आई श्री सोनल मांनुं आदेश (पोस्ट ता.04-01-2019)
आर्थिक रीते गरीब तवंगर वगेरेना जे भेद छे तेमां मनुष्योना पूर्व कर्मो प्रारध्ध, तेनी वर्तमान कर्म प्रवृति , आळस, प्रमाद वगेरे भाग भजवे छे. ऐमानुं घणु बधु ऊपर वाळाना हाथमां छे. आर्थिक गरीबी ऐ साची गरीबी नथी पण जीवनमां ऐनाथी विशेष नीचे उतारनारी गरीबी, ऐटले व्यसनो, ईर्षा, ऐकबीजा वच्चे वैमनस्य, ऐक बीजाने तोडी पाडवानी वृति - आ बधी गरीब भावनाओ छे. जे मनुष्यने रंकत्व आपे छे. मनुष्य शा माटे आवो रंक - आवो पापी बने ? शा माटे कोईनी ईर्षा करीने पोताना आत्माने अभडावे ? जीवन द्रष्टिऐ नीची उतारनारी आवी नानी बाबतोमां शा माटे पडो छो ? ऐ दुषणोने जल्दीमां जल्दी काढी मूको.
*- पू.आई श्री सोनल मां*
संदर्भ ::- सोनल संजीवनी मांथी
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