आईश्री सोनल शकित चालीसा
दोहो
सोनल गुन सागर सम, विशाल व्योम समान
बरनहुं चारन बिमलयश, शकित दे कृपा निधान
चोपाई
जय सोनल शकित सुख करनी| जय हमीर सुता दू:ख हरनी ||
राणल पुत्री जननी भवानी | असुर मर्दिनी चंडी समानी ||
श्याम लोंबडी नयन विशाला | शकित स्वरूपे चारन बाला ||
सोनल रूपे तुं हीं सुहावे | बालक दरशन कर सुख पावे ||
भारत भूमि गुर्जर देशा | जहां जन्मे सब संत विशेषा ||
सोरठ धरा मढ़डा ग्रामा | प्रगटी सोनल शकित श्यामा ||
पोष शुकल बीज सुखदाई | चारन गृहे अंबा आई ||
प्रगट भई सोनल पुनिता | शिखावन आई अंबा सुनीता ||
चारन कुलमें हुई काल रात्री | सोनल सुविता भै सुखदात्री ||
तुं हीं,भारती आवड आई | खोडल,मोगल,हिंगला माई ||
देवल, राजल मा सोनबाई | रवेची, बौचर अरू नागबाई ||
कागल, पीठळ मा तुं करनी | अशरन शरन तारन तरनी ||
तुं हीं सर्व शकित स्वयं जग मांहीं | सचराचरमां तुं हीं समाहीं ||
सांया ईसर दास तुमारा | पुत्र भक्तमां प्राण ते प्यारा ||
काग, पिंगल, शंकर समाना | शकित तुम्हारी से बलवाना ||
समाजमां निज गेह बुलाये | चारन वंदन करी हरषाये ||
ग्राम ग्राम में सोनल आई | धर्म काज धुमी सब माई ||
धरम स्थापन अंबा आई | सत्य सनातन रक्षक कहाई ||
ऐकहीं माला मोती अनेका | बिखर गये थे चारन लोका ||
पुन: सुगंठीत मा सब किन्हा | द्रेष कलेष बिदाय लीन्हा ||
नमो नमो मा मढडा वासी | नमो नम: सोनल सुखरासी ||
बल बुद्धि विधा गुन शील खानी | दे सुख शांति कृपालु दानी ||
ज्ञान विज्ञान संपत्ति दाता | सद् गुन दे आई सोनल माता ||
चारन समाज है बड भागी | जिन पर आई अंबा अनुरागी ||
जयति जयति सोनल जगमाता | आदि शकित त्रिभुवन दाता ||
यश तुमारो जन जन गावे | सुमीरी नाम सब फल पावे ||
आई अन्नपूर्णा सब जगपाला | सर्जक संहकार माहीं दयाला ||
तुं हरता करता सुखकारी | भुवन तिनमें ज्योति तुमारी ||
जय जय जय सोनल सुखदाई | चारन तारन अंबा आई ||
करुणा महीं तु वत्सल माता | तुं ही सुख सत्य शांति दाता ||
कष्ट निवारण चारन देवी | भकत जन गण सदा तुम सेवी ||
असुर सामे चंडी जवाला | बालक पर मा होई दयाला ||
कोटी कोटी पूजहीं सब देवा | चाहत ब्रह्म महेश तुज सेवा ||
तुम गुन सागर पार न पावे | शेष शारद सत मुख गावे ||
जो भकत पाठ करे सत बारा | मिटे कलेश दु:ख शोक अपारा ||
श्रध्धा सहित चालीसा गावे | प्रेम भकित परम पद पावे ||
जगत नियंता ज्ञान विज्ञानी | सिध्धि करो मम काव्य बानी ||
व्यापी सकलमें तुं हीं भवानी | यथा मतिमें ऐति बखानी ||
बालक शरन मा निज जानी | करहुं कृपा मा तु हीं भवानी ||
"आशानंद" बाल तुम्हारा | छमहुं दोष सकल हमारा ||
चारन सुता जगमात, संकट हरहुं सुखरूप
जगदंब मम हृदय रहो, सोनल शांत स्वरूप
श्री सोनल मात की जय
श्री सोनल चालीसा समाप्त
कर्ता :- आशानंद सुराभाई गढवी
गाम- झरपरा ता.मुंदरा-कच्छ
मो-9824075995
टाईप :- वेजांध गढवी
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