*||🌞 सूर्य वंदना🌞 ||*
*|| त्रिकुट बंध ||*
*||कर्ता :मितेशदान गढवी(सिंहढ़ाय्च) ||*
*जगमेय तेज जगावीया,*
*प्रगटेय पोषण पावीया,*
*नित प्रौढ़ में नारायणा,*
*सुख सेविया संसार,*
*तन अगन पीड़ा तारतो,*
*मन शांत कर महेकारतो,*
*धरपर सकळ सर्जन प्रबळ प्रतिपळ,*
*अरक रूप अळ दरद दल दळ,*
*सुखद जीव सुर पिरस पळ पळ,*
*उमंग द्रग उर मुरति मंगळ,*
*भरण भर पुर धान त्रया तळ,*
*जपत तप तुही जरत तुही जळ,*
*कहर तुही सब अहर निश कळ,*
*किरण मीत तुव चरण पर लळ,*
*धर्म तुज मन धार,*
*गजरूढ़ नभमें गाजता,*
*पंखाळ सप्त पुकारता,*
*झंखाय जोता जळहळे,*
*दिव प्राछ्टे दिनराय,*
*व्रहमण्ड अधिपति विहरतो,*
*नवखंड दुड़भ तू निहरतो,*
*द्रहपति तरंग अंग थल अरक तप तल,*
*जगत तिहि सुर अरपु दल जल,*
*नयण हित नित अवन निरजल,*
*रयण रीत हर रखत हरि दल,*
*भ्रमण कण भर अगन बल भल,*
*नीरज सुरवण पथिक निधिदल,*
*सुमित मीत तुय नहीत कटी कल,*
*प्रवीण हल बल प्रखर पल पल,*
*जग मग्यो जगराय,*
*🙏~~~मितेशदान(सिंहढाय्च)~~~🙏*
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