चारण गौरव भग्तकवि पद्म श्री दुला भाया काग ना जन्मदीन नी हार्दीक वधायुं .....
. || कंठ मयूरी काग ||
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
धन धन माता धानबा,भाया ना बड़ भाग
जगमां पाछो जोगडा, क्यारे जनमे काग.१
जगमां पाछो जोगडा, क्यारे जनमे काग.१
मळे न आखा मलकमा, तव कविता नो ताग
जायें वाटु जोगडा, (हवे) क्यारे जनमे काग.२
जायें वाटु जोगडा, (हवे) क्यारे जनमे काग.२
खाइ खुखाारो खेहता, खतरी हथमा खाग
जोम भरंडो जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.३
जोम भरंडो जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.३
देव समो ई दीपतो, पेरी सिर पर पाग
जोगी रुप सो जोगडा, क्यारे जनमे काग.४
जोगी रुप सो जोगडा, क्यारे जनमे काग.४
काग वांणी ये कोळव्यां, बावन फुलडां बाग
जबर कवि ई जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.५
कलम थकी कंडारियो, राज पुतांणी राग
जगवे ऐवो जोगडा, (हवे) क्यारे जनमे काग.६
जबर कवि ई जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.५
कलम थकी कंडारियो, राज पुतांणी राग
जगवे ऐवो जोगडा, (हवे) क्यारे जनमे काग.६
छटा अटंक छपाखरे, रुषी समोवड राग
जपट करंदो जोगडा, क्यारे जनमे काग.७
जळक्यो चारण जातमां ,आतम रखी अदाग
जपतो राघव जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.८
जपट करंदो जोगडा, क्यारे जनमे काग.७
जळक्यो चारण जातमां ,आतम रखी अदाग
जपतो राघव जोगडा,(हवे) क्यारे जनमे काग.८
छँद दुहा नोखी छटा, रसभर मिठडो राग
जीवने अरघे जोगडा, कंठ मयूरी काग.९
जीवने अरघे जोगडा, कंठ मयूरी काग.९
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