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18 जनवरी 2019

जुद्धे मोगल जोगणी रचना: दौलतदान अलराजजी बाटी

.             *जुद्धे मोगल जोगणी*
.     *रचना: दौलतदान अलराजजी बाटी*
.          *प्रेषक: जोगीदान चडीया*

*उभ्भय चवहठ अठहरां,हथविस सोळ हजार*
*असस्त्र मौगल दल अहट,करत जुद्ध जयकार*

.                   *छंद पद्धरी*

सथ अंब मही संगर सरोष, रत बीज कालीका लरत रोष
धन थट्ट भट्ट आसूर धनेक, हथ बीसौं चंडी हाकल हनेक

बंधूक नाल तौपां बहार, पड पडत पाल वह सह प्रहार
हीय हहरी काद भागत नीहार,बली बेठ यज्ञ सुर पुर बिहार

मद मस्त सहत मृदगांनी मार, टूक टूक वपुन्न हिय प्रदनी हार
मुद लहत लंक त्रुट्टत मकोड, प्रोवत वपुक प्रंडी पकोड

पेखंत थरर कायर पलाय, रण रंग बीर पा टीक रहाय
धण करत वेढ भट थटनी घेर, फट कटत शिस नहीं पडत फेर

हिय हार दुगल दिव्यांण हेर, टिक पाय टाय भट्ट करत टेर
घडी दो घडी को यह है घीयाण, प्रय उद्व गती लीहरो पीयांण

मथ गिरत धरण नहीं होत मोत, हथ गिरत जुरत संधान होत
आसूर अनेक माया उपाय, जानत जगंब नहीं जान्ही जाय

तप कीयल तेज ताको प्रताप, मिली अंत धुरा आपही आप
अधरांग कैक बहरत उभार, कटी आड वाड दरसत कटार

उपवीत्त वाढ करी परत अंग, ढही मुंड काल काटत कुढंग
उट्ठत कबंध फिर लरत आप, परि मुंड भौम बोलत प्रलाप

मिली मगत भैज भूतड भ्रखंत, दधी फुट्ट माट्ट मुंन्डी दिखंत
उच्चार करत शबदां अदोह, श्रृंगाल श्याल कूकत कदोह

बहुं रोत प्रेत बोलत कुवाक, डंनकीनी नाच डह डहक डाक
बाजत निफेरी भैरी बिहाव, हुकळंत भूत कुत हाव भाव

फुट्टत पखाल ईव छरद फेल, झुक पियत डाकीनी उकल झेल
खलबल मतंग ढही खाल खस्त, हसी आत चलत लैखनी हस्त

दौलत भनंत औखन अधात, जद मच्यौ जुद्ध मौगलां मात
बज तुर त्रंब भट्ट सूर बाढ, गल गदीत मलछ कां छुटत गाढ

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