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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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17 अप्रैल 2017

मा सरस्वतीनी उपासक चारण ज्ञातिऐ हंमेशा शुभवाणी बोलवी...!

मा सरस्वतीनी उपासक चारण ज्ञातिऐ हंमेशा शुभवाणी बोलवी...!

आई श्री सोनलमा कहेता के आपणे मा शारदाना उपासको छीऐ, कोईनी निंदा कुथली करीने शारदाऐ आपेल वाणीने कयारेय अभडावशो नहीं.

अपशब्द चारणोथी बोलाय ज नहीं कारण के आपणे अमृतना बाळक छीऐ, विषना नहीं. जे ऐवुं करशे तेना उपर माताजी कयारेय प्रसन्न नहि थाय माटे सौ प्रथम आपणा वहेवारमां माताजीनी प्रतिष्ठा करवानी छे.

वाणी ऐ मा छे. वाणी थकी ज विश्वनो वहेवार चाले छे.

युगशकितमां सोनलमाना विचारो मात्र सिघ्घांतिक न हता ते संपूॅण वहेवारीक अने प्रयोगात्मक हता.

पू. आईमा कहेता के नबळो विचार ऐ ज मृत्यु समान छे.

माणसनी नियत बगडे तो नसीब बगडे. नियत अने नसीबने सीघो सबंघ छे. '' नियत तेवुं नसीब  '' पुरुषाथॅ ऐज परचो छे. निष्फळता ऐ शुं छे ? बीजुं कांई नथी प्रयत्ननो ज अभाव छे.

समाजमां पुरुषाथीॅ माणस ज स्वपनो साकार करी शके.

ऐकबीजाने सुख दु:खमां मुश्केलीमां मददरुप थई पोतानो बनतो टेको आपी उभा करवानी भावना ज्यारे निमाॅण थशे त्यारे ज समाजनी उन्नति थशे.

जय माताजी.

प्रस्तुति कवि चकमक.

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