अमे चारण संतान सोनल ना,
हलीमली ने रही रै ।।
अमे चारण संतान,,(1)
निंदा नफ़रत कदी ना करिए, जी.. जी..
स्नेह थी सौव रहिये रै,(2)
सुख:दुख :नि आ सांकल सवली.
कदी ना करिए अवली रै..
अमे चारण संतान.....
मानव देह आ मां ऐ धडेलो.. जी. जी...
सेवा एनी करिए रै...(2)
स्नेह थी सौव भेगा भलीने गाई स्तुति सुंणिऐ रै...
अमे चारण संतान...
जगत मा देवीछोरू कहेवाणो.. जी..... जी..(2)
संग सोनल ना रहिये रै.....
हंस बनी अभिमान त्यागी
मोती साचा चणिऐ रै....
अमे चारण संतान.....
आ जगत नो नथी भरोसो.... जी... जी...
उर अभिमान लावी रै, (2)
मां सोनलनो जगदीश जडेलो
भवसागर सौव तरीऐ रै
अमे चारण संतान....
{🖍जगदीश कवल}{वडोदरा}
(m)9727555504
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24 अगस्त 2016
अमे चारण संतान सोनल ना - जगदीश कवल-वडोदरा
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