.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

15 अक्तूबर 2015

अजा उमाजी अंबाजी लींबडी - राजकवि श्री शंकरदान देथा

जय माताजी
आजे त्रीजु नोरतु छे . ते निमिते लींबडी राजकवि श्री शंकरदान जेठीभाई देथा नी एेक  रचना  माणीये
                                      अजा उमाजी अंबाजी
दुहो 

प्रसन प्रसन प्रसनाननी , हम पर रहो सदाय ,
प्रणतपाल परमेश्वरी , जय अंबा जगराय .

         || छंद त्रिभंगी || 

जय जगरायाजी , महामायाजी , शुसि कायाजी , छायाजी ,
होवो शिशु पाजी , तउ क्षमाजी , कर तुं हाजी , हा हा जी , 
प्रिति नित ताजी , नहि ईतराजी , वा माताजी , वा वा जी ,
रहो राजी राजी , हम पर माजी , अजा उमाजी , अंबाजी 
जय अजा उमाजी , अंबाजी ......टेक ||1||

धवलांबर धरनी , उजवल बरनी , शंकर धरनी , शंकरनी ,

निज जन निर्जरनी , रक्षा करनी , अशरन शरनी , अध हरनी , 
वासी गिरवरनी , शिव सहचरनी , हिम भूधरनी , दुहिता जी ,
रहो राजी राजी ..........||2||

चकवे चरिताळी , बूढी बाळी , जोबनवाळी , जोराळी ,

विध विध वपु वाळी , अकळ कपाळी , मृडा दयाळी , मायाळी ,
आपाति अघ टाळी , कर रखवाळी , तूं अेको मम , त्राता जी , 
रहो राजी राजी ..........||3||

प्राकम पामेवा , विजय करेवा , लेवा जग जश लाभेवा , 

अजरामर अेवा , अभय अभेवा , देवन देवा ,महादेवा ,
चाहत तुव सेवा , हरी-हर जेवा , देवी वांच्छित फल , दाताजी ,
रहो राजी राजी ..........||4||

निगमागम जाणी , विविध वखाणी , पुनित पुराणी , परमाणी ,

सुर सेव्य सयाणी , मा महाराणी , रुप ब्रमाणी , रुद्राणी ,
विध्याप्रद वाणी , वीणा पाणी , वरदाणी , विख्याताजी , 
रहो राजी राजी ..........||5||

महिषादीक मारणी , असुर अहारणी , खळदळ दारणि , खग धारणि , 

सुरजकाज सुधारणि , अमर उधारणि , कष्ट निवारणी , शुभ कारणि ,
आश्रीत उगारणि , दुर्मिति हारणि , चारणि चंडि प्रख्याताजी ,
रहो राजी राजी ..........||6||

शंतर कैलासी , संग प्रवासी , सदा हुलासी , सूख राशी ,

गिरी गबर निवासी , विध्य विलासी , टाळण फांसी , चोरासी ,
रुषि सहस्त्र अठ्यासी , सिध्ध सन्यासी , गुण चारण सुर , गाताजी , 
रहो राजी राजी ..........||7||

सेवक कवि "शंकर" कहत जोरि कर , कृपा नजर कर करुणाळी , 

मोही ताप मुगतकर , षड रिपु क्षयकर , तन-मन दु:ख हर , त्रिशुळाळी ,
गिरीजा मा मम घर , रिध्धि सिध्धि वृधि कर , दे सुबुधी सुख , शाताजी ,
रहो राजी राजी ..........||8||

           || छंद : छप्पय ||
नमो अंबीका उमा , अद्रिजा अजा अपर्णा ,

नमो गौरी गिरिसुता , आशापुर्णा , अन्नपुर्णा ,
नमो भीड भंजणी , भवा भगवती भवानी ,
नमो दया सागरी , देवि दुर्गा महादानी ,
दु:ख दमनि सिधेश्वरी शंकरी , कृपा सिघ्र मम पर करो ,
शिव प्रिया हुं "शंकरदास" के ,दुरित रोग दारिद हरो ,

                 || दुहा ||
सुमती आयु आरोग्यदा , वांच्छिंत प्रदा विख्यात , 

धन यश स्त्री सुख धामदा , नमो अंबिका मात (1)

जिमि दिनकर के दरशते , सिघ्र तिमिर विनसाय ,

ईमि अंबाष्टक उचरते , पाप त्रिताप नसाय , (2)

रचयता :- कविश्री शंकरदान जेठीदान देथा ( लिंबडी राज कवि )

टाईप :- मनुदान गढवा - महुवा.

     9687573577
टाईपमां भुल होयतो क्षमा करजो

          वंदे सोनल मातरम् 

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

Vah limdi kaviraj vahh

Sponsored Ads

ADVT

ADVT