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12 दिसंबर 2016

आई श्री मोगल वंदना : रचना :- दिलजीतभाई गढवी

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*आई श्री मोगल वंदना*

           *प्रभाती*
राग..मे कानूडा तोरी गोवालण..

ओखा वाळी आई अणाणी मोगल मां मच्छराळी रे,
भीमराणा ना नेहमां भाळी अंबा नी अवतारी रे,
ओखा वाळी आई......टेक..

पग पाताळे आभथी उंची, वैराट रुप वरताणी रे,
भाल तिलक ना कंकू कण मां,
दूनिया आखी देखाणी रे,
ओखा वाळी आई. ...1

शिव ब्रह्मा हरी नारद शारद, जाप जपे जोराळी रे,
गरवा सादे चरजू गावे, रमा उमा ब्रह्माणी रे,
ओखा वाळी आई.....2

ठाकर मां नो चाकर थई ने, धेनू चरावे धजाळी रे,
वाछरु तमाणा वननो राजा, पहर चारे परचाळी रे,
ओखा वाळी आई.....3

चारण तारण अधम उधारण,शकित तूं सूखकारी रे,
उदो उदो भणे *दिलजीत* बाटी, खम्मां करो खमकारी रे ओखा वाळी आई.......4

आई श्री मोगल वंदना

दिलजीत बाटी ढसा जं.

*मो..99252 63039

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