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"जय माताजी मारा आ ब्लॉगमां आपणु स्वागत छे मुलाक़ात बदल आपनो आभार "
आ ब्लोगमां चारणी साहित्यने लगती माहिती मळी रहे ते माटे नानकडो प्रयास करेल छे.

આઈશ્રી સોનલ મા જન્મ શતાબ્દી મહોત્સવ તારીખ ૧૧/૧૨/૧૩ જાન્યુઆરી-૨૦૨૪ સ્થળ – આઈશ્રી સોનલ ધામ, મઢડા તા.કેશોદ જી. જુનાગઢ.

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12 अप्रैल 2019

कच्छना चारण गामो आशांदभाइ गढवी टाइपिंग राम बी गढवी

कच्छना चारण गामो आशांदभाइ गढवी टाइपिंग राम बी गढवी

कच्छना चारणोना गामोनु वर्गीकरण करीए तो मुख्य चार प्रकार पडे छे.
(१). रावळजाम द्वारा अथवा अन्य शासको द्वारा अथवा अन्य रीते प्राप्त थनारा मूळ चारण गामो..
(२). मूळ चारण गाम हता परंतु हाले उज्जवळ टींबा छे, ज्यां कोइ वस्ती नथी एवा चारण गामो..
(३). मूळ चारण गाम हता परंतु हाले चारणोनी वस्ती नथी परंतु अन्य वस्ती छे चारणोना मात्र देवस्थान ज छे एवा चारण गामो..
(४). जे मुळ चारण गामो नथी परंतु हाले ए गामोमा चारण वसे छे अथवा चारणो धंधा माटे स्थिर थया छे. एवा शहेरी विस्तारो दा.त. भुज, अंजार,गांधिधाम, कंडला, आदिपुर, मुंद्रा, मांडवी वगेरे...हवे कच्छना चारण गामो अगे उपलब्ध माहिती मेळवीए..
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(१).

*रायथडी* = आ गाम भांचळिया शाखानुं छे. आइ श्री देवलमां तेमना पितानु नाम म्याजळ भांचळिया शाखाना चारण हता. आइ श्री देवलमां ना पुत्र आपा वासा थ‌इ गया. आइ श्री देवलमाना लग्न खोडासर थया हता. रायथरी चारणोनु गोखरु बोवार गाम छे. ठाकर मंदिर, शिव मंदिर अने देवलमानुं मंदिर छे.

(२).

*वांढिया* = वांढियामां आलंगा अने भोजंग शाखाना चारणो वसे छे. आ गाम गोरा ढगते वसाव्युं छे. मंजल थी माल-ढोर हांकी आव्या हता. त्यां गोरासर तळाव छे अने गोरा भगतनी समाधी छे. भगवान शिव अने आइ आवडमा नुं मंदिर अने चोरो छे.

(३). 

*चांदराणी* = आ गाम साबा शाखानुं हतुं. साबा सामत गोकळ रहेता. अत्यारे वेरव शाखाना चारणो भाणेज तरीके आव्या छे. पशुडामां पण साबा चारणोनी जमीन छे.

(४).

*प्रागपर* = गडदिया शाखानुं एक घर छे.

(५).

*वोंध* = वोंधमां विकल अने मोड शाखाना चारणो रहेता. मोड विकलनी पेटा शाखा हती एम कहेवाय छे. आइ जशुमां वोंध गाममां थ‌इ गया. आइ जशुमां नुं सुंदर मंदिर आवेलुं छे.

(६).

*सोनलवा* = गडदिया, ठाकरीया अने घांघणीया शाखाना चारणो वसे छे. अहिं रणमल लांबाना पुत्र नरसंग भक्तात्मा अने तपस्वी थ‌इ गया. ठाकर मंदिर, शीवमंदिर, अने खूबडी माताजीनुं अहिं मंदिर आवेलुं छे.

(७).

*नानी उनडोठ* = कुकडसरथी नरा शाखाना चारणो पहेला मोटा लायजा पासे मेघपर गाम वसाव्युं. पछी नानी उनडोठ नी स्थापना करी. अत्यारे नरा (बारोट) मंधरिया, विसलपुरी, भागचंद शाखाना चारणोना घर छे. वाछरा विर अने शिवमंदिर छे.

(८).

*मोटी उनडोठ* = मोटी उनडोठ अने नानी उनडोठ वच्चे नदी छे. मोटी उनडोठमां भान (बुधीया) भुवा, धूप अने भींडा शाखाना चारणोना घर छे. वाछरादादा अने शिवमंदिर छे.

(९).

*भांगेडा* = भांगेडामां कांटा, आलंगा, गडदिया शाखाना चारणो छे. कांटा चोराडाथी आव्या. आलंगा वांढियाथी अने गडदिया वलाडियाथी आव्या छे.
गाममां काळीमांनुं अने शिवमन्दिर तथा चोरो  छे. भांगेडामां खिमराज कांटा नामना विद्वान पुरुष थ‌इ गया. अने लाखणशीं कांटा नामना सुप्रसिद्ध कवि महाराओश्री देशळजीना समयमां थ‌इ गया. तेओ देशळजीना वियोगमां प्राणत्याग कर्यो हतो.

(१०).

