले कारभारीए कह्यु के बापु ! खात्री करवी होय तो नागाजण पासे भलो धोडो छे, राजमां शोभे एवो छे ए धोडानी आप मागणी करी जुओ. जो ए धोडो आपे तो एनी वफादारी, लागणी अने राजभक्ति साचां समजवां, अने जो न आपे तो समजवु के ए पूरो वफादार नथी राने पण नागाजणनो धोडो मेळववानी ईच्छा हती ज , एटले तेणे एक दिवस नागाजण पासे ए धोडानी मागणी करी अने मागे ते किम्मत आपवा कह्यु एटले नागाजणे कह्यु के बापु ! आपनी पासे तो मारा धोडा जेवा हजारो धोडा छे अने आप धारो तो बीजेथी पण एवा अनेक भला धोडा मेळवी शको तेम छता अने मारे आ एकज छे ते मने तथा मारा आखा कुटुबने, आइमाने (आइ नागबाइने ) पण बहु व्हालो छे.एटले मने माफ करो रा ए फरीने पण एकाद वखत कही जोयु पण नागाजण मान्यो नहि एटले रा हदयथी तेना पर नाराज थयो त्यारबाद रा ना पासवानो नागाजण पर वार वार दबाण करवा लाग्या. के नागाजण ! धोडो तो तमारे राने आपवो ज जोइए तसे राना मुलकमां रहो तेमनी आपेली जागीरो खाओ अने धोडो न आपो, ए केम चाले विचार करी जोजो रा ने नाराज करवा मां सार नहि काढो. पण नागाजणे न मान्यु. ते चारण हतो चारणवटनी खुमारी तेना लोहीमां हती; स्वतंत्र प्रकृतिनो हतो. युवान हतो. रा तरफथी धोडो लेवा माटे दबाण आगळ झुकवानु तेना स्चभावमां न हतुं . ए दबाणे तेना मन पर उल्टी असर करी. अने गमे ते परिणाम आवे तो पण धोडो न ज आपवो, ए विचारनी पकड वधारे मजबूत बनी पण दबाण करनारी राज्यसता तेनो अमल करे तो शुं करवुं ए विचार पण तेने मूझवतो हतो.
दरमीआन रानो एक जागीरदार सरदार वीको सरवेयो हतो, तेणे रा ना संबंधी सागण वाढेरने मारी नाख्यो. रा ए तेना पर नारज थइ तेनी जागीर खालसा करी. एटले वीको रा सामे बहारवटुं खेडवा लाग्यो. वीको सरवैयो आम तो सदगुणी अने लायक वीर पुरूष हतो एटले वीरताना पूजक चारणोने तेना तरफ घणो सदभाव हतो, सहानुभूति हती. नागाजण तथा तेना कुटुंबवाळाओने पण वीका तरफ माननी लागणी हती. एक वखत नागाजण सांजने टाणे जुनागढथी दात्राणा जइ रह्यो हतो. त्यारे वचमां ओझतना पेटाळमां वीको सरवैयो सामो मळ्यो. राम-राम जय माताजी कर्या. वीकाए नागाजणना जातवान एने पाणीदार धोडाना वखाण कर्या अने नागाजण ना मनमां मोज आवी अने ते बोल्यो के वीका सरवैया ! तमने धोडो गम्यो छे तो हवे ए तमारो वीकाए ते लेवानी ना पाडी पण नागाजणे कह्यु के मारो संकल्प फरे नहि. मे आप्यो एटले आप्यो. एम कही पराणे धोडो वीकाने आप्यो. आ वातनी रा ने जाण थतां ते अत्यत रोषे भरायो. अधूरामा पूरू तेना पासवानो ए तेने खूब ऊश्केयोॅ एटले तेणे नागाजण पर अने सवे चारणो पर दाब बताववा अने धाक बेसाडवा माटे २०० धोडेस्वारो साथे दात्राणा पर चडाइ करी, पोते जाते चडी आव्यो.
रा धोडा लइने चडी आवे छे, एवा खबर मळतां खूटकरण वगेरऐ आई नागबाईनी सलाह लइने रा नु सुंदर स्वागत करवानुं नककी कयु. वाजते गाजते सामैयुं लइ सामा गया . पण रा ए चारणोनुं स्वागत स्वीकारवानी ना पाडी दीधी अने राजना बहारवटीआने मदद करवानी-राजद्नोह करवानी सज्जा रूपे जुनागढनी हदमांथी नीकळी जवानो हुकम कयोॅ. ९० वष नां आई नागबाईने आ खबर मळतां तेओ पोते पधार्या, राने मळ्यां घणो समजाव्यो. पण हठे भराएलो रा न मान्यो. एटले आई ए कह्यु के बाप रा ! चारणो तो तारा वडवाओ पहेलां आ धरती पर वसेला छे. अने अमे तारा कहेवाथी नीकळशु पण नहि अने जो बळजबरी करवा गयो तो जे थोडा दिवस पछी बनवानु छे, ते आज बनशे. तने खबर नथी के तारा माथे केवु जोखम झझुंबी रह्यु छे. सांभळी ले. तारू राज्य रोळाइ जवानु छे.तु रखडतो थइ जवानो छे. एम मने भणकारा संभळायछे एम न होत तो चारणोनी-माताजीनी मर्यादा लोपवानुं, चारणोनी आजी.विका झुं टवी लेवानु तने न सूझत आइनां ए वेणमां तेने काळ चोघडीयां वागतां संभळाणां. चारणो पर धाक बेसाडवानु, एमने दात्राणामांथी हांकी काढवानु नककी करीने आवेला राने आइ नागबाइ विराटनी प्रलयकारी मूति समान लाग्यां अने ते भयभीत थइने जुनागढ तरफ रवाना थइ गयो. आई घणा नाराज थयां. तेमनु अंत करण कळकळी ऊठयुं रा चारणोना घर पर धोडां लइने आवे अने दात्राणा छोडी जवानो हुकम करे, ए वात आईओनी, चारणोनी संस्कृतिमां ऊछरेलां अने जीवेलां आईमाटे असह्य हती. ज्यां स्वमान न जळवाय त्यां न रहेवानो पोते निणय कर्यो अने पोताना कुटुंबीजनो साथे मोणीये आव्यां. त्यां केटलोकसमय आत्ममंथन कर्या बाद तेमणे निणय कर्यो के जीवननी संध्या चारणोना मूळ निवासस्थान हिमालयनी छायामां , हरद्रार तीथॅ मां गगा किनारे वीताववी अने त्यां रहीने जगदंबानी साथे एकात्मता साधवी, आत्म चितन करी मानव जीवननु साथक करवु सौ कुटुबीजनोने ए निणय जणावतां तेमणे घरे रही, उपासना, ध्यान-भक्ति करता रहेवा माटे खूब आजीजी करी. पण देशकाळनी गतिने पारखी गएलां आइ रोकायां नहि अने हिमालय तरफ प्रयाण कयुॅ तेमनां भक्त एक हरिजन दंपती वेलडु जोडीने तेमनी साथे हरद्नार गएलां अने तेमणे सौए गंगाकिनारे इष्ट स्मरण करतां करता काळ क्रमे शरीर छोडयां. आ हकीकतनी साक्षी पूरती ए हरिजननी खांभी आजे पण मोणियामां आइ नागबाईना मंदिरनी अंदर ज छे अने आइ नागबाइनी पूजा साथे ए खांभीनी पूजा करवामां आवे छे, आरती उताराय छे.
