💐 *धर्म रक्षक संत-शेषावतार श्री रावळपीरदादा ना पगथीया* 💐
पहेली पगथी पीरजी,तेंके सौ नमे संसार
तखत बिराजे वलसरे में,करणी अपरंपार .(१)
बीजी पगथी बोदल बोळे जोरे रावळपीर
दया क्यां देवराज मथे पंजडी छडायां पीर.(२)
त्रीजी पगथी तारे पीर उकारे पार
नाथ नवाजे नरसिंह मथे हरी पेरायां हार.(३)
चोथी पगथी चडीआया तेर पेडी आंते पीर
रावळ देंना रोजीनुं खनु-लपैयुंने खीर.(४)
पांचमी पगथी पोजी अचां मांधाइ न थीये मुर
अंधा मंग्या अखीयुं तेंके नाथ देनाया नुर(५)
छट्ठी पगथी छेटा वनेंता दुखडा कर्या दुर
वलसरे जे वडें वटां पाणी वनेंता पुर.(६)
सातमी पगथी सेवेयां तेर कुबे धणी
कृपा क्यां कुबेधणी दनां पुत्रेंजी जोड.(७)
आंठमी पगथी ओलीयाजी दशां कुबेजी कोर
वलसरे जे वडें मथें वठा चिंगारीं मोर.(८)
नवमी पगथी ननामुं नम्या चड्या धिणोधर धार
चारण क्यांते चाकरी अचे गणां अवतार. (९)
दशमी पगथी देवता समर्या दशरथ घर अवतार
रावणके मार्यो राम राम चड्या सीताजी वार.(१०)
अगीयारमी पगथी अवनीके भोरींग उपाड्यो भार
सृष्टि धरी सर मथे शेषनाग अवतार.(११)
बारमी पगथी बोलांया मुजा पाप बारीजा पीर
वठां पुजाजे वलसरेमें रावळपीर बळ-बोदलवीर.(१२)
तेरमी पगथी तुही-तुही वलसरे आचार
धुणी आंजी ध्रंग में मेकरण जो अवतार.(१३)
चौदमी पगथी चडीअचां तेर अरजी क्यां आधार
कारण अचेंता क्रोड तेंजी वेली चडजा वार.(१४)
पंदरमी पगथी पट्टण क्यां रुवे अरजणदास
कोयले कृष्ण मोहन मंदर फेर्या अरदास.(१५)
सोळमी पगथी छांइ करे उभी पिराणी जार
रावळपीर जे घोडें केतां हीरें जड्या हार.(१६)
सत्तरमी पगथी सेवा थीये पत्री चडेती पीर
कळस मळ्यो कुबेमें भर्यो गंगाजल नीर.(१७)
अढारमी पगथी आरती थीये सांज बपोर सवार
रोज चडोता रावळ अइं बोदले असवार.(१८)
ओगणीसमी पगथी ओलीयाजी छुटा घोडेंजा घमसाण
नत वजें नगारा ने नोबत जा निशान.(१९)
विसमी पगथी वलसरेथी सामे वठा अइं संग
अजाजी डीजा अइं ओलीयाके रावळ मुके रंग.(२०)
एकविसमी पगथी ओलीयाजी कजा दानथी दर्शन
पंगतुं जमेंत्यु पीर वटे ओखलो मलेतो अन्न.(२१)
बाविसमी पगथी बावेजी नोबत नत वजे
वलसरे में आरती टाणे ढोल करेतो मजे.(२२)
त्रेविसमी पगथी तारेंके नजर डठा नखतर
कुबे डठां किलकारते सोनेंजा छत्तर.(२३)
चोविसमी पगथी चडी आया तेर थ्या दर्शन अपार
कुबेमें घोडा वठाअइं लख क्रोड हजार.(२४)
पच्चीसमी पगथी पुंज्यां तेर पीर थ्या प्रसन्न
देवेजी के दनां अयां खीर पोत्तर ने धन(२५)
छविसमी पगथी शीख्यां तेर डेण नम्या दुर
अखों डसीने ओलीयाजी भजी वनेंता भुत.(२६)
सत्याविसमी पगथी ओलीयाजी पोत्रो आंजो पीर
विरेज्युं उमेदुं पुर्यां अयां अइं पीर.(२७)
अठ्याविसमी पगथी उंचो कुबावान कुबो
नवखंड आंके नमे छत्रधारीजो छुगो.(२८)
*रावळ रावळ जे करे,प्रो संभारे पीर*
*अच्छा भोजन भावजा,खनों लपैयोंने खीर*
💐 *रचना=चारणकवि विरमभाइ गेलवा(गीलवा)* 💐
🌹 *टाइपिंग=राम बी गढवी* 🌹
*नविनाळ-कच्छ*
*फोन=7383523606*
🙏🏻 *आ पगथीया कच्छ झरपरा कवि अने लेखक श्री आशानंदभाइ गढवी नी बुकमांथी लीधेल छे भुलचुक सुधारीने वांचवी* 🙏🏻
💐 *शेषावतार श्री रावळपीरदादा ना चरणे वंदन* 💐
💐 *वंदे सोनल मातरमं* 💐
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