.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

13 मई 2017

||जोगण हवे हाथ ले झाली|| रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)

.         *||जोगण हवे हाथ ले झाली||*
.         *ढाळ: पाये तने विपळी लागु*
.     *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*

नेजाळी नी वात नीराली, खोटो जग भाटक्यो खाली
वंदुं आखा जग थी वाली, जोगण हवे हाथ ले जाली....टेक

तेज रुपी मारो जीवडो छे तूं, योग देणीं अद भूत(02)
वांहळी सी मारा उर मां वागी, भाळीयुं ज्यां पंच भूत
हरखी सामे आव्य ने हाली..जोगण हवे हाथ ले जाली...01

मलके हेली हेत नी मंडी, बाई आ बीजी वार (02)
दैव रुपा तुंने दरसी देवल, एक नोखे अणहार
ओळख ई जुग नी आली..जोगण हवे हाथ ले जाली...02

आंखडी थी मारे वरहे जो आ, निर बनी  तूज नेह (02)
गावुं तारां ज्यां गीतडां त्यांतो, डोलवा मांडे देह
चिंतायुं जाय आ चाली..जोगण हवे हाथ ले जाली...03

ज्योत रुपा जोगीदानजी जोई, आतमे ऐकाकार (02)
पड भोमी पर प्रगटी त्यांतो, तन बाज्यो ऐकतार
बुढी जोबन ना बाली..जोगण हवे हाथ ले जाली...04
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT