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हरिरसमां महात्मा ईसरदासजी कहे छे के,
आळस वाय अजाणवा,
दिल खुटलसु दूर !
साहब साचा साघका,
हे हाजरा हजूर !!
आळसु, अज्ञानी अने खुटल ऐटले के खोटा कमॅ करनार माणसथी परमात्मा दूर रहे छे अने जेनाथी परमात्मा दूर होय तेना जीवनमां दु:ख, अशांति, प्रतिकुळतानुं प्रमाण वघु होय छे. परंतु जे मनुष्य सत्यनुं शरण ले छे तेना माटे परमात्मा हाजरा हजूर छे अने परमात्मा तेने दु:खमांथी मुकित आपे छे.
🌺जय माताजी🌺
प्रस्तुति कवि चकमक.
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