*रायण* = रायण मूळ गाम भागचंद-वडळ शाखानुं छे. मुंधुडा काठडाथी, संघडिया चांगडाइथी, विधाणी भाडाथी अने कमाणी पांचोटियाथी आव्या छे.
रायण ए प्राचीन रायपुर बंदर हतुं. आजे पण प्राचीन अवशेषो मळे छे. अहिं धोरमनाथ दादा तपस्या करता हता. अहिंथी ज धीणोधर गया. अहिं धोरमशाथ दादानुं मंदिर, शिवमन्दिर, वाछरादादानुं मंदिर अने माताजी वगेरेना मंदिरो छे.

(११).

*खोडासर* = देवसुर, कुनडा, भांचळिया, साबा, मोठु शाखाना चारणो वसे छे.
नरानी पेटाशाखा गोखरु शाखानुं मूळ गाम छे. चंखडा गोखरुना घेर आइ वरुवडीनो जन्म थयो हतो. आइ वरुवडीनी ए जन्मभुमि छे. अहिंया चंखडासर तळाव छे. वरवडी आइ अने कुंवर आइनां मंदिर छे. अहिंया आइ कुंवरमां महान कृष्णभक्त थ‌इ गया. तेमना लग्न जांबुडामां केसरीया शाखामां थया हता.
गोखरु शाखानुं गाम छे परंतु त्यारपछी देवसुर शाखाना चारणो चोराडथी आवी आ गामनुं तोरण बांध्युं.

(१२).

*वेकरा* = वेकरामां चारणोनां घणा घर छे. भगवान शिव,वरेखण माताजी अने पुंजी आइनुं मंदिर छे. भीमासरना राजपुतो चारणोनी गोखरु बोआर जमीन कब्जे करी. ते समये आइ पुंजीमाए धरणुं कर्युं हतुं तेमणे गळे कटार पहेरी हती.राजपुतो चारणो आव्या अने जमीन पाछी आपी.

(१३).

*मोटा करोडिया* = नरा (बारोट) शाखाना चारणो कुकडसरथी नानी उनडोठ आव्या अने त्यांथी बे भाइओ कोटायाए कोटाया वसाव्युं अने लोडायाए करोडिया वसाव्युं. नरानी पेटा शाखामां अभाणी, जुगाणी, राघवाणी, जगाणी, जामोतर, रायशीयाणी, भाराणी, पताणी, देवाणी, रवाइ वगेरे छे.
अहिंया काठडा अने चांगडाइथी मुंधुडा आव्या, पांचोटियाथी मंधरीया, सिंधीया अने गेलवा आव्या, नाना लायजा थी सेडा अने जाम आव्या. करोडियामां राघव अने कापडी दानविर चारण हता. कांयाजी बारोट झाराना युद्धमां‌ बलिदान आप्युं. गाम मां शिवमंदिर, वाछरादादाना मंदिरो,देवश्री आइनुं मंदिर, राघव कापडीनी समाधी, हनुमान मंदिर, गात्राळ मंदिर, शितला माताजीना मंदिरो छे.

(१४).

*नाना करोडिया* = झरपराना सेडा शाखाना सोदेव सेडाए लाखीयारविराना जामना समयमां एक कुस्तीबाजने हरावी जाम तरफथी मोडेवारी माडीनी जमीन प्राप्त करीआ गामनुं तोरण बांध्युं. आ गाममां बाटी बुडद्रोथी, बारोट बोराणाथी, कारीया कोडायथी आव्या छे. 
सुप्रसिद्ध तीर्थधाम भीमनाथ महादेवनुं मंदीर डेमनी शोभा वधारे छे. अने धारा नगरीना अवशेष आ गाममां जोवा मळे छे.गामना स्थापक सोदेवदादानुं भव्य स्मृति समारकनी रचना करवामां आवी छे.
प्राचिन समाधीस्थानो अने पाळीया तथा अन्य वसाहतोना अवशेष जोवा मळे छे.

(१५).

*चांगडाइ* = चांगडी माता झरपराना भीमा गेलवाना पुत्री हता. तेमना लग्न संगड गाममां संगडिया शाखामां थया हता. संगडिया संगड गाम रावळदेवोने दानमां आपी दिधुं हतुं अने चांगडाइ माताजीना नाम पर चांगडाइ गामनुं तोरण बांध्युं. आइ चांगडाइनो पुत्र सिंध बाजु लडाइमां मृत्यु पाम्यो एटले आइ चांगडाइ पुत्र पाछळ सती थया.
आ गाममां विधाणी, वारिया अने धूप चारणोनो घरास छे. गाममां वेरवांधा ऊभा थतां आ गाम उज्जवळ बन्युं छे. मात्र थोडा घरो चांगडाइमां छे.

(१६).

*डुमरा* = डुमरा मूळ चारणोनुं गाम नथी. भागचंद अने अभाणी शाखाना चारणोना घर छे.

(१७).

*हालापर* = हालापर पण मूळ चारणोनुं गाम नथी. हाले नरा (बारोट) सेडा, बाटी, गंढ, विसलपुरी, वारिया वगेरे शाखाना चारणो रहे छे.

(१८).

*साभराइ* = साभराइनुं तोरण आइ सभाइए बांध्युं. अने आइ सभाइ परथी साभराइ-सभाइआइ नाम पड्युं. साभराइ गंढ शाखानुं गाम छे. मोटी साभराइ अने नानी साभराइ बन्नें गामनी जमीन चारणोनी हती. परंतु आइ सभाइना भक्त दरबारोए बाकीनी आइ सभाइ पासेथी लखावी लीधी तेथी चारणो पासे मात्र १२ प्राजा जमीन रही.

