|| जे कुळ झुल्ला जोगडा, सांयो साचो संत ||
राजस्थान नुं भोवाणा गाम के ज्यां वरहडा साखा ना चारणो नी जागीर अने काव्य कळा मां ऐटला उमदा के ऐमनी साखाज वरसदा ऐटले जेने मा सरस्वती नुं वर(वरदान) सदा (कायम) छे..ऐक केहवत पण प्रचलीत छे के भुज नो भणेलो (भुज पिंगळ साळा मां) अने भोवांणे जणेलो बेय बराबर..
ऐक वखत आलाजी वरहडा भुज पधार्या अने भुज महाराज तेमनी काव्य कला थी ऐटला अभीभुत थया के तेमने लाख पसाव करवा कह्युं पण आलाजी नी रेखा बदलांणी नही...पछी तेमने नवाजवा सोना ना आभुसणो थी सज्ज सोना नी झुल्ल वाळो हाथी नजराणां तरीके आप्यो ......
ऐक वखत आलाजी वरहडा भुज पधार्या अने भुज महाराज तेमनी काव्य कला थी ऐटला अभीभुत थया के तेमने लाख पसाव करवा कह्युं पण आलाजी नी रेखा बदलांणी नही...पछी तेमने नवाजवा सोना ना आभुसणो थी सज्ज सोना नी झुल्ल वाळो हाथी नजराणां तरीके आप्यो ......
झुल्ला कंचन झुल्लसे, मेंगळ आला मल्ल
जेह नवाज्यो जोगडा, भूज बडो भुज बल्ल.
जेह नवाज्यो जोगडा, भूज बडो भुज बल्ल.
आंम सोना नी झुल थी झुलतो हाथी नजरांणा मा प्राप्त कर्यो त्यारे ते वरहडा माटे भुज थी ऐक केहवत नी सरुवात थयेल के
कण करहडे ने विध्या वरहडे... तथा ते आलाजी ना वंशजो झुल्लीया उर्फ झुला तरीके ओळखाया जेमां ...आगळ जतां...कानमेर..रोझु..ईडर..चंदुर..मुंजपुर..समी..उघरोज..सुरपुरा..कुकराणा..कुवावा..लीलसा..ईत्यादी गामो मां हाल आलाजी नी गाथा ना ईतिहास समा विध्य मान छे...तेमां कुवावा मां महात्मा सांयाजी झुला (नाग दमण ना रचयता, जे नाग दमण आखुं पाठ करवा थी साप नुं झेर उतरी जाय तेवो सिद्ध ग्रंथ) के जेे ईडर नी कचेरी मां.....चालु वार्ता मां उभा रही ग्या अने हाथ मसळवा मांड्या...हाथ काळा थया...महाराजे पुछ्युं के सुं कर्युं कविराज ? तो सहजता थी कह्युं के ठाकर ना वाघा सळग्या ता तो ओलवतो हतो....
कण करहडे ने विध्या वरहडे... तथा ते आलाजी ना वंशजो झुल्लीया उर्फ झुला तरीके ओळखाया जेमां ...आगळ जतां...कानमेर..रोझु..ईडर..चंदुर..मुंजपुर..समी..उघरोज..सुरपुरा..कुकराणा..कुवावा..लीलसा..ईत्यादी गामो मां हाल आलाजी नी गाथा ना ईतिहास समा विध्य मान छे...तेमां कुवावा मां महात्मा सांयाजी झुला (नाग दमण ना रचयता, जे नाग दमण आखुं पाठ करवा थी साप नुं झेर उतरी जाय तेवो सिद्ध ग्रंथ) के जेे ईडर नी कचेरी मां.....चालु वार्ता मां उभा रही ग्या अने हाथ मसळवा मांड्या...हाथ काळा थया...महाराजे पुछ्युं के सुं कर्युं कविराज ? तो सहजता थी कह्युं के ठाकर ना वाघा सळग्या ता तो ओलवतो हतो....
ठार्या तें ठाकर तणां, वाघा सांया वीर
जे गढ ईडर जोगडा, थडक विरमदे थीर.
जे गढ ईडर जोगडा, थडक विरमदे थीर.
(ईडर महाराजा विरमदेव ना समकालीन सायाजी)
ईडर गढ ने उतरी, साया माथे शंक
जेह विरम दे जोगडा, आडोय भाटां अंक
जेह विरम दे जोगडा, आडोय भाटां अंक
विरमदेव ने भाटो नी वातुं ना भान रेतुं ..अने साया बापु माथे संका करी..अने वाघा ओलव्या के नई ऐ खातरी करवा छेक द्वारीका गया..
ईरमां तो सायां बापु ना हाथ काळा थ्याता पण द्वारीका खात्री कर्या बाद तो भाट नां मोढा काळा थई ग्या ता..
ईरमां तो सायां बापु ना हाथ काळा थ्याता पण द्वारीका खात्री कर्या बाद तो भाट नां मोढा काळा थई ग्या ता..
आप समा थी उजळी, नव खंड माथे नात
जग साया कर जोगडा, विर साया नी वात
भेंती पेठी भाट ने, खेल्या अवळा खेल
तोय
गुंणीयल करतो गेल, जो गढ ईडर जोगडा
जग साया कर जोगडा, विर साया नी वात
भेंती पेठी भाट ने, खेल्या अवळा खेल
तोय
गुंणीयल करतो गेल, जो गढ ईडर जोगडा
सायो दुभव्यो शंक थी, (ई) ईडरा तणीं अबक्ख
(माटे) वहमी लागी वक्ख, जालणसी ने जोगडा
(माटे) वहमी लागी वक्ख, जालणसी ने जोगडा
सळग्या वाघा स्यामना, वाले करीयल वार
जे सांया ने जोगडा, तनमन कानड तार
जे सांया ने जोगडा, तनमन कानड तार
ठार्या तें ठाकर तणां, वाघा सांया वीर
जे गढ ईडर जोगडा, थडक विरमदे थीर.
जे गढ ईडर जोगडा, थडक विरमदे थीर.
पंचाळी ना पुरीयां, वेगे दोडी न वीर
चारण ठारे चीर, झुल्लो सांयो जोगडा
चारण ठारे चीर, झुल्लो सांयो जोगडा
रचना: जोगीदान गढवी (चडीया )
ऐवा चारण रत्न सांयाजी झुला नो आजे भादरवा वद नोम ने तारीख 6/10/15 नो जन्मदीन होई मारी आप समस्त स्नेही जनो ने
नव दोहा थी नवमी नी शुभःकामना
नव दोहा थी नवमी नी शुभःकामना
जय श्री कृष्ण
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