सोंपी देने सामळा
रचना :- कवि आल
नरहर स्वरूप इशरा
पिंगल पाछो जाग
कवि अमारो काग
सोंपी देने शामळा
पिंगल पाछो जाग
कवि अमारो काग
सोंपी देने शामळा
मांडण ब्रह्मानंद सो
थार्यो देवीदान
कवि अमारो कान
सोपीं देने शामळा
थार्यो देवीदान
कवि अमारो कान
सोपीं देने शामळा
राफुनो कवि जीवणो
जीवो मस्त कविजान
देथा शंकरदान
सोंपी देने शामळा
जीवो मस्त कविजान
देथा शंकरदान
सोंपी देने शामळा
कोलवो चारण केशवा
मुक्त पाछो मेल
पातो पास राखेल
सोंपी देने शामळा
मुक्त पाछो मेल
पातो पास राखेल
सोंपी देने शामळा
आढा जेवा आपजो
चारण खूब चतुर
झुलो कवि जरुर
सोंपी देने शामळा
चारण खूब चतुर
झुलो कवि जरुर
सोंपी देने शामळा
कवि नो पुस्तक
किरतार कविता कुटिर
किरतार कविता कुटिर
टाइप हरि गढवी ववार कच्छ
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