(१९).

*त्रंबो* = विकल शाखाना चारणोना थोडा घर छे. माताजीनुं मंदीर छे.

(२०).

*सुदाणा* = बिजल शाखाना चारणोनुं गाम छे. मेकरण दादा ना परम शिष्य कापडी पुनाराजा सुदाणाना हता.

(२१).

*सिंधोडी* = वारिया (भांचळिया) के जेओ वागड-रायथरीथी आवी सिंधोडीनुं तोरण बांध्युं. वारियानी पेटा शाखा रायसियाणी जामोतर, सामराणी, वीसाणी वगेरे छे. 
मंधरिया पांचोटियाथी सांधाण गया अने त्यांथी सिंधोडी वस्या. तेमनी पेटा शाखा मेघाणी अने भुवा छे. समानीमां अने वाछरानी खास पूजा करे छे. देवाणी, लाखाणी, भाराणी, वगेरे मंधरिया नी पेटि शाखा छे. संघडिया अने सेडा पांचोटियाथी अने भाडियाथी आव्या छे. भान शाखाना घर पण सिंधोडीमां छे.
वारियानी सामराणी शाखामां रणमलपीर नामना महान भक्त थ‌इ गया. अहिं आपणा सोनलमां अने मंधरिया नी कुळदेवी सामानी मांना मंदीरो आवेला छे.
सिंधोडी पासे रापर गढवाडीनी बाजुमां चारणोनो मूळ टींबो छे त्यां चारणोना खेतरमांथी पिंगलेश्वर महादेवनुं प्रागट्य थयुं हतुं. त्यां चारणोए महादेवनुं मंदीर बंधाव्युं. बाजुना चारवा नामना गाममां काग, मवर भान अने मोड शाखाना चारणो हता. जे राक्षस जेवा डडाळ ठक्करना कारणे स्थळांतर करी गया. सिंधोडीमां मंगा चारण नामे प्रख्यात शायर थ‌इ गया.
आइ वीरबाइ सती वारिया शाखामां थ‌इ गया. महाराओ श्री गोडजीना समयमां शामळा गढवी नामे महान कवि थ‌इ गया.

(२२).

*लुणी* = लुणी चारणोनुं गाम नथी. शेखडीयानी शेखडीया शाखाना आवी लुणीमां वसे छे.

(२३).

*काठडा* = वि.सं. १३८७मां विरा मुंधुडाए काठडानुं तोरण बांध्युं. एम कहेवाय छे के मुंधुडा शाखामां आइ साचाय थ‌इ गया. तेमनी मातानुं नाम देवलबाइ हतुं तेओ चोराडा शाखाना हता. माताजी नो जन्म ११३५ आसो सुद सातम अने सोमवारना थयो हतो. तेओ त्यारे थारपारकरमां रहेता हता त्यांथी हालारमां खोखरी गाम गया. हालारमांथी काठडा आव्या.
काठडामां चारणोनी शाखाओमां आपस-आपसमां विवाद थयो त्यारे कच्छना महाराओश्रीए काठडा खाली कराव्युं तेओ सौराष्ट्र गया. त्यां सारंग मुंधुडाए पोतानी बुद्धि चातुर्यथी काठडानी १८०० प्राजा जमीन मेळवी स्थिर थया.
हाले काठडामां मुंधुडा, सेडा, साखरा, केशरिया, कारिया व्रमल (वाघ), जाम, वारवाणी, गेलवा(बढा), वडळ(भागचंद), अलसुवा, वानरिया, मंधरिया, बारोट(बुचड) शाखाना चारणो वसे छे. 
काठडामां आइ सोनलमांनु भव्य मंदिर छे. आ उपरांत आइ साचाय, आइ बूटमां, आइ आवडमां, भार‌इ माता, खोडियारमां, शिवमंदिर अने ठाकर मंदिर वगेरे आवेल छे.
काठडामां विर कवि वारुबारोट, पुंजो साखरो,हरदास, वजा भगत जेवा कविओ संतो थ‌इ गया.

(२४).

*मुंद्रा (मुंदरा)* = मुंदरा ए नेरण-भुखी नदीना कांठे डुमरा नामनुं चारणोनुं गाम हतुं. आजे पण मुंदराना गढमां उत्तर ना दरवाजे वाछराविर नुं स्थान छे. जेनी पुजाविधी महेश्वरी समाजना भाइओए संभाळी छे. डुमराना वृक्ष पासे डुमरा गाम पछी मुंदरा शहेरनो विकास थयो. आजे मुंदरामां विविध व्यवसाय अर्थे अनेक शाखाना चारणो वसे छे.
सागर, सेडा, साखरा, बाटी, विका, शेखडिया, रविया, मींढाणी, टापरिया, वगेरे शाखाना चारणो मुंदरामां वसे छे.

(२५).

*माधापुर* = माधापुर चारणोनुं गाम नथी. अहिंया व्यवसाय अर्थे बाटी, मुंधुंडा, रेढ, रत्नु, पायक, आंबा वगेरे शाखाना चारणो वसे छे.

(२६).

