------- रजुवात-------
आपणा थी तो फक्त रजुवात थाय छे
बाकी तो बधुं संजोगावशात थाय छे
पहेला जेवो निश्वार्थ क्यां रह्यो तुं पण?
पछी बिजा पर क्यां विश्वास थाय छे
हंमेशा लागणी थी तरबोण रहेतो हतो
हवे पहेला जेवो क्यां आभास थाय छे
सुख ना स्वप्न अने दु:ख नुं आचरण छे
"देव"छतां मोह मांथी छुटी शकाय छे?
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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