*|| सदाय आप शंकरा ||*
*|| कर्ता : मितेशदान गढवी(सिंहढाय्च) ||*
*|| छंद नाराच ||*
*दुहो*
*त्रयलोचन त्रियभुवनपति,जटागंग धरी जे*
*मंथन जग परे मितभा,आजेय अवीचळ ए,*
*छंद नाराच*
🥀🥀🥀🥀🥀
महा जपो विराट विश्वनाथ है महेश्वरा,
कृपानिधान कामनाश न्याल कालकेश्वरा,
हिये सदाय हाजरा हिणा वरो हरो हरा,
सहायनाथ साथ रो सदाय आप शंकरा,
प्रजाय प्रित पालकाय भुप तु पुरंदरा,
सजाव लोक भाल तेज आप रूप सुंदरा,
अहो अभेय आप अंत आप जीव अम्मरा,
सहायनाथ साथ रो सदाय आप शंकरा,
जटा विशाल भष्म तेज ज्वाल तु जोगंधरा,
कृपाल काल घाट में सजाव बांध कंधरा,
विराज व्याघचर्म बांध कंठमें विषंभरा,
सहायनाथ साथ रो सदाय आप शंकरा,(3)
अहो शु भाव भोळीया कृपा भर्याय अंतरा,
सुरा वसो अमो दला त्रि आभ मध्य सरभरा,
चवे गुणाय चारणा प्रकाश द्यो ने चंदरा,
सहाय नाथ साथ रो सदाय आप शंकरा,(4)
अजन्म देव नाम जे उगारे लोक आकरा,
निवंश अंश नाद सु व्रदान दैव को नरा,
उमंग मित ध्यानसु रहो सदा उमेश्वरा,
सहायनाथ साथ रो सदाय नाथ शंकरा(5)
*🙏---मितेशदान(सिंहढाय्च)---🙏*
*कवि मित*
9558336512
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