*बुडध्रो* = भुवा भाडाथी आव्या, बाटी चकारथी आव्या, जाम बाराचोडथी नाना लायजा अने त्यांथी बुडध्रो आव्या.
गाममां शिवमंदिर, वाछरादादानु मंदीर, पिठड आइनुं मंदिर अने बाटी कुळमां थयेल कुवारकी माताजीनुं मंदीर छे.

(२७).

*(रागा)* = राग शाखाना चारणो कंथकोटथी आवी रागा गामनुं तोरण बांध्युं. मोर, लाधो, आमियुं, अने जोगीराग आ चारेय मासीयाइ भाइ हता. परंतु जोगीराग अभिमानमां अवडे रस्ते चडी गया. एमना हाथे रावळदेवोनी हत्या थ‌इ गई. ओढो राग जोगी रागनो काकाइ भाइ थाय. तेणे नानी भुजपुर-ओढा गामनी स्थापना करी. बाकीना भाइओए रागा गामनो त्याग करी अपियो करी नाख्यो. तेथी रागा गामनो बीजा गामो जेटलो विकास थयो नथी. हवे घणा वर्षो थ‌इ गया. अपीयो दुर करी बधाने स्विकारवा जोइए ए ज समयनी मांग छे.
रागा गाममां रागा शाखा अने नांधाण शाखाना चारणो वसे छे. गाममां शिवमंदिर, आइ सोनल माताजीनुं मंदीर, वाछरादादा अने खोडियार माताजीना मंदिरो छे.

(२८).

*नाना कपाया* = कुकडशरथी बारोट शाखाना चारणोए आवीने आ गाम वसाव्युं. नागावीरीथी सागर, तुणाथी व्रमल, अने ध्रबथी वाघव्रमल शाखाना चारणो आवीने वस्या.
गाममां शिवमंदीर, वाछरादादानुं मंदिर, आशापुरानुं मंदिर अने सुंदर समाजवाडी आवेला छे. आइ विसरी माताजी कपायाना व्रमल शाखाना दिकरी हता अने बोराणानी बारोट शाखामां परण्या हता. तेओ पोताना धर्मना भाइ पाछळ सती थया. तेमनुं मंदिर प्रतापुर गामनी सीममां आवेलुं छे.

(२९).

*समाघोघा* = आ गाम मूळ चारणोनुं नथी. अजाणी जाडेजा भायातनुं गाम छे. पण व्यवसाय अर्थे बावडा(बारोट) मवर, शेखडिया, सेडा, व्रमल वगेरेना घर छे.
अहिं चारण संत दयारामजीनुं मंदिर छे. अने चारणवासमां वाछरादादानुं मंदिर छे.

(३०).

*बोराणा* = सुर‌इ नदीना किनारे नरा-बावडा (बारोट) एक ज शाखानुं गाम छे. बारोट कुकुडसर थी नानी उनडोठ गया त्यांथी महाराओश्री तरफथी राणशी बारोटने जमीन मळी. त्यां बोराणानुं तोरण बांध्युं. राणशी बारोट भारमलजी बीजा ना समयमां थ‌इ गया. तेमणे पोतानी बुद्धि चातुर्यथी दिल्ही  दरबारमां ज‌इ कच्छना महाराओश्रीने जे खंडणी भरवी पडती हती तेना बदले छ आना करावी आव्या हता. ते माटे तेमने इनाममां आ गाम आपवामां आव्युं हतुं..

(३१).

*शेखडिया* = शेखडिया पीपडीयाथी, सेडा काठडाथी, बढ़ा वरलीथी अने भला ववारथी आव्या. आइ राइ माताजी, विर कवि वारुबारोट ना फ‌इबा थता हता.तेमनुं मंदिर शेखडियामां छे. आइ पुनशरी ससला माटे बलिदान आप्युं हतुं.
शिवमंदिर, वाछराविरनु मंदिर, राइ माताजी, आइ पुनशरी अने बीजा नाना मोटा घणां मंदीरो आ गाममां आवेला छे.

(३२).

*विराणी* = आलगा शाखाना चारणो वसे छे. चारण समाजना दानविर श्री हरिरामभाइ  (गेलुभाइ) आ गामना छे..

(३३).

*पांचोटिया* = पांचोटिया गामनी स्थापना मालशीए करी हती. जेओ भाड़ा गाम वसावनार भटारियाना भाइ हता. सिंधिया-गुंगडानी पेटा शाखाओमां भुवा, भोजराणी, काराणी, कमाणी, समाणी, रवाणी, विसलपुरी, मंधरिया, सेडा अने भींडा शाखाना भाइओ वसे छे ए उपरांत भान, गेलवा, कारिया, वानरिया, नांधाण, जीवीया वगेरे शाखाना चारणो वसे छे. 
जाम तमाचीना समयमां आइ पुन‌इ माताजी थ‌इ गया. तेओ वाछराविरने आराध्य देव तरीके मानता. आजे वाछराविरनुं मंदिर अने पुन‌इ माताजी ना मंदीरो आ पंथकमां श्रद्धाना केंद्रो छे.
शिवमंदीर, ठाकर मंदिर, वाछराविरनुं मंदिर, देवश्री आइनुं मंदिर गामनो चोरो वगेरे छे. राममंदिरनुं निर्माण केम अधुरुं छे ? अंधश्रद्धाने कारणे अटक्युं छे..

(३४).

