*प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे*
प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे
नित-नवा मुखोटा ने पात्रो बदलाय छे
जीवन स्तर ऊंचु करतां
आतम स्तर नीचुं जाय छे
मनना काणा मोजुं करतां
अने भला बहु दुभवाय छे
प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे
खुब मोटा ऐ रहेठाणो मां
माणसाई क्यां देखाय छे?
जो नाना-नाना झुंपडा मां
खानदानी जणकी जाय छे
प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे
स्वार्थ थी जोडायेल सबंधो
जरुरत पडतां वटावाय छे
रुपीयो बन्यो छे सर्वोपरी ने
जीवन सस्तुं थतुं जाय छे
प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे
गजवा थयां खुब भारे अने
संस्कारो हलकां थाय छे
"देव" उच्च घर ना तोरणो
निम्न वर्तन करी जाय छे
प्रभु तारी लीला मुजने न समजाय छे
✍🏻देव गढवी
नानाकपाया-मुंदरा
कच्छ
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