रा ए चारणो पर दबाव पाडवाथी, पुजनीय चारण जातिनी तथा जगदंबा स्वरूप आई नागबाईनी मर्यादानु उल्लघन करवाथी प्रजा समुहमां मोटो खळभळाट मची गयो. तदुपरांत पासवानोनी चडामणीथी रा ए भक्तवर नरसिह महेतानी आकरी कसोटी करी, तेमने दूभव्या, मुश्केलीमां मूकया तेथी पण प्रजा समुहमां रा तरफ घणो कचवाट फेलायो. एज अरसामां सन १४७२-७३मां गुजरातना सुलतान महमूद बेगडाए जुनागढ पर त्रीजीवार आक्रमण कयुॅ. रा मांडलिकने हरावीने जुनागढनु राज्य खालसा कर्यु अने रा माडलिक बहु अपमानित थईने कफोडी दशामां मृत्यु पाम्यो.
आइ नागबाईए समस्त जनताने सविशेष चारणोने अध्यात्मने रस्ते आगळ लइ जवा माटे जीवन भर प्रयत्न करेलो. एमनु जीवन परोपकारमय हतु एमने घरे जे संपत्ति हति तेनो ऊपयोग सौना कल्याण माटे तेओ सदा करतां रहेतां. राजा महाराजाओ अने सर्वे प्रजावर्ग तेमने साक्षात जगदंबा स्वरूप मानतां अने आई पोते पण धर्ममां, आचारमा दढ रही जगसंबाना ध्यान पूजननी साथे साथे कर्मयोगीनी जेम सौनु हित साधतां रहेतां . एमनी उदारता , आतिथ्य प्रेम, परोपकारमयी प्रवृत्तिओ अने धर्मोत्सवोनी जनसमाजना मानस पर ऊंडी छाप पडेली. प्रचलित रीते मातवामां आवे छे. तेम एमणे रा ने शाप आप्यानी वात बरोबर नथी, साची नथी एमणे तो काळनां चोघडियानो शु अवाज छे तेज रा ने कहेलु. आई नागाबाइ तथा रा मांडलिक अगेनी सत्य हकीकत उपर प्रमाणे छे. पण लोकोने लाग्यु के आई जेवां जगदंबाने कचवाववाथी ज रा नु राज्य गयु अने ए लागणीनो पडधो जनमानसना बधा स्तरो पर पडयो अने परिणामे केटलाक रावण हथ्थावाळा जेवा फरता चरता गायकोए साचा इतिहासने मारी मचडीने दोहाओ रच्या; जेमा आई नागाबाईनां पुत्र वधु आई मीणबाइ तरफ रा ए कुदष्टि कर्यानी अने आइ नागाबाइए राने शाप आप्यानी खोटी वार्ता गूंथवामां आवी छे. ते अतिहासिक सत्यथी वेगळी तदन जुठी छे आई नागबाई एवा कोई दोहा के एवां कोई वाक्यो बोलेलां नहि अने रा मांडलिके आई मीणबाइ पर कुद्रष्टि कर्यानी वात पण तदन बनावटी छे. ए दोहाओमां चारणनी कवितानु काव्य तत्व कयांय देखातु नथी, एमां क्याय आई नागबाईना जाजवल्यमान व्यक्तित्वनी झांखी थती नथी. एमनी प्रतिभानी क्यांय झलक नथी. एने रा नी उमर ए वखते ६० ऊपर हती अने ते विषय लंपट पण हतो नहि.
(आइ नागाबाईना पति रविसुर गोरवीआळा आई मोगलनी ७मी पेढीए अने आई गौरवीनी ६ठी पेढीए सीधा वंशज हता. रविसुर, तेमना पिता जशो, जशाना पिता मेपो, मेपाना पिता वेदो, (आई शेण-बाईना पिता वेदो) वेदाना पिता भाणसुर, भाणसुरना पिता सोडचंद्न अने भाणसुरनां माता आइ गौरवी अने सोडचंद्ननां मा ते आई मोंगल)
आइ नागाबाईना केटलाक परचाओनी-चमत्कारोनी वातो तेमना वंशजो रावळदेवो वगेरे पासेथी जाणवा मळे छे. जे नीचे मुजब (१) कोइ कुतुबुदिन गोरी(कुतबो) बहु अनीतिनां कामो करतो अने गामनुं खाडु वाळी गएलो. ते तेना घरमां, पलंग पर सूतेलो हतो. तेने नीचे पछाडयो अने तेना नाकमां नाकर अने पगमां बेडीओ नाखीने बांधेलो पूरेलो अने तेना ७००सैनिकोने पाषाणवत बनावी दीधेला (२) हीरा-अने परवाळ नामनी धोडांओनी उत्तम दैवी जातो नो उछेर कराव्यो(३) पोताना भक्तोना डुबतां१२) वहणोने बचावी लीधेलां (४) सांगड वागेरने अविचळ टीलुं आप्युं (५) कांधल चावडाने चमकपाण कीधुं (६) चारे धामनी यात्रा करी आवीने हेमनी जात्रवाणी सोनानां वासणनी लहाणी करेली.