*भाडा* = आ विस्तारमां जतोनो खुब त्रास हतो. भटारियाए जतोने भगाडी भाडा गाम वसाव्युं अने मालशीए पांचोटिया वसाव्युं. बंन्ने भाइ हता.
सिंधियां गुंगडानी पेटा शाखाओमां पुनाणी, रायशीयाणी, मालम, विधाणी, कानाणी, अने खेतशीयाणी छे. चांगडाइथी आवेल वानरियामां जादवाणी अने राजीयाणी छे. नरा-घोघर भाडियाथी आव्या अने कारिया काठडाथी आव्या. गाममां शिवमंदीर, वाछरावीरनुं खोडियार मंदिर निरीदेवी माताजी अने गात्राळ माताजी मंदिर अने गामनो चोरो छे. पति पाछळ सती थनार हिरबाइ माताजी नो पाळियो छे..

(३५).

*ओढागाम-नानी भुजपुर* = ओढाराग कवि हता. रागा गामना जोगीराग ना काकाइभाइ हता. मोटी भुजपुरनां जेसरभायात तरफथी ओढारागने ५०० प्राजा जमीन मळी एमां नागमति नदीना किनारे आ गामनी स्थापना करी. नांधाण छाळवाळथी आव्या. शेखडिया शेखडियाथी आव्या भुवा पांचोटियाथी आव्या कारिया ववारथी आव्या.
चारण समाजना दानविर लक्ष्मण राग अने उदारात्मा भाणबाइमां आ गामना हता.
हरदोर राग, सती सीतामां वगेरे आ गाममां थया एमनी देरी अने पाळिया गामनां पादरमां छे. शिवमंदिर, सोनल माताजी नुं मंदिर वाछरादादा अने जोगण माताजी ना मंदीरो आ गाममां छे. 
आसपासनी वाडीओमां मुळ झरपराना अनेक शाखाना चारणो वसे छे. जेमणे आ गामने ज कर्मभूमि बनावी छे..

(३६).

*मापर* = सिंधियां, मुंधुंडा, धूप वगेरे शाखाना चारणो वसे छे..

(३७).

*भींसरा* = भुवा अने कारिया शाखाना घर छे..

(३८).

*धाणेटी* = साबा शाखाना घर छे खेती पशुपालन करे छे..

(३९).

*वलाडीया* = गडदीया शाखानुं गाम छे. पहेला घणा घर हता. सोनलवामां गडदीया वलाडीयाथी आव्या. झरपरा जेवा गामो साथे पहेला गडदीया शाखा साथे लग्न व्यवहार हतो..

(४०).

*जवाहर नगर* = लांबा अने आंबा शाखाना घर छे..

(४१).

*लाकडिया* = आ गाम मां भांचळिया, देवसुर, बाटी, मारु, राबा, साबा, आलंगा, वगेरे शाखाना चारणो वसे छे..

(४२).

*हमीरपर* = गांगडा शाखानां घर छे..

(४३).

*कंथकोट* = कंथकोट प्राचीन नगर छे. राग शाखाना चारणो मूळ अहिंयाना छे. हाल पण रागशाखाना चारणो वसे छे..

(४४).

*भचाउ* = भचाउ शहेरमां नोकरी धंधार्थे चारणो अहिं वसे छे. एमां भांचळीया, राग, विकल, बाटी, कांटा, सादैया, आलंगा, शामळ, मीसण, वगेरे शाखाना चारणो वसे छे..

(४५)

*चोबारी* = साबा शाखाना घर छे..

(४६).

*रामवाव* = वडगामा शाखानुं घर छे..

(४७).

*छाडवाडा* = साबा शाखाना घर छे..

(४८).

*मोरझर* = सूरताणीया शाखा कासुवाथी पारकर अने पारकरथी गेडी आव्या. गेडीथी आवी भाखरशीए मोरझरनुं तोरण बांध्युं. मोरझर गाम रोहा ठाकोर देवजी तरफथी मळ्युं. वि.सं. १६२७मां गामनी स्थापना थ‌इ. भाखरशी नानाभाइ ठाकरशी विंगडीया गया पहेला गोरा अने देवा शाखानां चारणो मोरझरमां रह्या हता.
आइ वानुमां मोरझरमां थया तेमनुं मंदिर टेकरी पर छे. भक्त कवि राम गढवी अने जीवण रवाणी नामनां भक्त कविओ मोरझरमां थयां..

(४९).

*उखेडा* = रोहडीया शाखाना चारणो वसे छे..

(५०).

*भारापर* = भारापरमां रोहडीया शाखाना चारणो वसे छे. चारण महात्मा इसरदासजीना काका आशाजीनां वंशमांथी आ चारणो उतरी आव्या छे. भारापरनां आ मूळ टींबो गडापूठामां हतो. चारणकाथी आवेल चारणोने महाराओश्री भारमलजीए आ टींबो आप्यो. 
उखेडा, विंगडीयाना बारहठ रोहडीया तरीके ओळखाय छे अने अरल, लाखीयारवीरा, थरावडा अने सरलीना बारहठ शामळ तरीके ओळखाय छे.
बारहठमां रोहडीया, शामळ, विठ्ठू, हाहडीया, कडोड, कडहट, धीरण, पातरोड, भाणुं वगेरे १२ शाखा छे.
मेघराजजी विठ्ठु शाखामां महान कवि थ‌इ गया.
लोकगायक करणीदान जी आ गाममां थ‌इ गया. एमना पिताजी गोपालजी भगत कबीर पंथी भक्त हता..

