धर्मग्रंथोऐ सुचवेला मार्ग थी विपरीत नहीं जवा अनुरोध - भाडा खाते निरीदेवी माताजी पाटोत्सवनुं कच्छमित्रमां करशनभाई गढवीनो अहेवाल
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