कंकु तिलक कपाळमा, राखडीयुं हथ रांण
जो नभ माथे जोगडा, भ्रात उग्यो के भांण
सवार मां सुर्य उदय थतां लाली मा छवाई होय एवी कंकु वरणी कोर काढी ने उभेल नारायण जांणे कपाळ मां तिलक लगावी ने बेन ने हाथे राखडीयुं बंधावता होय तेवुं लाग्युं जांणे के आजे भगवान सुर्य नारायण बळेव ना दीवसे भाई थई ने उग्या छे, मारा तेमने नित्य वंदन छे
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