(५१).

*सरली* = शामळ चारणोनुं गाम छे. चारणो पहेला नजीकना जींगु टींबा पर रहेता हता. त्यांथी महाराओश्री देशळजी तरफथी ६४७ एकर जमीन मळी तेथी उदयराम माहडीयाए आ गामनुं तोरण बांध्युं. 
जामथडा, उखेडा अने विंगडीया गामोनां चारणो सांधाणथी आव्या.
आइ जशोदाबेने शरली धंधाघाट बंधावी आप्या छे..

(५२).

*लाखोंद* = गोरा रेढ महान कवि थ‌इ गया. एमने कच्छना महाराओश्री तरफथी लाखोंद मळ्युं. रेढ शाखाना चारणो सौराष्ट्र थी आव्या. रेढ शाखा टापरीया शखखानी पेटाशाखा छे. कच्छमां झरपरा गामे टापरीयानी घणी वस्ती छे.
लाखोंदमां आइ कमाबाइ सती थ‌इ गया..

(५३).

*अरल* = अरलमां रोहडीयानां घर छे. शेषावतार रावळपीरनां पिताजी मूळ गंगोणना अजरामल गेलवा अने आइ देवल अरलमां रहेता हता. तेमणे धोरमनाथजीनी सेवा करी हती. अरलगाम आइ देवलमांनी स्मृति साथे जोडायेल छे..

(५४).

*जतावीरा* = जतावीरामां सोमल शाखाना चारणो वसे छे..

(५५).

*विंगडीया* = रोहडीया अने सुरताणीया शाखाना चारणो वसे छे.
बाळपणथी ज भक्तिमय जीवन गाळता आइ जशोदामां आ गाममां थ‌इ गया..

(५६).

*मोडवदर* = अयाची रत्नु शाखानुं गाम छे. सुप्रसिद्ध धाराशास्त्री कवि नारसंग आ गामना हता. आ गामनां शंकरदानजी वाघजीए वि.सं. १९८७मां पुरेश्वर पासे कमळ पूजा करी हती. तेमनी त्यां समाधी छे..

(५७).

*रायधणपुर* = रायधणपुर रत्नु शाखानुं गाम छे. कच्छना राजकवि शंभुदानजी अयाची अने पूर्व सांसद पुष्पदानजी गढवी मुळ आ गामना छे..

(५८).

*भुज* = भुज कच्छनुं मुख्य मथक छे. अहिंया चारण समाजना घणां भाइओ धंधार्थे वसे छे. एमां रत्नु, पायक, रेढ, रोहडीया, भोजंग,‌लांंबा, मुधुडा, सेडा, बाटी, देवसुर, आलंगा, मंधरिया, गेलवा वगेरे शाखाओ छे. 
चारण समाजनी होस्टेल अने विश्रांती भवन आवेल छे. चारण समाज मांटे मांडवी पछीनुं केन्द्रबींदु हवे भुज छे..

(५९.).

*शरुआ(रामपर)* = शरुआ मां रोहडिया शाखानां चारणो वसे छे. माताजी अने शंकरनुं मंदिर छे..

(६०).

*खीरसरा* = खोळासरथी छारीफुलाइ (वीराणी बाजु) त्यांथी उस्तीया (तेरा पासे) उस्तीयाथी शरवावाळा चारणो पासेथी जमीन वेचाती ल‌इ माडण देवसुरे खीरसरा वसाव्युं. अत्यारे खीरसरामां देवसुर शाखाना घरो छे..

(६१).

*नागवीरी* = सागर शाखाना चारणो नागवीरीमां रहेता हता. अत्यारे मुंधुडा परिवारो रहे छे..

(६२).

*दयापर* = माला, मुंधुडा, सेडा, रोहडीया, शाखानां चारणो वसे छे..

(६३).

*जडोदर* = सिंहढायच परिवार रहे छे..

(६४).

*ध्रंग* = अवसुरा शाखाना परिवारो रहे छे..


(६५).

*चराखडा* = जीबा शाखानां परिवार रहे छे..

(६६).

*धामाय* = धामाय खडीया शाखानुं गाम छे. व्रजभाषा पाठशाळाना आचार्य अने विद्वान कवि हरिजी पचाणजी खडीया आ गामनां हता..

(६७).

*जामथडा* = रोहडिया अने मैया शाखाना चारणो वसे छे. प्रसिद्ध कमासती आ गाममां थया. शिवमंदिर अने माताजीनुं मंदीर छे..

(६८).

*दरशडी* = लाळश अने शामळ शाखखना चारणो वसे छे. शामळ अरलथी आव्या छे..

(६९).

*धुण‌इ* = देथा नांधु अने वि‌ठ्ठु शाखाना चारणो वसे छे. शिवमंदिर अने माताजीनुं मंदीर छे. वीरमजी गोपालजी देथा महान भक्त थ‌इ गया..

(७०).

*लाखियारवीरा* = कच्छनी मुळ राजधानी लखियारवीरा हती. सिंधथी चारणो कच्छमां आव्या त्यारे पहेलो पडाव लाखियारवीरो हतो. पछी चारणो धीरे धीरे कंठी विस्तारोमां गामो वसावी स्थिर थया. रावळ जाम हालारमां गया पछी कच्छ पर महाराओश्री खेंगारजी नी सत्ता आवी त्यारे लाखियारवीरा चारणोने आपी दीधुं. लाखियारवीरा ऐतिहासिक गाम छे. अनेक देवि-देवताओना पाळिया अने समाधिओ अने मंदिरो आवेला छे. अत्यारे बारहट अने सिंहढायच शाखाना चारणो वसे छे. आइ श्री जीवा माताजी नुं भव्य मंदिर छे..