जय नागबाइ मा
जय माताजी
28 जनवरी 2016
पद्मश्री एर्वोड विजेता भीखुदानभाइ गढवी (लोक-साहित्कार)
पद्मश्री एर्वोड विजेता भीखुदानभाइ गढवी (लोक-साहित्कार)
सौजन्य :-
{१} श्रीमान वेजांध गढ्वी (चारणी साहित्य वेब साइट : www.charanisahity.in )
{२} श्रीमान जीवराज गढवी “ कच्छ-मित्र “ ना प्रतिनिधि
{३} चारण कवि श्री अविचळदान महेडु गांधीनगर
पद्मश्री “पद्मश्री” नो यश कच्छ – गुजरात नी जनताने :- भीखुदान गढवी कोडाय. (ता.मांडवी) ता. २५ : कच्छ साथे निकटनो नातो धरावता गुजरात ना जाणिता लोक-साहित्कार भीखुदानभाइ गढवी ने “ पद्मश्री ” एर्वोड जाहेर थतां ठेर ठेरथी शुभेच्छाओ वच्चे दिग्गज कलाकारे आ सन्मान नो यश कच्छ – गुजरात नी कदरदान जनताने आप्यो हतो। भीखुदानभाइ ए “ कच्छ-मित्र “ ना प्रतिनिधि जीवराज गढवी साथे वात करतां लोक-साहित्यना क्षेत्रमां प्रदान माटे उगता कलाकारोने प्रोत्साहन नी प्रतिबध्द्ता साथे आजीवन लोक-साहित्य नी सेवा नी तत्परता बतावी हती। चारण समाज ना अध्यक्ष विजयभाइ गढवी ए भीखुदानभाइ ना आ सन्मान नी जाहेरात थी कच्छ ना चारण समाज ना कलाकारो मां आनंद नी लागणी फेलाइ होवा नुं कहेता उमेरीयुं हतुं के, चारण समाज मां काग बापु ने पहेलीवार “पद्मश्री” सन्मान मळ्युं हतुं। ऊल्लेखनीय छे के , गुजरात ना मुख्य मंत्री पदे हता त्यारे वडा प्रधान नरेंद्र मोदी साहेब ना हस्ते २००२ मां भीखुदानभाइ ने रविशंकर महाराज एर्वोड , भारतीय संगीत-नाटक अकादमी द्रारा २००९ मां अकादमी रत्न एर्वोड तेमज २०१० मां मोरारीबापु ना हस्ते कागबापु एर्वोड थी सन्मानित कराया हता।
टाइप बाय :- चारण कवि श्री अविचळदान महेडु गांधीनगर गुजरात की और से जय श्री पीठ्ड माताजी री । चारण कवि श्री अविचळदान महेडु गांधीनगर avichalgadhavi@gmail.com Mo. No. 740530 59042
27 जनवरी 2016
नाटक :- व्यसन मुकत चारण समाज सोनल बीज - 2014
Shree Sonal Youth Foundation
प्रस्तुत नाटक :- व्यसन मुकत चारण समाज सोनल बीज - 2014 मुंबई
VIDEO DOWNLOAD :- Click Here
26 जनवरी 2016
25 जनवरी 2016
चारण समाजनुं गौरव
चारण समाजनुं गौरव
(1) श्री भीखुदानभाई गढवी लोक साहित्यकार - जूनागढ
पह्मश्री एवॉर्ड माटे पसंदगी
(2) श्री मुकेशदान बद्रिदान ईशराणी - धुनाना
राष्ट्रपति चंद्रक माटे पसंगदी
खूब खूब अभीनंदन
वंदे सोनल मातरम्
बेस्ट मददनीश मतदार नोंधणी अधिकारी
आ वर्षे बेस्ट मददनीश मतदार नोंधणी अधिकारी (AERO) तरीके
श्री शिवराजभाई डी. गीलवा(गढवी) मामलतदार डीसा
13 - डीसा जिल्लो बनासकांठा नी पसंदगी थयेल छे.
13 - डीसा जिल्लो बनासकांठा नी पसंदगी थयेल छे.
ता.25-01-2016 ना रोज गांधीनगर खाते राज्यपालश्री ना हस्ते एवॉर्ड आपवामां आवेल छे तेना फोटाग्राफ
बेस्ट मददनीश मतदार नोंधणी अधिकारी (AERO) तरीके पसंगदी थवा बदल खूब खूब अभीनंदन
वंदे सोनल मातरम्
24 जनवरी 2016
|| गेली गतराड || . रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
. || गेली गतराड ||
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
. राग: .वरांणा रे वाळी खेलती तुं वैराट मा.(विलंबित)
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
. राग: .वरांणा रे वाळी खेलती तुं वैराट मा.(विलंबित)
ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी, हाक थी कंपे हाथी हजारो ना हाड रे
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...टेक
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...टेक
खोड्य मां रे आवेलुं पेड़ुंय खेलवा , मांगीयो ऐणे बाप मारु नो बाळ रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||01||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||01||
ऐकरंगा मारु ये बेटो आपीयो, रंग छे चारण कुंळ उजाळ्युं राय रे...
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||02||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||02||
नटडा रे बाळक ने लई ने निकळ्या, पुजता पोग्या दीलीयांणे दरबार रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||03||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||03||
पादश्या नी पेलो बाळुडा न पुजीयो, बादसा ने तो जोवतां लागी जाळ रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||04||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||04||
बादसाये बान्यो रो पाता बाळ ने, जोत जोता मां जोध थीयेलो जुवान रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||05||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||05||
पाता रे मारु धोडाय पलांणीया, बळीयो सारण आवियो विंधी बजार रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||06||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||06||
शेरीयुं मां भाळी रे नागण सुंदरी, वदीयुं वेवि साळ नी मोटी वात रे ..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||07||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||07||
आदु थी दीकरीयुं नागोय आपता, घडीयां तोरण घडीयो विधी घाट रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||08||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||08||
परणीं ने गेली पाता ने पुछती, जोगणी हारे सीद थासे संसार रे...
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||09||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||09||
मुकीयां रे हेठां पानेतर मोडीयो, हाक करी ने आपीयुं खांडु हाथ रे...
