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14 अप्रैल 2018

गीत शाणोर रचिता बाटी विजयभा

*🌸🌸🌸गीत=शाणोर🌸🌸🌸*

*दर्शनो थिया विण पद्य के गद्य मा सुकवि,शब्द नि सोड़मु कहो केम आवे.*
*निर्अथक शब्द ने जोडवा तोडवा,प्रयासो जबरजस्ती तणा केम फावे.*

भावार्थ=हे श्रेष्ट सज्जन कवि जनो कदी पण दर्शनो नी अनुभूती वगर काव्य(पद्य) के पाठ(गद्य) मां शब्दो नी साची सोड़म अहो केम करी ने आवी सके.

निर्अथक शब्दो ने जोडवा अने तोडवा ना जबरजस्ती थी थयेला प्रयासो अहो केम करी ने फावे.

*प्रशस्ति लक्ष्य छे जेहनु तेहनि कलम मां,अहो केम शब्द ब्रह्म बृहद बाढे.*
*कठीन छे खडग थी कलम नी मित्रता,शब्द ना दोष तो कहर काढे.*

भावार्थ=जे लोको खाली सस्ती प्रशस्ति ना लक्ष्य मां अनुरक्त छे तेनी कलम मां अहो आ बृहद शब्द ब्रह्म केम करीने आवी सके.

तलवार करता पण कलम नी मित्रता साचववी घणी कठीन छे कारण के शब्द दोष लागे तो समुळो विनाश थाय छे.

*वर्ण ना सबंधो घनिष्ठ व्यापक रह्या,ई तुटता काव्य ना देव कोपे.*
*जोडकण जोडवा वृथा श्रम वेठवो,रूठीयो शब्द तो जिवन लोपे.*

भावार्थ=अक्षरो(वर्ण) ना अक्षरो साथे घणा घनिष्ट(घाटा) अने अति व्यापक सबंधो छे जो कोई ते अक्षरो ना सबंधो तोडवा ना कारण बने छे तो काव्य ना देव तेना उपर कोपायमान बने.

अने पाछु व्यर्थ जोडकणा जोडवा नो वृथा श्रम पण वेठवो पडे छे साथो साथ ऐ भय पण छे के शब्द रूठीयो तो कर्ता ना जिवन नो लोप पण करी दिये छे.

*पूर्ण अभ्यास विण विषय नव छेडवो,खेलवो नई कदी दाव खोटो.*
*दोवू करजोड विज नवावे शीश ने,शब्द ब्रह्म मांहरे ईष्ट मोटो.*

भावार्थ=पूर्ण अभ्यास वगर कोई पण विषय ने नो छेडवो जोई ऐ आपणे खोटो दाव कदी खेलवो नो जोई ऐ नकर परिणाम विपरीत आवे.

हूं मारा(विज) बन्ने हाथ जोडी मारा शीश नमावी कहूं छुं के मारो ईष्ट शब्द ब्रह्म छे ते सहु थी मोटो छे.

*रचिता=बाटी विजयभा*

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