. *सरवाळो*
. *रचना: जोगीदान गढवी (चडीया)*
करम नव कोय ने मेले..सरवाळो ई मांडतु छेले....
वात डायो वन हालीयो मोभी, संग मां सीता सेंण
अंधा अंधी ना ई अंत वेळाये , विर सांभरीयां वेंण
दशरथ ने राज ने डेले...सरवाळो वागीयो छेले..01
पग झालीने पछाडीयां भींते, जे बेनडी केरा बाळ
ऐ देवकी कुंखे देव पधार्यो, कंस नो थावा ने काळ
वासुदेव वंश ने वेले..सरवाळो मांडीयो छेले..02
पोगीयां प्रांचीने पिंपळे पापो, कृष्ण ने रूप किरात
भव वित्या तोय विंधती भाले, वाली मार्यो ई वात
ठाकर पाछी केमनी ठेले..सरवाळो आवतो छेले..03
निकळे जे कंई नांभीये थी ई.. आतमामा अथडाय
जुग जातां जोगीदान न जातां, होय आशिस के हाय
खोटा शिव खेल न खेले, सरवाळो मांडता छेले..04
*रचना: जोगीदान गढवी (चडीया) मो.नं. 9898 360 102*
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