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||10||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||10||
सगती नो साचो पाता तुं सायबो, समरे तारे साथ दीयुं भव सात रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||11||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||11||
परण्ये जो बिजे के नारी ने पेखसे, गांडो करुं हुं गेली तने गतराड रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||12||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||12||
खंचकातो आव्यो ज्यां मारु खोडमा, जोगणीं एनी याद मां जोडाजोडरे.
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||13||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||13||
मेंणलां रे पाता ने कुडां मारीयां, हठ थी बीजे करीया पीळा हाथ रे...
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||14||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||14||
फरीयो रे फेरा त्यां माथु फेरीयुं, बांधीयो सांकळ बारणा दीधां बंध रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||15||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||15||
बावळी ना बाटी न मारुं ज्यारे बाखड्या, भ्रखीतांमारु भड़ बाटी थ्या भुंड रे.
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||16||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||16||
सांभळी रे पोकुं सुरो थियो साबदो, जोगणी पाता जोड्य मां जोगी दान रे.
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||17||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||17||
खेलवा रे मांड्यो खांडा नाय खेलने, चुड चंडी नो जांणे उठ्यो जमरांण रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||18||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||18||
वळीयो रे ज्यारे वेरी नेय वाढतो, कंथ गेली नो कंपवा मांड्यो काय रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||19||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||19||
मुकीयुं रे खांडु ने देयुं मेलीयुं, खांडीया धरे खोड्य नो पुरो खेल रे..
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||20||
जोगण जोगानी.. ग्रजना रे केवी गेली गतराड नी,...||20||
(मॉं भगवती आई श्री गेली गात्राड ने मारां हजारो वंदन.सह.पाता मारु अने मां गेली गतराड ना जीवन प्रसंग ने संक्षिप्त मां वणीलई जांणवानी ईच्छा वाळा साहीत्य चाहको नी सेवामां..........)
⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳
23 जनवरी 2016
चारण समाजनुं गौरव BEST AERO
चारण समाजनुं गौरव
भारतीय चुंटणी पंच द्रारा 25 मी जान्युआरी राष्ट्रीय मतदाता दिवस तरीके उजववामां आवे छे.
आ निमिते आखा गुजरात मां सारी कामगरी करनारने एवॉर्ड आपवामां आवे छे.
आ वर्षे बेस्ट मददनीश मतदार नोंधणी अधिकारी (AERO) तरीके
श्री शिवराजभाई डी. गीलवा(गढवी) मामलतदार डीसा
13 - डीसा जिल्लो बनासकांठा नी पसंदगी थयेल छे.
13 - डीसा जिल्लो बनासकांठा नी पसंदगी थयेल छे.
ता.25-01-2016 ना रोज गांधीनगर खाते राज्यपालश्री ना हस्ते एवॉर्ड आपवामां आवशे.
बेस्ट मददनीश मतदार नोंधणी अधिकारी (AERO) तरीके पसंगदी थवा बदल खूब खूब अभीनंदन
वंदे सोनल मातरम्
चारणों नी शकित पीठ
आवती काले सवारे 7-30 क़लाके अने सांजे 4-30 क़लाके ETV गुजराती पर "चारणों नी शकित पीठ" आई श्री सोनल मां अंगे प्रसारण करवामां आवशे
आप आ प्रोग्राम आपना मोबाईल / कोम्प्यूटर पर जोवा माटे नीचेनी लिंक ओपन करवा विनंती छे.
वंदे सोनल मातरम्
वेदना
*वेदना*
तारी गुलाबि ठंडीमां हुं, ठरी शक्यो नही,
तारी प्रेम झाकळ हुं, पामी शक्यो नही.
तारी प्रेम झाकळ हुं, पामी शक्यो नही.
बंधानो भले हुं ,तपीने वादळ मां,
पण वरसाद बनीने वरसी शक्यो नही.
पण वरसाद बनीने वरसी शक्यो नही.
सजाव्या मे, घणा सपना भीतर,
पण,तारी सामे कंई दर्शावी शक्यो नही.
पण,तारी सामे कंई दर्शावी शक्यो नही.
उडवा निकळ्यो छुं, ऐक पंखे,
जाणुछुं पडीश,छता मुजने संभाळी शक्यो नही.
जाणुछुं पडीश,छता मुजने संभाळी शक्यो नही.
कर्या प्राप्त अनेक 'वरदान' में,
पण,तारो एक श्राप मिटावी शक्यो नही.
पण,तारो एक श्राप मिटावी शक्यो नही.
:- वरदान गढवी
22 जनवरी 2016
GPSC परीणाम
जय माताजी
GPSC द्रारा लेवायेल Assistant Engineer (Civil) वर्ग-2 (नर्मदा वोटर सप्लाय अने कल्पसर विभाग) Advt No- 109/2013-14नो काले जाहेर थयेल परीणाम मां नीचे मुजबना चारण-गढवी समाज ना उमेदवारो पास थयेल छे.
(1) श्री कपिल पिंगलदान गढवी - भुज कच्छ
(2) श्री जयेन्द्रसिंह दिनेशदान गढवी
(3) श्री विशाल सुरेशकुमार गढवी
पास थयेल तमामने खूब खूब अभीनंदन
वंदे सोनल मातरम्
21 जनवरी 2016
एप्लीकेशन
जय माताजी
धोरण-9 मां अभ्यास करता आपणा विवेकभाई महेन्द्र भाई गढवी ऐ whatsapp जेवी ज ऐक एप्लीकेशन बनावी छे.
आ ऐप डाउनलोड करवा विनंती छे
ऐप डाउनलोड करवा माटे नीचेनी लिंक ओपन करो
वंदे सोनल मातरम्
20 जनवरी 2016
चारण समाजनुं गौरव
चारण समाजनुं गौरव
ता.17-01-2016 ना रोज जाहेर थयेल C.A ना परिणाम मां चारण-गढवी समाजना नीचे मुजब पास थयेल छे.
