.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

આઈશ્રી સોનલ મા જન્મ શતાબ્દી મહોત્સવ તારીખ ૧૧/૧૨/૧૩ જાન્યુઆરી-૨૦૨૪ સ્થળ – આઈશ્રી સોનલ ધામ, મઢડા તા.કેશોદ જી. જુનાગઢ.

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

16 जून 2016

हिरा वंशी पर हेत रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)

.        || हिरा वंशी पर हेत ||
.   रचना : जोगीदान गढवी (चडीया)
(रबारी नी 133 साखो ऐकज गीत मां)
.   विसोतर =२०+१००+१३ =१३३
.                      दोहा
रंग तने बउ रायका, भोळो भाळ्यो भोम
जात धरम मां जोगडा, जबरुं तारुं जोम..01
अंतर नेह उचारता,राम रेडी नो राग
जेना माथे जोगडा, पेरंभ घर नी पाग..02
कहळ रबारी कुळआ,रखे जडे नई रग्ग
जांणे ओछा जोगडा, पोगे नई त्यां पग्ग..03
अंतर मां मने उमट्युं, हिरा वंशी पर हेत
जांण्या साचा जोगडा,राम तणीं पग रेत..04
.           गीत : सांणोर झुलणा
हिरा वंशी कदी हिमत ना हारता, धारता हसो ते थसे धरणी,
चितारी जोगडा चारणे चाहथी, विहोतर नात नी वात वरणी..05
कैड कोला अने करमटा कोड ने, काछेला कळोत्रा होय करमी,
कोडीयातर अने भोळा कटारीया,धरण पर भाळीया खुब धरमी..06
खांभल्या खटाणा खेर खारोड ने, खडेर खाह्वांणीया खेल खेले,
गळचरा गंभीरा गोहीला गुर्जरा, गडर गरगट्टीया रमे गेले..07
घाटीया घेंघवा वळीे घांघोर ने, चावडा चरकटा जण्या चोरा,
चोपडा चरमटा जुथ चौहाण छे, जोमणा चेलाणा जीड जोरा..08
आल जादव उम्माट् टमालीया, झोटाणा अजाणा आग झरणा,
आमला ईलवा उमाई उलवा, धारभुट्टीया ईहोर धरणा..09
देव देसाई डाभी डीअा डोडीया , फुदे धल फीट ने ढगल धामा,
नार नागेश नोंगो अने नोरी ओ, सोलंकी पुंछल्या थाय सामा..10
पड़त पढीयार परमार ने पवारो, पाट्यवाळा अने पान कट्टा,
बार बाळश ने पस्यवाळा बल्या, बुचीतर बढ्य बारड बट्टा..11
भाटच्या भांगला भुखा ने भुंहला,  भुंगलीया भद्ध भुंगोर भोकू,
भराई भोण भाखर अने भोमरा, मरकटा मांगरा जुवे मोकू..12
मुछाळा मारसुंदा न मोरी वळी, भुंभल्या भाडका लुंणी भोपा,
मरद मकवांण राठोड ने मारु ओ, रोझीया रोझ राडा न रोपा..13
मैयरा मोयडव अने मोटण तथा, हुंण हुंचोल ने हरण हारे,
लवतुका ललुतरा लो अने लंघरो, वाघडा वच्छर ने वैश वारे..14
वैई लोढा वसा वात्यमा वेराणा, वाघेला वांगला अने वावा,
वंश वाढेर सांबोड सेखा वधु,  चतुर चडीया जुवो जगत चावा..15
सिलोरा साव धरीया अने सिंघलो, संग सेवाळ सेलार सरखा,
सांगा वाडीया ने साव धोरो समा, पुनई मां जोगडा जाय परखा..16
रबारी रायका रई तणी रैयतुं, गोकळी गोप थई गगन गुजे.
सांढ काजे घड्यो गावता सारणो, प्रकट ई हीरा नो वंश पुजे..17
सधी ने सिकोतर दिपां गोगो सकत, विहत ने मेलडी वेंण वातुं,
जहु लींबोच सिमोज ने जोगणी, भवां चेहर बई भर्यु भातुं...18
रेगडी गावता रबारी  राव थी, भाव थी मात नी करे भगती,
रगीजोगडा जगाडे रवेची, समरती साय मा करे सगती...19
(रबारी रायका नी उजवळ जीवन प्रणाली थी जीवती भोळी भगती वान जाती नी १३३ साखो ने समावतुं गीत सांणोर, केसेट आल्बम "रखवाळी रवराय" माटे
रचना; जोगीदान गढवी (चडीया) मो,नं,9898360102 )


कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT