अमारी घरती कंई वांझणी नथी...!
लोक कविओऐ अने सौराष्ट्रना साहित्यकारोऐ सौराष्ट्रनी भोमकानी पेटभरीने प्रशंसा करेल छे त्यारे वेरान जेवा भासता वढियार प्रदेशनी भोमका माथे ' ताराेरा ' गामना ' कवि मोडजी ' कहे छे, कोई नजर तो नोंघो..! तमने धणुं धणुं जोवा मळशे. आ घरती कांई वांझणी नथी.
उत्तर गुजरातना साहित्यकार ' शिवदान झुला ' ना पुस्तक ' वराणे वाग्या त्रंबाळु ढोल ' मांथी प्रस्तुत करवानुं कवि चकमक गौरव अनुभवे छे कारण के पोतानुं गाम पण वढियारने स्पशीॅने छे.
'' जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी ''...!
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी
अहीं घमॅ, घामो, सुरा, सत्संगी
वढियार तळमां गाम छे वराणा,
खोडियार घामे नित जमता परोणा,
महा सुद अाठमे मेळो जंगी,
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी....अहीं...1.
आ घरामां ज वराणानी खोडीयारनां हजारेक वषॅथी बेसणां छे. ऐनी फरकती घजाने लोको श्रद्घाथी नमी रहयां छे.
पांडवो समयनी पुराणी सत्य निष्ठा,
महा लोहेश्वरनी प्रकाशे प्रतिष्ठा,
भादरवा मेळे भूत भागत घतंगी,
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी....अहीं...2.
' लोटेश्वर ' ऐवा तळपदा शब्दोथी अपभ्रंश थयेल लोहेश्वर महादेव पांडव काळथी बिराजमान छे. जेना तापथी पाखंडिया अने भूत भागे छे.
शंखेश्वर पारसनाथना घामो,
हजारो जैन आवी त्यां करता विसामो,
उभा छे देवळो ऐकशो आठ अंगी,
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी....अहीं...3.
जैनोनुं महातीथॅ शंखेश्वर ज्यां पाश्वनाथ भगवान अहिंसानो संदेशो अविरत आपी रहया छे .
मुजपुरमां महाराज जन्म्या गुरु गामी,
संतोना शिरोमणी सच्चिदानंद स्वामी,
हाले सवॅ दुनियामां प्रवचनो प्रसंगी,
जुओ भोम वढियार आ उमंगी...अहीं...4.
मुजपुर गाम आपणा महान संत अने लेखक सच्चिदानंदनी जन्म भोमका छे.
रामवाडीना गोदडीया महाराज, अमरापुरामां काशीगिरि, गायोनी वहारे चडनार सोलंकी युवाननी वात गौरवथी कहे छे.
छलके रसोडां नित शीरा पुरीनां,
हाले सदाव्रत हीरा पुरीनां,
रटता रामेश्वर अभय ऐकरंगी,
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी....अहीं....5.
गहके गोदडीयानी रुडी रामवाडी,
प्राणदास बापुनां चरण ल्यो पखाळी,
तारोराना तीरे, बाला बजरंगी,
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी....अहीं....6.
जे भोम नारायण स्वामी संचरिया,
उदार सदाराम अहीं पाव घरिया,
अमरापुरा आरे काशीगिरि नकलंगी,
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी....अहीं....7.
सदारामे अहींनी घरतीने पावन करेल.
सोलंकी कुळनो क्षत्रिया सुरो,
चढयो घेन वारे अघॅ परणीत पुरो,
आई देवले कीघो अमर अभंगी,
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी....अहीं....8.
कुंवर वास कीघो, शकित शेण बाई,
भरवाड नेहमां देतां वघाई,
राफु रणचंडी मा सभाई,
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी....अहीं....9.
कुंवर गाममां शेणबाई, आई सभाई वगेरे आ विस्तारनां लोकपूज्य स्थळो अने व्यकितओ छे.
सुरा संत दातानी चालु छे सरिता,
अखंड घ्रुव घारा अमर आ अजिता,
मोड कहे महा भोम छे श्याम रंगी,
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी....अहीं....10.
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ज्यां शीवदान झुला, कवि चकमक,
नित नवा साहित्य पीरसता,
रंग चडे नित नवा नव रंगी
जुओ भोम वढियारनी आ उमंगी...अहीं...!
जय माताजी.
प्रस्तुति कवि चकमक.
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