(1) श्री भगीरथभाई टापरीया - चादधरा हाले सूरत
(2) श्री हेमराज चारण राजस्थान
पास थवा बदल खूब खूब अभीनंदन
💐💐💐💐💐💐
वेजांध ऐम. गढवी
www.charanisahity.in
🙏 वंदे सोनल मातरम् 🙏
19 जनवरी 2016
आई.ऐ.ऐस सुरेन्द्रसिंह बारहट
आई.ऐ.ऐस सुरेन्द्रसिंह बारहट
सीकर . उम्र २९ साल और सफलता का सफर छ्ह साल। कहानी है ग्रामीण पृष्ठ भूमि से निकले पलसाना इलाके के सुंदरपुरा गांव निवासी आइ.ए.इस. सुरेंद्रसिंह बारहठ की।
इसे जिद कहो या जज्बा। इन्होंने केरियर के महज छह साल के सफर में ही शिक्षक से लेकर प्रशासनिक अधिकारी व इनकम टैक्स इंस्पेक्टर तक का पद प्राप्त करने के बाद भी शिखर छूने की दौड जारी रखते हुए आइ.ए.इस. तक का मुकाम हासिल किया है।
लगातार जिद और जोश की बदौलत इन्होंने यह सफलता प्राप्त की हैं। बारहठ इस सफलता का श्रेय माता - पिता के प्रोत्साहन एवं दोस्तों के हौंसला अफजाही को देते हैं।
बारहठ का कहना है कि उनकी पहली प्राथमिकता केरियर के सफर में प्रतियोगी परिक्षा रही है। आइ.ए.इस. बनने के बाद पूरे गांव में खुशी का माहोल है।
चारण कवि श्री अविचळदान महेडु गुजरात की और से जय करणी माताजी री.
टाइप बाय :-
चारण कवि श्री अविचळदान महेडु
avichalgadhavi@gmail.com
Mo. 74053 59042
18 जनवरी 2016
छंद: रेणकी रचना:राजकवि पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला...भावनगर
. छंद: रेणकी
रचना:राजकवि पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला...भावनगर
( जटपट मन चेत तज खटपट)
दूहो....
।। क्यु अटकत शुभ काजमे, खटपट मत कर ख्याल,
कठिन जपट शिर कालकी, जटपट तज जंजाल.।।
रचना:राजकवि पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला...भावनगर
( जटपट मन चेत तज खटपट)
दूहो....
।। क्यु अटकत शुभ काजमे, खटपट मत कर ख्याल,
कठिन जपट शिर कालकी, जटपट तज जंजाल.।।
ज़टपट मन चेत कपट तज खटपट, काल नफट शीर जपट करे...
घटघट प्रति रोग, अघट घट घटना, वटवट ज्ञान विकट वरनं
तटतट फिर तीर्थ सहत संकट तन, मिट तन फेर निकट मरनं,
रटरट मुख राम शमट भवसागर, तरनी शुभ वट शरट तरे..... जटपट...1
घटघट प्रति रोग, अघट घट घटना, वटवट ज्ञान विकट वरनं
तटतट फिर तीर्थ सहत संकट तन, मिट तन फेर निकट मरनं,
रटरट मुख राम शमट भवसागर, तरनी शुभ वट शरट तरे..... जटपट...1
तनमन धन किसन शरन कर अरपन, मन रन हन बन मोक्ष बरं,
छन छन दन जात काल गति धन सम, अमन चमन मन क्युं अडरं,
दरशन मन मगन भजन कर निशि दिन, जपतनिरंजन पाय जरे....जटपट..2
छन छन दन जात काल गति धन सम, अमन चमन मन क्युं अडरं,
दरशन मन मगन भजन कर निशि दिन, जपतनिरंजन पाय जरे....जटपट..2
हर हर पर विपत ध्यान धर हरि हर, डर डर पग भर दुकत डरं.
कर कर शुभ करम धरम अवसर कर, नरवर सब पर सम नजरं.
फर फरना जन्म मरन फेरा फर, श्रीवर चितधर काज सरे.... जटपट..3
कर कर शुभ करम धरम अवसर कर, नरवर सब पर सम नजरं.
फर फरना जन्म मरन फेरा फर, श्रीवर चितधर काज सरे.... जटपट..3
हक हक ग्रह चह तज बदहक, बक बक मत कर जक बदनं,
छक छक मत इश्क तकत क्यूं बद तक, मस्तक फिरत कैफ मदनं,
अतक मिल दूत मचावत धक बक, डारत दोजख जिव डरे...जटपट....4
छक छक मत इश्क तकत क्यूं बद तक, मस्तक फिरत कैफ मदनं,
अतक मिल दूत मचावत धक बक, डारत दोजख जिव डरे...जटपट....4
छलबल तज सकल चपल मन चलदल, पल पल दुःख माया प्रबलं,
जलबल तन खाख होत निर्बल जन, कल न परत गति हे अकलं.
तल तलकि खबर लेत हरि भूतल, चल सदपंथ जनम सुधरे.... जटपट...5
जलबल तन खाख होत निर्बल जन, कल न परत गति हे अकलं.
तल तलकि खबर लेत हरि भूतल, चल सदपंथ जनम सुधरे.... जटपट...5
द्रग द्रग नही तेज देह जब डग मग, पग पग मग मग अलग परं.
चगचग मुख दंत बचन जब फगफग, जम अनुचर लगभग जगरं.
भगवत भज चेत सुभग नर जग भल, पिंगलसुजस अचलप्रसरे....जटपट..6
चगचग मुख दंत बचन जब फगफग, जम अनुचर लगभग जगरं.
भगवत भज चेत सुभग नर जग भल, पिंगलसुजस अचलप्रसरे....जटपट..6
नरेला परिवार ना जय माताजी
भावनगर राजकवि पिंगळशीभाई रचीत रचना
. छंद: रेणकी
रचना:राजकवि पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला...भावनगर
( जटपट मन चेत तज खटपट)
दूहो....
।। क्यु अटकत शुभ काजमे, खटपट मत कर ख्याल,
कठिन जपट शिर कालकी, जटपट तज जंजाल.।।
रचना:राजकवि पिंगळशीभाई पाताभाई नरेला...भावनगर
( जटपट मन चेत तज खटपट)
दूहो....
।। क्यु अटकत शुभ काजमे, खटपट मत कर ख्याल,
कठिन जपट शिर कालकी, जटपट तज जंजाल.।।
ज़टपट मन चेत कपट तज खटपट, काल नफट शीर जपट करे...
