जाडवा जुकी नित केछे रे
(राग) माताजी कहे बीवे मारो
जाडवा जुलीने जुकी नित केछे रे नमे ई गमे नाथने रेजी
जाणवा जेवु छे जाडे। मन राखी माळे रे
एजी. द्रष्टीमा राखो दाडे दाडे रे नमेई गमे नाथने रेजी
शीतल आपेछे छांयो, आंगणे गमेते आयो रे
एजी. भेद भीतर कदी नव भाळ्यो रे नमेई गमे नाथने रेजी
उभा कोई अडीने आभे, मेरु सम मपाई ना वांभे
एजी. छता खलक सरखो छे एने खांभे रे नमेई गमे नाथने रेजी
खंत राखी हाडथी खीले, भावना ई सौनी जीले रे
एजी. रागद्वेश लवलेश नही दीले रे नमेई गमे नाथने रेजी
उंच नीच शुछे आमा, आडोने अवळो थामा रे
एजी कालजे कीशोर के रटय नीत रामा रे नमेई गमे नाथने रेजी
रचना कीशोरदान सुरु
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