. *भारत तणी हे भव्यता*
. *रचना: जोगीदान चडीया*
कंचन मुकी ने कथीर चाहे लोक कांनव लाजतुं
अनुकरण बस अंग्रेज नुं देखीन दल बउं दाजतुं
वहरी विदेशी कुडी वातुं धरम ने ध्रुज्जावती
भारत तणीं ए भव्यता मने याद हैये आवती.01
चडीया लगावे जुवो चेतक प्रथम बाजी प्राणनी
स्वामीभगत ई केम सहेतो हांण पत हिंन्दाणनी
पर चंड वातुं ऐ प्रतापी पुस्प सम प्रसरावती
भारत तणीं ए भव्यता मने याद हैये आवती.02
प्राचीन ने सौथी पवितर भोम मत खो भेद मां
नवखंड ने छे नाज ई विज्ञान मुळ छे वेद मां
अहीयां विदेसी नेय वसुधा खंतथी खवरावती
भारत तणीं ए भव्यता मने याद हैये आवती.03
मां भौम नो झंडो मीसर लग फडड फडडड फरकतो
अभिमान नई अमिरात झरतो गर्व आभे गरकतो
सिंधु ने झेलम सदा निरमळ नेह थी नवरावती
भारत तणीं ए भव्यता मने याद हैये आवती..04
सम्राट थई ने मौर्य सिखवे अखंडीतता अंकने
संगे खमीरता एक सरखी राव ने अने रंक ने
दुश्मन तणां दळ कटक ने जे चंडीका थई चावती
भारत तणीं ए भव्यता मने याद हैये आवती.05
चिडीया नहीं आ चंडीका छे राजपुती रीत छे
हिम्मत कदी ना हारती ए जुग जुगांन्तर जीत छे
जननी मुके रण बीच जायो गीत विरता गावती
भारत तणीं ए भव्यता मने याद हैये आवती.06
अाभौम करशन बुद्ध म्हावीर बचन अमुलख बोलता
सुंणतांय सिेंकर बणीं सावज द्हाडदई ने डोलता
शिव शिसवासी सांन्तनु कज गीत प्रीती गावती
भारत तणीं ए भव्यता मने याद हैये आवती.07
जगदंब जोगीदान माता जनक तनया जानकी
राघवसभा निज तातसामे उभी मुरती आनकी
अबळा तणां ई एक सादे धरम रखवा धावती
भारत तणीं ए भव्यता मने याद हैये आवती.08
क्रमशः.......
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