घटघट प्रति रोग, अघट घट घटना, वटवट ज्ञान विकट वरनं
तटतट फिर तीर्थ सहत संकट तन, मिट तन फेर निकट मरनं,
रटरट मुख राम शमट भवसागर, तरनी शुभ वट शरट तरे..... जटपट...1
घटघट प्रति रोग, अघट घट घटना, वटवट ज्ञान विकट वरनं
तटतट फिर तीर्थ सहत संकट तन, मिट तन फेर निकट मरनं,
रटरट मुख राम शमट भवसागर, तरनी शुभ वट शरट तरे..... जटपट...1
तनमन धन किसन शरन कर अरपन, मन रन हन बन मोक्ष बरं,
छन छन दन जात काल गति धन सम, अमन चमन मन क्युं अडरं,
दरशन मन मगन भजन कर निशि दिन, जपतनिरंजन पाय जरे....जटपट..2
छन छन दन जात काल गति धन सम, अमन चमन मन क्युं अडरं,
दरशन मन मगन भजन कर निशि दिन, जपतनिरंजन पाय जरे....जटपट..2
हर हर पर विपत ध्यान धर हरि हर, डर डर पग भर दुकत डरं.
कर कर शुभ करम धरम अवसर कर, नरवर सब पर सम नजरं.
फर फरना जन्म मरन फेरा फर, श्रीवर चितधर काज सरे.... जटपट..3
कर कर शुभ करम धरम अवसर कर, नरवर सब पर सम नजरं.
फर फरना जन्म मरन फेरा फर, श्रीवर चितधर काज सरे.... जटपट..3
हक हक ग्रह चह तज बदहक, बक बक मत कर जक बदनं,
छक छक मत इश्क तकत क्यूं बद तक, मस्तक फिरत कैफ मदनं,
अतक मिल दूत मचावत धक बक, डारत दोजख जिव डरे...जटपट....4
छक छक मत इश्क तकत क्यूं बद तक, मस्तक फिरत कैफ मदनं,
अतक मिल दूत मचावत धक बक, डारत दोजख जिव डरे...जटपट....4
छलबल तज सकल चपल मन चलदल, पल पल दुःख माया प्रबलं,
जलबल तन खाख होत निर्बल जन, कल न परत गति हे अकलं.
तल तलकि खबर लेत हरि भूतल, चल सदपंथ जनम सुधरे.... जटपट...5
जलबल तन खाख होत निर्बल जन, कल न परत गति हे अकलं.
तल तलकि खबर लेत हरि भूतल, चल सदपंथ जनम सुधरे.... जटपट...5
द्रग द्रग नही तेज देह जब डग मग, पग पग मग मग अलग परं.
चगचग मुख दंत बचन जब फगफग, जम अनुचर लगभग जगरं.
भगवत भज चेत सुभग नर जग भल, पिंगलसुजस अचलप्रसरे....जटपट..6
चगचग मुख दंत बचन जब फगफग, जम अनुचर लगभग जगरं.
भगवत भज चेत सुभग नर जग भल, पिंगलसुजस अचलप्रसरे....जटपट..6
नरेला परिवार ना जय माताजी
17 जनवरी 2016
श्री सोनल स्तुति वरदान गढवी
✨श्री सोनल स्तुति✨
(रागः विश्वभरी अखील िवश्व...)
हे, सोनल सुखकारणी मात मारी,
अम,चारणो पर छे, कृपा ज तारी.
अम,चारणो पर छे, कृपा ज तारी.
उधारवा तुज चारण, अवतार लीधु,
आपेल वचन ते, चरितार्थ कीधु,
हटावी ते, अंधकार नी झाळी......हे सोनल..
आपेल वचन ते, चरितार्थ कीधु,
हटावी ते, अंधकार नी झाळी......हे सोनल..
हे, सरस्वती ग्यान नो भंडारतुं माडी,
आपी, अमोने अमीवाणी तमारी,
गाइ्यें सदा कविता ज तारी.......हे सोनल...
आपी, अमोने अमीवाणी तमारी,
गाइ्यें सदा कविता ज तारी.......हे सोनल...
तपावी जात खुदनी, ते प्रकाश कीधु,
खेडी परिश्रम ते, कदी न थाक लिधु,
दिपी उठी चारणज्ञाती सारी......हे सोनल..
खेडी परिश्रम ते, कदी न थाक लिधु,
दिपी उठी चारणज्ञाती सारी......हे सोनल..
फरी नेहडे - नेहडे मात तु सारे,
आपीयु चारणो ने ते, ज्ञान वधारे,
हण्या व्यसनो ज्ञानतीर मारी.....हे सोनल..
आपीयु चारणो ने ते, ज्ञान वधारे,
हण्या व्यसनो ज्ञानतीर मारी.....हे सोनल..
महेनत अने पुरुषार्थ नो मार्ग बताव्यो,
मनावी ने मानव थवानो भेद समजाव्यो,
किधु सदा चालवा निती सारी....हे सोनल..
मनावी ने मानव थवानो भेद समजाव्यो,
किधु सदा चालवा निती सारी....हे सोनल..
कह्युजे ते, न समज्या माडी बाळ तारा,
तोली दिधा मातने , समजी ने बाळा,
'वरदान'माफ करजो भुल अमारी....हे सोनल.....
तोली दिधा मातने , समजी ने बाळा,
'वरदान'माफ करजो भुल अमारी....हे सोनल.....
वरदान गढवी
|| गीत नवां नुं गीत ||. रचना: जोगीदान गढवी (चडीया )
. || गीत नवां नुं गीत ||
. रचना: जोगीदान गढवी (चडीया )
. छंद : त्रोटक नी चाल
. रचना: जोगीदान गढवी (चडीया )
. छंद : त्रोटक नी चाल
बहु सोर बकोर करे अबके गीत चीत हीलोळ न ऐक चले
धीब धीब अवाज धींबांग धमा बीन बांध समा झीक झाक झले
बिन राग, उडे ज्यम काग, ने ढोलक वाग रीयुं बस ताल वीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||01||
धीब धीब अवाज धींबांग धमा बीन बांध समा झीक झाक झले
बिन राग, उडे ज्यम काग, ने ढोलक वाग रीयुं बस ताल वीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||01||
नर नारीयुं उंधेय कांध नचे नव सेह सरम्म ने सोहतां हे.
