आवो अांतरराष्ट्रीय महिला दिने चारण सन्नारीओना साहित्यप्रदानने याद करीऐ...!
भारतीय साहित्यसेवामां चारण कविओनी साथे साथे चारण सन्नारीओऐ पण संस्कारपद साहित्यनुं सजॅन करी समाज धडतरना पवित्र कायॅ द्रारा आपणी संस्कारवेलीने जीवंत राखी छे.
बरडा प्रदेशना आई पुनसरीनी लखेली प्रभाती आखा सौराष्ट्रमां धरेधरे सांभळवा मळे छे के, ' भणतीसां कानजी काळा, मावा मीठी मोरलीवाळा. '
ऐ ज प्रमाणे गायकवाडना कवि कानदासजी महेडुनां पुत्री तखतबा, मालाजी साघुना पुत्री पद्माबहेन, कविराज करणीदानजीनां बहेन बरजुबा तो महान विदुषी थई गया.
करणीदानजीऐ ऐक पद बनाव्युं. ' लोहरां लंगर झाट लाग.' बीजा पद माटे शब्दो करणीदानजीने आवता नोहता.
त्यारे बरजुबाऐ कहयुं के लखी नाखो बीजी लाईन के, 'अघ-फरां गिरवरां झडे आग. '
ऐटले के लंगरना झटकाथी पहाडोनी वनराईमां आग लागी गई.
वतॅमान युगमां पण कवितानुं ज्ञान घरावनार चारणबाईओ जेम के, श्रीमती योगेन्द्रबाळा, श्रीमती नगेन्द्रबाळा, श्री राजलक्ष्मी, तेमां ढोकलिया-निवासी श्रीमती प्रभावतीदेवी तो चारण स्त्री समाजमां ऐक विद्वान कवियत्रीनुं स्थान शोभावी रहया छे.
तेमना ' काव्यलोक ' काव्यसंग्रहमां भकित, देशप्रेम, कुरिवाजने तिलांजली, व्यसनमुकित, परोपकार आम जुदाजुदा विषय पर सुंदर भाववाही दोहा लखी जुदी ज भात पाडी छे.
प्रभातदेवीनी जेम उमदा साहित्यनी भेट आपनार आजथी ऐकसो वषॅ पूवेॅ ऐटले के ई.स. 1883 नी आसपास राजस्थानमां अलवर जिल्लानी बाजुमां सिंहाली गाममां चारण कवि रामनाथ कवियानी पुत्री सन्मानबाई तो राजस्थानमां बीजी मीरांनुं बिरुद प्राप्त करी जीवननावने सागर पार करी गयां.
आपणी संस्कारवेलीने जीवंत राखनार आवा महान सन्नारीओने आंतरराष्ट्रीय महिला दिने चारण समाज वती कवि चकमकना शत् शत् वंदन...!
जय माताजी.
प्रस्तुति कवि चकमक.
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