(७१).

*भवानीपुर* = लांबा शाखाना चारणो रहे छे..

(७२).

*सणोसरा* = वेरव अने आलगा शाखाना चारणो वसे छे..

(७३).

*विजपासर* = विजपासर चोराडानी पेटा शाखा विका शाखानुं गाम छे. पहेला चारणोना घणा घर हता. श्री कानजीभाइ विका अने श्री हरिरामभाइ खीमकरण आलंगा पण मूळ विजपासरना छे. ते पछीथी चकार अने विराणी गया. विजपासरमां मालसुर विका कर्मी चारण थ‌इ गया जेणे श्री रामचंद्रजीनुं मंदिर बंधाव्युं. आइ भीना सती आ गाममां थया. खीमकरण विका आइ आवडना महान भक्त हता. तेमणे जळसमाधी लीधी हती. तेना पाळिया झडका अने विजपासरमां छे.

(७४).

*लायजा मोटा* = मोटा लायजा चारणोनो गाम नथी. परंतु विकासशील गाम छे. गाममां भान, मुंधुडा, कारिया, सिंधियां, भोजंग, शाखाना चारणो वसे छे. ए सिवाय आसपासना चारण गामोना चारणो पण हवे व्यवसाय अर्थे अहिंया रहेवा आव्या छे. 
कच्छ काठियावाड़ ना प्रसिद्ध पालु भगत अने राम भगत आ गामना हता. तेमनी समाधीओ आ गाममां छे. प्रख्यात चारण विद्वान स्व. शिवाजीभाइ करमण अने बारोट विजय सिंह आ गामना हता..

(७५).

*चकार* = आंबा, बाटी, विका, जामंग शाखना चारणो वसे छे. बंदराना ठकराइओ पासेथी जमीन वेचाती ल‌इ थरावडाना आंबा शाखाना चारणोए आ गाम वसाव्युं. थरावडानो मालसुर आंबो प्रख्यात पुरुष हता. तेमना लग्न वरलीना बढामा नागश्री साथे थया हता. आ मालसुर लापसिया अने नागश्रीना वंशजो चकारमां छे अने वरलीना बढा ववार गाममां रहे छे.
चकारमां पिठड बाटी सौराष्ट्रथी आव्या.लकी नामना डुंगरनी तकरार थतां चकारना चारणोने कच्छ महाराओने सोंपी दिधुं. आइ खुबडी नुं मंदिर, शिवमंदिर, अने श्री रामचंद्रजीना मंदिरो छे. चारण समाजना एक वखतना प्रमुख अने प्रसिद्ध वेपारी कानजीभाइ विका आ गामना हता..

(७६).

*वीरपर* = मंजल पासे चारणोनो एक मोटो गढवाडो हतो. आजे गाममां एकेय चारणनुं घर नथी. जंगलमां गामना अवशेषो अने माताजीना थडा जोवा मळे छे. जेनी कोई-कोई मुलाकात ले छे..

(७७).

*कुरब‌इ* = चोराडानी माला शाखाना चारणोनो गढवाडो हतो. बाळदा-पोठोना समयमां मोटी संख्यामां माला शाखाना चारणो रहेता..

(७८).

*अंजार* = अंजार एक हजार वर्ष जुनुं प्राचीन नगर छे. मावल साबाणीना समयमां अंजार पासे देवरज ते समये मावल साबाणीना नेसडामां मोटुं चारण संमेलन योजायुं हतुं. आजे अंजारमां व्यवसाय नोकरी अर्थे घणा गामोमां चारणो वसे छे.
शाखाओ विका, मुंधुडा, बाटी, कांडा, केसरिया, अयाची, आंबा, बढा, विकल, भला, गडदिया, सेडा, लांबा चबा, रत्नु, रोहडिया, विठ्ठु, सुरताणिया, अवसुरा, गेलवा, वगेरे...

(७९).

*गढशीशा* = शीर्षगढ प्राचीन गाम छे. परंतु चारणोनो नथी. धंंधार्थे चारणो अहिं वसे छे. एमां माला, आलगा, लांबा, भोजंग वगेरे शाखाना चारणो वसे छे. आइ राजबाइ माताजीनुं मंदीर छे..

(८०).

*कानपर* = एक वखत कानपरना काना लांबानी सौथी मोटी जागीरमां कानपर, फुलरा, नथरकुवा, नागीयारी, सामत्रा, कवांथडी, वींछीया, पाणकु, भडली, थरावडुं, पीरवाडी, अकाडनुं आ बार गामो मिल्कत ना बळे मळेला. 
चारणोना सौथी मोटा गढवाडामां लांबा शाखाना घर छे अने आइ राजबाइ माताजीनुं मंदीर छे..

(८१).

*मंगवाणा* = वागड-हमीरपरथी आवी देवगडा शाखाना चारणोए आ गामनुं तोरण बांध्युं. अत्यारे देवगडा शाखाना चारणो नथी. बाटी अने वेरव शाखाना चारणो छे. बाटी अने वेरव चकारथी आव्या छे. अहीं देवसुर शाखाना घर हता. तेओ खोडासरना डुंगर देवसुर कुळमांथी आवेला. अहिं माताजीनुं मंदीर, शिवमंदिर, ठाकर मंदिर अने चोरो चारणोनी याद अपावता उभा छे..