ध्रीज बांग ध्रीजांग ध्रीजांग ने तालेय मांन मुकी पथ मोहता हे
मन मीत न प्रित के सीत बजे सूर गीत खळे खर खोल कीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||02||
ध्रीज बांग ध्रीजांग ध्रीजांग ने तालेय मांन मुकी पथ मोहता हे
मन मीत न प्रित के सीत बजे सूर गीत खळे खर खोल कीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||02||
दीये नांम डीजे रमी आम रीजे खोटा बोल सुणे कोय नाई खीजे
मुकी लाज अने मरजाद धमाचक लटक्क मट्टक खुब लीजे
समजाय नही ईक बोल भलो ज्यम चांग उचांग मे गाय चीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||03||
मुकी लाज अने मरजाद धमाचक लटक्क मट्टक खुब लीजे
समजाय नही ईक बोल भलो ज्यम चांग उचांग मे गाय चीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||03||
नवी शेल छकेल ने खेल सुजे जुनी रीत रीवाजुं ने रोळता हे
भुलीया भुतकाळ ने भाव भलो अब बाप नी ईज्जत बोळता हे,
हलकी हलवे नीज केड्य कहे गीत टोकर मंदीर टीन्न टीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||04||
भुलीया भुतकाळ ने भाव भलो अब बाप नी ईज्जत बोळता हे,
हलकी हलवे नीज केड्य कहे गीत टोकर मंदीर टीन्न टीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||04||
जोगीदान ने आवांय गांन सुंणी अपमांन भळातुंय भारत नुं
नव शारदा के नव आरदा के नव अंतर ना कोई आरत नुं
बहु बोल भर्या वण तोल ने अक्खर भाव टटोल न ऐक भीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||05||
नव शारदा के नव आरदा के नव अंतर ना कोई आरत नुं
बहु बोल भर्या वण तोल ने अक्खर भाव टटोल न ऐक भीना
बस ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीनाधीन, ताक धीना.||05||
(रोड पर जोयेल एक द्रस्य पर थी...आज ना युगना गीतो ये करेल
संस्कृति नी दुर्गती नो चितार करवानो प्रयास..).
⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳
संस्कृति नी दुर्गती नो चितार करवानो प्रयास..).
⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳⛳
शंकरदानजी देथानी रचना
शंकर सुखकर शांतिकर,
दुःखहर दीनदयाल,
हे हर दुःख हरज्यो हवे,
झट लेज्यो संभाल।
दुःखहर दीनदयाल,
हे हर दुःख हरज्यो हवे,
झट लेज्यो संभाल।
कालहर कष्टहर रोगहर रोरहर,
पापहर पिडाहर
प्राणेश्वर प्यारेहो।
सुखप्रद संपप्रद संपती सुतोषप्रद,
शांतिप्रद सर्वभ्रांती
श्रेय करनारेहो
दास दुःखहारी कालपाष के विनाशकारी,
सर्वशक्तिमान आशुतोष
नाम वारेहो।
भारीभयकारी येहै मेरीहै बिमारी तामे शिवप्रियकारी तुम रक्षक हमारे हो।
पापहर पिडाहर
प्राणेश्वर प्यारेहो।
सुखप्रद संपप्रद संपती सुतोषप्रद,
शांतिप्रद सर्वभ्रांती
श्रेय करनारेहो
दास दुःखहारी कालपाष के विनाशकारी,
सर्वशक्तिमान आशुतोष
नाम वारेहो।
भारीभयकारी येहै मेरीहै बिमारी तामे शिवप्रियकारी तुम रक्षक हमारे हो।
जाके रक्षक धुरजटी,
महाकाल के काल,
ताहीको क्या करीशके,
कलेश बिचारा काल।
महाकाल के काल,
ताहीको क्या करीशके,
कलेश बिचारा काल।
यह कवित दोहा यही,
पढही जो रोगीष्ट,
ताही मानुष को त्वरीत,
रोग होईहै मूक्त।
पढही जो रोगीष्ट,
ताही मानुष को त्वरीत,
रोग होईहै मूक्त।
कृर्ता कवि शंकरदानजी देथा।
लींमडी,
टाईपरायटींग बलवंतसिंह मोड,
बावला।
लींमडी,
टाईपरायटींग बलवंतसिंह मोड,
बावला।
भूलचुक क्षमा करशो।
हर हर महादेव
16 जनवरी 2016
तरवारनी वेदनानु गीत
आपणे त्या तरवार उपर घणी जुज रचना जोवा मळे छे एमाय तरवारनी एक बाजु युद्ध ना वर्णण पण अहि मारा फुईना दीकरा अने प्रसिध चारण साहीत्यना वकता एवा भाई श्री अनुभा देवदानभा जामंग जे सुरेन्द्रनगर ना धान्ग्धरा पासेना बावळी गामना वतनी अने हाले सुरेन्द्रनगरमा रहे छे तेमणे लखेल तरवारनी वेदना विशेनु एक गीत आपु छु जेमा तरवारने पण सरम आवे एने क्यारे क्यारे भोठामण थई ते तरवार कविने कहे छे...
|| भाई तेदि शरमाणी समशेर जी ||
शरमाणी समसेर ,
जेदि जुवो काळा थ्याता केर.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....टेक
जेदि जुवो काळा थ्याता केर.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....टेक
उगा माथे आछटी तेदि,
करमाणी ती कुंपेंळ..जी.(२)
आहिर देवात आहिराणी नी,
सुकाणी ती वेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....(1 )
करमाणी ती कुंपेंळ..जी.(२)
आहिर देवात आहिराणी नी,
सुकाणी ती वेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....(1 )
भिया ककलना छये छोरुना,
खांडा धारे खेल जी(२)
ई जाम ना बाळने जाळववा तेदि,
कुमळा शिष वाढेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 2 )
खांडा धारे खेल जी(२)
ई जाम ना बाळने जाळववा तेदि,
कुमळा शिष वाढेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 2 )
पन्ना धाए उदेसिंह ने,
जीव थी वधू जाळवेल जी (२)
इ बन्वीरनी वाढाळी हेठे,
एना व्हालसोया ने व्होरेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 3 )
जीव थी वधू जाळवेल जी (२)
इ बन्वीरनी वाढाळी हेठे,
एना व्हालसोया ने व्होरेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 3 )
बावा वाळाने मळवा आव्या,
पोरह ऊर प्रगटेल जी(२)
इ काठीयाणीनी काळजे खुपी,
तये गर्यना डुंगरा रोयेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 4 )
पोरह ऊर प्रगटेल जी(२)
इ काठीयाणीनी काळजे खुपी,
तये गर्यना डुंगरा रोयेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 4 )
मकान थी मोटा महेल लग निज,
गोतर गर्दन थयेल जी (२)
तेदि भवानिनी आंखडीयुं जोने,
राते आंहुंडे रडेल .
