.

"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

Buy Now Kagvani

Sponsored Ads

Sponsored Ads

.

Notice Board


Sponsored Ads

20 मई 2017

||सपाखरूं - प. पू. ब्रह्मानंद स्वामी||

||सपाखरूं - प. पू. ब्रह्मानंद स्वामी||

धरा उपरा अगाध धरा हरा नरा रूप धरा,
अमरा नमरा कंध भ्रमरा अमीर,
करां खेम गेम हरा कामना विनाश कारा,
भरा भरा क्रित भरा बुधीरा गंभीर.
सागरा रागरा लेत नागरा श्रृंगार सारा,
आगरा त्यागरा चिन्ह भागरा अथाह,
जागरा अधीश रूद्र सदा द्यान प्रजागरा,
वाघरा अंबरा वेण बागरा सुबाह.
डम्मरा भ्रम्मरा फरा देख भेख आडंबरा,
थथरा अथरा डराकारा काल दीक,
जराजीत जाम जरा अजरा हळाळ जरा,
जरा तरा अंग परा नाजरा नजीक.
वरादेव सती वारा शेखरा सरित वरा,
परा वरा जोगेशरा उच्चरा अपार,
शीरा नीर गंग जरा 'मुनी ब्रह्म' अनुसरा,
सिधेसरा देव खरा उधारा संसार.
- प. पू. ब्रहमानंद स्वामी (लाडुदान आशिया )

कोई टिप्पणी नहीं:

Sponsored Ads

ADVT

ADVT