माेगल स्तुती(राग) पृथवी पाखंडे खाधी माढ
माेगल देव वडी छे दयाळ रे, पाये नमजाे एनी पाळ
अंतरनादे आवीरे उभी, बाेलने मारा बाप
जेम वाछरु माथे गाय वळुंभे अेम छाेरुनु हैये स्थान...माेगल..
बेलपे रहेजाे सदाये बाइ, वेलेरी सुणजाे वात
घटडामा रटणा अेकधारी, मारा अंतरनी अमीरात...माेगल...
मंगल मुतीँ छे मंगलकारी, सकलकला सुखधाम
काळ कदापी हाेइजाे काेपेल, काइ आवेन अेनु काम..माेगल..
जाणवावाळी जाणी लेशे, अंतर यामी आइ
शरणे जइने शीश नमावाे, केवु पडे नही काइ...माेगल....
वीध वीध रुपे वेदे वखाणी, घांघणीया कुळनी जाय
चरनकमल कीशाेर नीत सेवाे अेने भराेसे रहेजाे भाय..माेगल.
रचना कीशाेरदान सुरु
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