, || कोई पुछो हाल फकीरो ना ||
, गझल
, रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)
कोई पुछो हाल फकीरो ना(०२) नेंणे थी वरहता नीरो ना,....टेक
आ भवरण मां रझळी भटकी ने, पग मां छालां खुब पड्या(०२)
हैया मां हजारो होळी लई(०२) आ दील सळगे दील गीरो ना ,,कोई...
रंगो तो प्रभुये खुब रच्या, पण रंगाळो रूठेल रह्यो,(०२)
भीतर नी भींते लटकेली (०२)आ बिन रंगी तसवीरो ना,, कोई...
ऐ रीत जगत नी जूग जुनी, मन मान्या ने मळवा नही दे(०२)
चडीया रांझा नी चीखो जो,(०२)हजीये छे नीसासा हीरो ना,, कोई...
आखुंय जीवन प्रिती मां गयुं, पण कोई मळ्युं ना पोतानुं (०२)
ऐ जोगी अजब ना खेल हता (०२) हाथो नी चार लकीरो नां,, कोई....
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