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10 मई 2015

आईश्री सोनल शकित चालीसा

            आईश्री सोनल शकित चालीसा

        दोहो
सोनल गुन सागर सम, विशाल व्योम समान
बरनहुं चारन बिमलयश, शकित दे कृपा निधान

     चोपाई
जय सोनल शकित सुख करनी| जय हमीर सुता दू:ख हरनी ||

राणल पुत्री जननी भवानी | असुर मर्दिनी चंडी समानी ||

श्याम लोंबडी नयन विशाला | शकित स्वरूपे चारन बाला ||

सोनल रूपे तुं हीं सुहावे | बालक दरशन कर सुख पावे ||

भारत भूमि गुर्जर देशा | जहां जन्मे सब संत विशेषा ||

सोरठ धरा मढ़डा ग्रामा | प्रगटी सोनल शकित श्यामा ||

पोष शुकल बीज सुखदाई | चारन गृहे अंबा आई ||

प्रगट भई सोनल पुनिता | शिखावन आई अंबा सुनीता ||

चारन कुलमें हुई काल रात्री | सोनल सुविता भै सुखदात्री ||

तुं हीं,भारती आवड आई | खोडल,मोगल,हिंगला माई ||

देवल, राजल मा सोनबाई | रवेची, बौचर अरू नागबाई ||

कागल, पीठळ मा तुं करनी | अशरन शरन तारन तरनी ||

तुं हीं सर्व शकित स्वयं जग मांहीं |  सचराचरमां तुं हीं समाहीं ||

सांया ईसर दास तुमारा |  पुत्र भक्तमां प्राण ते प्यारा ||

काग, पिंगल, शंकर समाना | शकित तुम्हारी से बलवाना ||

समाजमां निज गेह बुलाये | चारन वंदन करी हरषाये ||

ग्राम ग्राम में सोनल आई |  धर्म काज धुमी सब माई ||

धरम स्थापन अंबा आई |  सत्य सनातन रक्षक कहाई ||

ऐकहीं माला मोती अनेका | बिखर गये थे चारन लोका ||

पुन: सुगंठीत मा सब किन्हा | द्रेष कलेष बिदाय लीन्हा ||

नमो नमो मा मढडा वासी | नमो नम: सोनल सुखरासी ||

बल बुद्धि विधा गुन शील खानी | दे सुख शांति कृपालु दानी ||

ज्ञान विज्ञान संपत्ति दाता | सद् गुन दे आई सोनल माता ||

चारन समाज है बड भागी | जिन पर आई अंबा अनुरागी ||

जयति जयति सोनल जगमाता | आदि शकित त्रिभुवन दाता ||

यश तुमारो जन जन गावे | सुमीरी नाम सब फल पावे ||

आई अन्नपूर्णा सब जगपाला | सर्जक संहकार माहीं दयाला ||

तुं हरता करता सुखकारी | भुवन तिनमें ज्योति तुमारी ||

जय जय जय सोनल सुखदाई | चारन तारन अंबा आई ||

करुणा महीं तु वत्सल माता | तुं ही सुख सत्य शांति दाता ||

कष्ट निवारण चारन देवी | भकत जन गण सदा तुम सेवी ||

असुर सामे चंडी जवाला | बालक पर मा होई दयाला ||

कोटी कोटी पूजहीं सब देवा | चाहत ब्रह्म महेश तुज सेवा ||

तुम गुन सागर पार न पावे | शेष शारद सत मुख गावे ||

जो भकत पाठ करे सत बारा | मिटे कलेश दु:ख शोक अपारा ||

श्रध्धा सहित चालीसा गावे | प्रेम भकित परम पद पावे ||

जगत नियंता ज्ञान विज्ञानी | सिध्धि करो मम काव्य बानी ||

व्यापी सकलमें तुं हीं भवानी | यथा मतिमें ऐति बखानी ||

बालक शरन मा निज जानी | करहुं कृपा मा तु हीं भवानी ||

"आशानंद" बाल तुम्हारा | छमहुं दोष सकल हमारा ||

चारन सुता जगमात, संकट हरहुं सुखरूप
जगदंब मम हृदय रहो, सोनल शांत स्वरूप

      श्री सोनल मात की जय

     श्री सोनल चालीसा समाप्त

कर्ता :- आशानंद सुराभाई गढवी
गाम- झरपरा ता.मुंदरा-कच्छ
मो-9824075995

टाईप :- वेजांध गढवी

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