राग : माडी तारुं कंकु खयुॅने...!
सोनल तारी कृपा थईने......!
सोनल तारी कृपा थईने चारण जागीयो,
समाज माटे जाणे सोनानो सूरज उगीयो,
कृपा थईने चारण जागीओ....सोनल तारी...
समाज माटे जाणे सोनानो सूरज उगीयो,
कृपा थईने चारण जागीओ....सोनल तारी...
भर रे नींदरमांथी चारण ज जागीयो,
भणतर तणो मा ऐ मंत्र ज आप्यो,
अज्ञानना अंघकारमां जाणे दीवो जळहळीयो,
कृपा थईने चारण जागीओ...सोनल तारी...
भणतर तणो मा ऐ मंत्र ज आप्यो,
अज्ञानना अंघकारमां जाणे दीवो जळहळीयो,
कृपा थईने चारण जागीओ...सोनल तारी...
मावडीनी शिखामणमां ज्ञान लेजो गोती,
ई छे चारण समाजनी जागती रे ज्योती,
कुबुद्घी रुपी मननो भूत ज भडक्यो.
कृपा थईने चारण जागीओ....सोनल तारी....
ई छे चारण समाजनी जागती रे ज्योती,
कुबुद्घी रुपी मननो भूत ज भडक्यो.
कृपा थईने चारण जागीओ....सोनल तारी....
मा ना प्रतापे चारण चडती कळा पाम्यो,
सोनलमा ऐ सौनी पर अमीकुंपो ढोळ्यो,
सारो समाज मा ना चरणोमां झुक्यो.
कृपा थईने चारण जागीयो.....सोनल तारी...
सोनलमा ऐ सौनी पर अमीकुंपो ढोळ्यो,
सारो समाज मा ना चरणोमां झुक्यो.
कृपा थईने चारण जागीयो.....सोनल तारी...
'' कवि चकमके '' भाव अंतरमां घरीयो,
सौ चारण ऐक घारण बनीयो,
मा ना उपदेशनो सौने रंग ज लाग्यो.
कृपा थईने चारण जागीयो.. सोनल तारी...
सौ चारण ऐक घारण बनीयो,
मा ना उपदेशनो सौने रंग ज लाग्यो.
कृपा थईने चारण जागीयो.. सोनल तारी...
जय माताजी.. कवि चकमक
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