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22 अगस्त 2016

अविलंब शंकर आवजो रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत

.         अविलंब शंकर आवजो
.                दुहो
.  रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत
शिव कृपाल समरथ सदा, मुदा हेत महादेव,
वंदा पाव उमदा प्रभु, प्रदा भकती अभयेव.
.                छंद : हरिगीत
मद दोष गंजन भक्त रंजन, कृपा अंजन कर कृपा,
हे भीड भंजन तु नीरंजन, आत्मा अजपा जपा,
विश्वेस हे सर्वेस निर्मल, नाथ नीत अपनावजे,
संभाळ लेवाने सदा, अविलंब शंकर आवजे.
            अविलंब शंकर आवजे....(टेक)...1
मंथन हतु दरिया तणु, रत्नो घणा जडता हता,
बे बाकळा देवो बिचारा, झेरथी बळता हता,
जीवन बचाव्यु जीरव्यु, विख धरण नेह वहावजे.
                संभाळ लेवाने सदा...2
आ देह पांचे भूतनु, तुं भूतनो पण नाथ छे,
भ्रम तुत आखो तोडवा, अवधुत तुं समराथ छे,
अटपट्टी आंटी गुंटीयुं, छळ कपटथी छोडावजे.
              संभाळ लेवाने सदा...3
पोते करेला पापथी, भवमांय भोगववु पड्युं,
जन्मो जनम ना कर्मने, नथी जाणता के शुं नडयुं,
अवळु बधु सवळु करी, नबळु निवारी नाखजे.
            संभाळ लेवाने सदा...4
पुन्यो हतां के पाप सुख दुःख, सामटा संसार मां,
वळि लाभ के हानी थती, आ विश्वना वहेवार मां,
अकुपार भवसागर भयंकर, बुडता ने बचावजे.
              संभाळ लेवाने सदा...5
बलवान बंधन मोह मां, ज्या जीव सौ जकडाय छे,
केवुं गजुं माया गजब, ब्रह्माय भुली जाय छे,
लोभामणा दळ लोढमांथी, नाव कांठे लावजे.
                संभाळ लेवाने सदा...6
अरजी सुणी अंतर तणी, अविनाश व्हेलो आवजे,
समराथ श्वासे श्वासमां, विश्वास शुध्ध वहावजे,
बस आस ऐकज खास तारी, पास वास वसावजे.
                संभाळ लेवाने सदा...7
सरूवर तरुवर गिरिवरे, जड पवनमां परकासमां,
सचरा अचरमां सर्वमां, अवकासमां आभासमां,
"पालु" कहे रहेजे प्रसन्न, दिदारने दरसावजे.
                  संभाळ लेवाने सदा...8
रचना :- चारण महात्मा श्री पालु भगत
श्री सुबोध बावनी मांथी
टाईप बाय :- www.charanisahity.in
      हर हर महादेव 
     वंदे सोनल मातरम्  

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