*|| कविनुं स्वपन ||*
अणगमती मुज एह, दुध पिये डेरी तणा
भली दोवती भेह, नारी परणू नेहनी
भली दोवती भेह, नारी परणू नेहनी
देखेली नय डीश, तरबोळे घी तांहळी
राखे सेज न रीस, नारी परणू नेहनी
राखे सेज न रीस, नारी परणू नेहनी
फेशनरी नय फांट, ओजस पाखे ओढणे
गमे जनमरी गांठ, नारी परणू नेहनी
गमे जनमरी गांठ, नारी परणू नेहनी
मुबइनो नय मोह, गोवा जेने नह गमे
तेवी भोळी तोह, नारी परणू नेहनी
तेवी भोळी तोह, नारी परणू नेहनी
लाख तणी हो लाज ,एक्टीवा नह आवडे
सुंदर देशी साज, नारी परणू नेहनी
सुंदर देशी साज, नारी परणू नेहनी
माँ ने नह क्ये मोम, फोन जरा नय फावतो
जबर काममां जोम, नारी परणू नेहनी
जबर काममां जोम, नारी परणू नेहनी
रुडु पोमे रोम, सोम समी ई सुंदरी
भमी गही गीर भोम, नारी परणू नेहनी
भमी गही गीर भोम, नारी परणू नेहनी
प्रितम माथे प्रेम, बहु करे ई बिंदणी
ताणे नय पण टेैम, नारी परणू नेहनी
ताणे नय पण टेैम, नारी परणू नेहनी
मन माही मुज लोभ, डीग्री नय दिकरी तणो
मोंघा घरनो मोभ, नारी परणू नेहनी
मोंघा घरनो मोभ, नारी परणू नेहनी
मेकप लेश न मुख, चारणयाणी चमकती
द्ये नय खर्चा दुख, नारी परणू नेहनी
द्ये नय खर्चा दुख, नारी परणू नेहनी
*-कवि धार्मिक जाशील (गढवी)*
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