.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

21 फ़रवरी 2016

मोभीडानुं माथुं

***मोभीडानुं माथुं***
अंधनी आगळ आव्यु रे; ऐना मोभीडानुं माथुं;
मोभी कुवरनुं माथुं रे; राजा दुर्योधननुं माथुं;
पिता ना खोळामां पडीयुं रे; ऐना मोभीडेनुं माथुं-टेक
संजय आ फळ शेनुं हशे? ते जाण्यु नथी जणातुं(2);
सूतजी कहे के भुली गया कां?(2), हाथे वावेलानी वातुं-अंधनी...1
तेदी' आ वृखनां बीज ववाणां, तमे भेळव्युं झेरमां भातु(2);
ऐक विधो धरणी न आपी(2), पाणी ऐनुं पवातुं-अंधनी...2
लाखागृहमां लाय लगाडी, रात दी' वधतुं जातुं(2);
द्रौपदी केरां चीर झांटाणा(2), फुलडे लेलुम थातुं-अंधनी...3
विदुर जेवाऐ करी विनंती, वनपक नो'तुं वेडातुं(2);
रात दि' आपनी राजरमतनुं(2), रखवाळुं ऐ रखातुं-अंधनी...4
कृष्ण कबाडी कापवा आव्यो; 'काग' के' नो'तुं कपातुं(2);
ऐनुं फल आव्युं आपनी आगळ(2), विधीलेखनी वातुं-अंधनी 5.
रचना:-  चारण कवि श्री दुला भाया काग (भगतबापु).
टाईप:- लाभुभाइ गढवी.

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT