*शिवरात्री ना महा पर्व ना दिवेसे भगवान शिवनी वंदना करतो*
*चारणी शिव तांडव*
. 🍃 *|| शिव अष्टपदी ||* 🍃
. *रचना : जोगीदान गढवी (चडिया )*
. *छंद : अष्ट पदी नाराच*
डिमडिमाक डिमडिमााक डिमडिमाक डम डमा
बजंत डाक शिव का धरा पडांय धम धमा
तणंत घोम तिरहूरा त्वरीत्त वेग लै तमा
उठंत नाद घोर त्राड प्हाड देत पड़ घमा
धगंत लाल लोचनाय तेज सूर टमटमा
अनाधी देव ईश तुं निकुल्ल नाथ निरगमा
प्रचंड जोम जड़ घराय जोगीदांन को जमा
जीभे करंत हे रमा खमा खमा खमा खमा..||01||,
चडे चबांन चारणांय छंद शी करी छटा
कीया प्रकट्ट काळशाय जड्धरा खुली जटा
धडं धडा धडक धडक धरा धमंक घुर्जटा
कडड थडड फडड फटाक फेण शेष का फटा
किलक्क किलक्क भेरूकाळ बोलतोल बंम्बमा
नटाट रंग नाच शुं सकंभरी करे समा
प्रचंड जोम जड़ घराय जोगीदांन को जमा
जीभे करंत हे रमा खमा खमा खमा खमा..||02||
धरा पडंत गंग धार धोध शीश पे धर्यो
खुली जटा लटा कटाय भद्र विर सुं भर्यो
फरर फरर फरर फड़ाक फेर फूरदडी फर्यो
हर्यो है दक्ष हाम धाम ठाम ध्वंस के ठर्यो
डडम् डडम् डडम् डडम्ब डाक बोल डमडमा
ततत्त् ताक थाक थैय नाट राज ना थमा
प्रचंड जोम जड़ घराय जोगीदांन को जमा
जीभे करंत हे रमा खमा खमा खमा खमा..||03||
बबंम्ब बबंम्ब बंम्ब बंम्ब बंम्ब नाद बज्जीया
शिवंम प्रकट्ट संग विर सैन्य प्रेत सज्जीया
हडड हडड हडड हुकंत भूत नाथ भज्जीया
कीये भ्रकुंड नैंण काळ रुप क्रोध कज्जीया
अघोर घोर नाद मे चले फुकंत चिल्लमां
कपोल कांघ शिश कट्ट भूत प्रेत सा भमा
प्रचंड जोम जड़ घराय जोगीदांन को जमा
जीभे करंत हे रमा खमा खमा खमा खमा..||04||
घुमी उमड घुमड जटा घने घुमंड घोरीयां
गड़ड हड़ड कड़ड कड़ेड फट्ट आभ फोरीयां
सुट्यो सड़ाफ डांफ नंदी हांफ राव होरीया
धमा धमाक देत धींह धाक दक्ष धोरीयां
जली सती अती कलीक् काळ हाड कमकमा
बजंत पाय पयजणां छनन छनन छमा छमा
प्रचंड जोम जड़ घराय जोगीदांन को जमा
जीभे करंत हे रमा खमा खमा खमा खमा..||05||
दीयंत त्राड प्हाड फाड़ पांण भौम जा पडा
करंत शिव काल कोप जोप धोप जोगडा
दीखंत्त रौद्र रुप दक्ष तांडवम तडम तडा
भगे कहां भवां पिताय जग्ग राह नव जडा
थरर थरर थरर थयल्ल काय ध्रुज कमकमा
मनस्वी पुत्र ब्रह्म मान नाथ पाव मे नमा
प्रचंड जोम जड़ घराय जोगीदांन को जमा
जीभे करंत हे रमा खमा खमा खमा खमा..||06||
खडड भडड खड्यो खलक्क खंड द्विप खंडीया
जली कहंत जोगडो चिता विहीन्न चंडीया
रुके न रौद्र रुप शीश मुंड काट मंडीया
भ्रकुंडी नाथ भोळीयाये दक्ष राज दंडीया
हरी गये हरर तदे तमस्वी देख कर तमा
चल्यो हे चक्र वक्र हस्त देह टुक्क कर दमा
प्रचंड जोम जड़ घराय जोगीदांन को जमा
जीभे करंत हे रमा खमा खमा खमा खमा..||07||
विसो खटा खटा विसोय पिंड देह परगमा
सति हती हती नती य झीक नेंण से झमा
हयात हिम जोड्य हाथ शिस झुक्क के क्षमा
सती पति जपे जती अरप्पीयुं सूता उमा
करत्त सेव देव हेव रंज मन्न नई रमा
पवित्त चित्त हीत्त मात पार वत्तीयां पमा
प्रचंड जोम जड़ घराय जोगीदांन को जमा
जीभे करंत हे रमा खमा खमा खमा खमा..||08||
(अथः श्री शिव किर्तन अष्टपदी नाराच अष्टक संपुर्णम् )
(विसो खटा = 26 + खटा विसो = 26
ऐटले के 26+26= 52 टुक मां सति नो देह थयेल (खट =6))
(भगवान शिव दक्ष नो ध्वंस करवा हेतुज यग्न स्थाने आवेल
अने ते पछी हीमालय के महाराजा हिमावन अने मैनावती नी
भक्ती वान पुत्री पार्वती साथे लग्न हेतु कैलास पर रोकांण थयुं
अने माता पार्वती ना मेळाप थी अतः अष्टक ने अंतिम चरण
आपवा नो प्रयास आप सहुने गमशे ऐवी आशा व्यक्त करुं छुं)
🙏🙏🍃🍃 *ऊँ नमः शिवाय* 🍃🍃🙏🙏.
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