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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

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25 दिसंबर 2016

आईमांनो आदेश ता.05-05-54

आईमांनो आदेश ता.05-05-54(पोस्ट ता.25-12-2016)

चारणोऐ पुरूषार्थ वाळु जीवन जीववुं जोईऐ. महेनतनो रोटलो कमावो जोईये परसेवो रेडीने मेळवेलुं अन्न अमृत गणाय छे. ते खावाथी शरीर मां हिम्मत अने बळ आवे तथा मन मां उत्तम विचारो प्रगटे. मांगीने, हीन बनीने मेळवेलुं अन्न धन अपवित्र छे. ऐवुं अपवित्र अन्न धन खानार- भोगवनारनुं शरीर, मन तथा जीवन अशुध्ध बने छे अने विचारो हलकी कोटीना होय छे. ऐवा माणसो मांथी खुमारी, वीरता अने मनुष्यत्व जतां रहे छे. माटे मारी तमने सौने भलामण छे, विनंती छे के पुरूषार्थथी रोटलो मेळवजो.*

             -  पू.आई श्री सोनल मां

संदर्भ ::- सोनल संजीवनी मांथी

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