*|| जीवा आई नो परचो ||*
*||छंद - सारसी ||*
*|| कर्ता - मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च्) ||*
*( कच्छ नी पावन धरती पर आवेल लाख्यारवीरा गाम मा एक समये एवा क्रूर दुष्ट रा खेंगार बीजा नो त्रास होवा थी अने चारणों नी रक्षा काजे आई जीवा माँ इ साक्षात समडी बनी ने राव तथा एना आखा लश्कर ने भळके बाळी ने राख करी नाख्यु हतु, एवी साक्षात जगदंबा रूपी मावडी ने वंदन, रूपी आ सारसी छंद रजु करु छु,)*
साक्षात रुपे आई जीवा कच्छ धरा मा अवतरी,
अवतार लीधो आई ए दिताजी चारण घर धरी,
संकट विकट ने दुःख दर्दो टाळवा मा आविया,
महिया ना कूळ माँ विपत समये आइ जीवा अवतर्या,(1)
शामळ साखे आई जीवा लालोजी ने परणीया,
थोडा समय तणे आई कुखे बाई दीपा जनमिया,
कै काळ ने अकाळ मा लालोजी जीवन वश थया,
शामळ कुळ मा विपत समये आई जीवा अवतर्या,(2)
संसार ने त्यागी ने माँ जिंदाय गामें आविया,
दीपा ने संगे आई ए ब्रह्मचर्य व्रत धारण कार्या,
जे शरण आवे बाळ एना कष्ट सघडा कापिया,
शामळ कुळ मा विपत समये आई जीवा अवतर्या,(3)
जिंदाय छोरु आस लै ने आई पासे आवियो,
छोरु कहे माडी तमे आ अधम थी उगारजो,
माडी तणा उपाय थी छोरु सौवे राजी थया,
शामळ कुळ मा विपत समये आई जीवा अवतर्या,(4)
चारण आई गाम आवि राव ने समजावियो,
नहीं मानता रा' आई नु ते अड़ग मन मा थै रह्यो,
इ रा' ने मारग लाववा आई इ त्या जमहर कर्या,
शामळ कुळ मा विपत समये आई जीवा अवतर्या,(5)
समडी बनी ने धोळी माए रा ने परचो आपियो,
चिंधता आंगळी रा' ने तम्बू साथे बाळीयो,
मितेश गावे भाव थी माँ आज तारा गुणला,
शामळ कुळ माँ विपत समये आई जीवा अवतर्या(6)
*🙏------मितेशदान(सिंहढाय्च्)------🙏*
*कवि मीत*
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