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 5 )
गोतर गर्दन थयेल जी (२)
तेदि भवानिनी आंखडीयुं जोने,
राते आंहुंडे रडेल .
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 5 )
कोई बहेनी ना नंदवाय चुडा,
"अनु" वाळवा नथी मारे वेर जी(२)
ए सघळा पापे काळज सळग्या,
एथी म्यान मा मुख ढाकेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 6 )
"अनु" वाळवा नथी मारे वेर जी(२)
ए सघळा पापे काळज सळग्या,
एथी म्यान मा मुख ढाकेल.
तेदि जोने शरमाणी समसेर जी....( 6 )
चारण कवि अनुभा .डी.जामंग
Mo 9825710949
Mo 9825720949
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Presit :charan Kavi prvin bhai madhuda
Rajkot Mo 95109 95109
Wotsep Mo 9723938056
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कवित चारण महात्मा श्री पालु भगत
कवित (1)
शोक न हर्ष मोह, आलय ना अंग हुको
लयमे सुखालय , सकल जग सारी है.
लयमे सुखालय , सकल जग सारी है.
काउसे विरोध हे न , मन को निरोध किये ,
बोध हे अमित वृती , तदाकार धारी है.
बोध हे अमित वृती , तदाकार धारी है.
काम हे न क्रोध हे न, लोभ हे न क्षोभ हे न,
सुविध्या सुनीतिवान , अविध्या विदारी है.
सुविध्या सुनीतिवान , अविध्या विदारी है.
'पालु' अतोल गती ईश मे अडोल ध्यान,
ऐसे शुर संतन को, वंदना हमारी है ....
ऐसे शुर संतन को, वंदना हमारी है ....
( चारण महात्मा श्री पालु भगत// डायाभाई गढवी (मोटी खाखर))
15 जनवरी 2016
चारण-गढवी समाज ना IAS अधिकारी अने वर्ग-1 अने 2 ना अधिकारीओ नी माहिती
जय माताजी
चारण-गढवी समाज ना IAS अधिकारी अने वर्ग-1 अने 2 ना अधिकारीओ नी माहिती तैयार करवा माटे नानकडो प्रयास करेल छे.
आ कार्य मां सहकार आपवा नम्र विनंती छे.
माहिती नीचे मुजब Whatsaap / ऑनलाइन फॉर्म भरी मोकली शको छो
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नाम :-
होदो :-
कचेरीनुं नाम :-
मोबाईल नंबर :-
वतन। :-
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आ मुजब माहिती मोकली आपवा नम्र विनंती छे
माहिती मोकलवा माटे :-
वेजांध गढवी
Whatsaap :- 9913051642
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आ कार्यमां सहकार आपवा विनंती छे.
ख़ास नोंध :- आ माहिती खाली जाणकारी माटे ज छे जेनी सर्वे नोंध लेवा विनंती छे.
वंदे सोनल मातरम्
पतंग दोर नी प्रित रचना : जोगीदान गढवी (चडीया )
. || पतंग दोर नी प्रित ||
. राग : कागडा कदीये कारहे नावे....
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया )
. दोहो
. बनवुं साचुं बापला , ऐक बीजा ना आंत
. जुदा न थावुं जोगडा, सिखवे छे सकरांत
. राग : कागडा कदीये कारहे नावे....
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया )
. दोहो
. बनवुं साचुं बापला , ऐक बीजा ना आंत
. जुदा न थावुं जोगडा, सिखवे छे सकरांत
. गीत
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुराणी......(०२)
सउ ने जोने सिखवी जाती, उतरायण नी उजाणी..
सउ ने जोने सिखवी जाती, उतरायण नी उजाणी..
साथे उडवा सोगंद लेईने, बेउ नी गोठडी बंधाणी..
कंठ कोरी ने कोटे लगावी(०२) किनिया बंध केहवाणी..
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||01||
कंठ कोरी ने कोटे लगावी(०२) किनिया बंध केहवाणी..
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||01||
दल थी दोरीये साथ दीधो त्यां, मोज्युं आकास नी मांणी
ईरसा पेच मां ढील ना आपतां, (०२)काया दोर नी कपाणी..
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||02||
ईरसा पेच मां ढील ना आपतां, (०२)काया दोर नी कपाणी..
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||02||
साथ पतंग नो छुटतां भेळी, पडती थईन पटकाणीं
नोखाय थाता निरखी जात ने(०२)धणीं विना धुळ धाणी
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||03||
नोखाय थाता निरखी जात ने(०२)धणीं विना धुळ धाणी
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||03||
पतंग एकलो भाळी पवन पण, तुरत लई जाय तांणी
लोक बधा ऐने मांड्या लुंटवा(०२)करुंण थई ती कहांणी
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||04||
लोक बधा ऐने मांड्या लुंटवा(०२)करुंण थई ती कहांणी
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||04||
उजळां बेय छे ऐक बीजा थी, जोगी दान ल्यो जांणी..
ऐकलां ईतो साव अधुरा..(०२)राजा होय के रांणी...
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||05||
ऐकलां ईतो साव अधुरा..(०२)राजा होय के रांणी...
पतंग नी दोर थी प्रितडी पुरांणी...||05||
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खेड़ुत मित्रो माटे ख़ास सॉफटवेर
खेडूत मित्रो माटे ख़ास सॉफ्टवेर
आ सोफ्टवेर मां नीचे मुजबनी सेवाओ खेडूत मित्रोने मलशे.
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14 जनवरी 2016
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