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24 नवंबर 2016

प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे देव गढवी नानाकपाया-मुंदरा

*प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे*

प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे
नित-नवा मुखोटा ने पात्रो बदलाय छे

जीवन स्तर ऊंचु करतां
         आतम स्तर नीचुं जाय छे
मनना काणा मोजुं करतां
         अने भला बहु दुभवाय छे
प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे

खुब मोटा ऐ रहेठाणो मां
           माणसाई क्यां देखाय छे?
जो नाना-नाना झुंपडा मां
          खानदानी जणकी जाय छे
प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे
      
स्वार्थ थी जोडायेल सबंधो
           जरुरत पडतां वटावाय छे
रुपीयो बन्यो छे सर्वोपरी ने
            जीवन सस्तुं थतुं जाय छे  
प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे

गजवा थयां खुब भारे अने
            संस्कारो हलकां थाय छे
 "देव" उच्च घर ना तोरणो
           निम्न वर्तन करी जाय छे
प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे

✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
        कच्छ
         
          

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