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આઈશ્રી સોનલ મા જન્મ શતાબ્દી મહોત્સવ તારીખ ૧૧/૧૨/૧૩ જાન્યુઆરી-૨૦૨૪ સ્થળ – આઈશ્રી સોનલ ધામ, મઢડા તા.કેશોદ જી. જુનાગઢ.

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27 मई 2017

||मारीच सुबाहु वध || ||कर्ता मितेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||

*मितेशदान कृत रामायण महागाथा मांथी,,,,,*

*||रचना:मारीच सुबाहु वध||*
*||कर्ता-मितेशदान महेशदान गढ़वी(सिंहढाय्च) ||*
*|| छंद : अर्ध मंडळ दोढो ||*

आश्रम   राघव    आविया,
इ सतकारे       शोभाविया,
जल चरण पर  छंटकाविया,
धरिया सकल सनमान,  (1-89)

सव साथ  भोजन खाविया,
पोढ़ण    सेजो    लाविया,
हरी नाम  मुख  समरावीया,
करिया गुरुवर  ध्यान, (2-90)

दन  उजळो द्वि   उगियो,
रघु दैत मारण     पुगियो,
सुशस्त्र कर पर   धारियों,
इ सज्ज थ्यो सतवान,   (3-91)

(आश्रम में पहोंचने के दूसरे दिन की सुबह को राम और लक्षमण  नित क्रमशे  भगवान सूर्य नारायण की  पूजा करके,आश्रम में यज्ञ विधि हो रही थी वहां आके ऋषि मुनिओ को प्रणाम किया,और शस्त्र धारण करके सुबाहु औरे मारीच के वध हेतु सज्ज होकर छे  दिनों तक हवन सम्पूर्ण विधि से उथापन न हो तब तक  वहां खड़े हो गए,और हवन मंत्रा जाप और विधि चालू हुई,)

वेदाय   मंत्रो       जापिया,
जव हवन घी     होमाविया,
जप नाद   गगने   गाजिया,
घोळ्याय देवो गान, (4-92)

धरती रमण  ले  भामणा,
नभ  तार लेय  वधामणा,
मन जगन माथे  जामणा,
सुरता सजेलि  शान,   (5-93)

पांच वित्ये दिन  सुखभर,
नाह विघ्न कोई   दरीदर,
समय वसमो छठे  दनपर,
यज्ञ सौ गुलतान, (6-94)

गरज कळळळ वीज चमकी,
धरा  हळबळ  धार  धमकी,
पवन  परचंड  तेज  टमकी,
नाद रणक्या  कान,  (7-95)

हाड  अस्थि मांस   झरता,
फ़ौज देतो   संग    फरता,
विघ्न संकट कमण  करता,
रक्त करता पान,  (8-96)

किये सर संधान   लखमन,
तीर ताकत  फौज दळ तन,
छौड़   मानवअस्त्र  खननन,
हाटक्या अह्रींमान, (9-97)
(अह्रींमान-ईश्वर विरुद्ध,शैतान)

कौशल अतिबल राम कोप्यो,
देह मारीच   तीर     खोप्यो,
योजने सो    मार    फेक्यो,
रखण यज्ञे मान,(10-98)

आग्नेय अस्त्र छोड़ियों जब,
अगन घेरो   खोडीयो  तब,
जारियो सुबाहु  अध   झब,
पवन धर मीत वान, (11-99)

करियो यज्ञ सु  सफळ   काज,
सरियों  सत  मर्यादा    समाज,
नमिया ऋषि मुनि सव रघुराज,
पुरषोतम सब जगजान,(12-100)

(निर्विघ्न यज्ञ समाप्त करके मुनि विश्वामित्र यज्ञ वेदी से उठे और राम को हृदय से लगाकर बोले, “हे रघुकुल कमल! तुम्हारे भुबजल के प्रताप और युद्ध कौशल से आज मेरा यज्ञ सफल हुआ। उपद्रवी राक्षसों का विनाश करके तुमने वास्तव में आज सिद्धाश्रम को कृतार्थ कर दिया।”)

🙏-----मितेशदान(सिंहढाय्च)-----🙏

*कवि मीत*

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