(८२).

*सांयरा* = बाटी शाखाना चारणोना घर छे..

(८३).

*तेरा* = रतड बाटी शाखाना चारणो रहेता हता. तेओ वेपार अर्थे कराची अने हवे पछी मुंब‌इ, गांधीधाम, मांडवी, राजकोट, वगेरे स्थळोए वसे छे..

(८४).

*कंडेची* = पहेला अहिं चारणो वसता हता हवे नथी..

(८५).

*मंजल* = भूतकाळमां मंजलनी पोठो आखा देशमां प्रसिद्ध हती. चारणो मोटा वेपारी हता. चारणीया मेघवार पण साथे रहेता. मंजलना चारणोनो मोटो गढवाडो नवा नेस गाम वसाव्या. केटलाक सौराष्ट्र गया. 
वांढायवाळा ईश्वररामजीना गुरु खेमदासजीनो जन्म मंजलमां थयो हतो. एमना जन्मनुं नाम खीमराज आलंगा हतुं. अहिं मैयाजी महान संत थ‌इ गया. अत्यारे आंबा अने आलंगा शाखाना चारणो वसे छे. आइ चांपबाइ, शिव, श्रीराम, ठाकर अने खेम मंदिरो छे अने चोरो छे..

(८६).

*बाबिया* = देथा शाखानुं गाम छे. अत्यारे देथा अने रोहडिया शाखना घर छे. आइ आवड मां नुं सुंदर मंदिर छे. भक्त कवि श्री देविदानजी देथा आ गाममां थया जेमणे श्री देवा विलास अने सुबोध बावनीनी रचना करी हती..

(८७).

*आधोइ* = विकल, रत्नु, अने राबा शाखाना चारणो वसे छे. रत्नु सौराष्ट्रना बोराणाथी आव्या छे..

(८८).

*मोटी रव* = राबा, सादैया, अने जुवा शाखाना चारणो वसे छे..

(८९).

*नानी रव* = मावल साबाणीना वंशजो साबा शाखाना चारणोना घर छे. अने जुवा शाखाना घर छे..

(९०).

*पलांसवा* = बाटी अने वाचा शाखाना घर छे..

(९१).

*भीमासर* = राबा अने वाचा शाखाना घर छे..

(९२).

*खेंगारपर* = वडगामा शाखाना घर छे..

(९३).

*घंघोण* = राजस्थानथी मीसण शाखाना घांघ नामना चारणे घंघोण गामनी स्थापना करी हती. एना वंशमां अजरामल गेलवाना घेर प्रतापी पुरुष रावळपीरनो जन्म थयो हतो. आ मीसण शाखानी पेटाशाखा गेलवाना वंशनी कंठी विस्तारमां भाडिया गामे गया. त्यांथी झरपरा वगेरे गामोमां फेलाया. श्री रावळपीर नुं स्थान आथमणी गंगोणमां छे ज्यां चावडा ठकराइओ पुजा करे छे.
गंगोणमां भोजंग शाखाना चारणो वसे छे..

(९४). 

*रामपर (वेकरा)* = रोहडिया, सुरताणिया, विठ्ठा, लाळस, वाचा शाखाना चारणो वसे छे. आ गाममां श्री भगवानदासभाइ वैध‌ कवि अने विद्वान हता..

(९५).

*थरावडा (कोटडा)* = वसरडा अने बारहठ शाखाना घर छे.

(९६).

*जनाण* = सिंहढायच (भांचळिया), पायक शाखाना चारणो छे. आ गाममां मानाजी सिंहढायच बहादुर चारण हता. धाडपाडुओ सामे लडता विरगती प्राप्त करी हती. तेमनी छतरडी जनाणमां छे..

(९७).

*वरसामेडी* = मैया शाखनुं एक घर छे..

(९८).

*धोळावीरा* = सिंहढायच शाखाना घर छे..

(९९).

*कल्याणपर* = पायक शाखानुं एक घर छे..

(१००).

*लोद्राणी* = पायक शाखाना चारणो वसे छे. महान विद्वान पिंगळशीभाइ पायक आ गामनि वतनी हता. जेमणे आइ सोनलमां अंगे "मातृदर्शन" ग्रंथ लख्युं छे.. लोद्राणीमां संत जयमल्लदानजीनो आश्रम छे..

(१०१).

*देशलपर (कंठी)*  = माडी गामथी देथा शाखाना चारणो देशलपर आव्या. अत्यारे खेती अर्थे झरपराना गेलवा, टापरीया, रविया, सेडा, बोराणाथी नरा(बारोट) वगेरे शाखाना चारणो वसे छे. देशलपर नी सीममां चारणवारी तळावडी छे. त्यां माताजीनुं स्थान छे..

(१०२).

*धमडका* = रेढ शाखानुं घर छे..

(१०३).

*जाटावाडा* = मैया अने पायक लाखीयारवीराना आइ जीवांमाना पिताजी दितोजी मैया परम भक्त हता एमणे जीवता समाधी लीधी हती. तेमना नामपर तळावनुं नाम दितासर छे..

(१०४).

*मिरजापर* = खडिया शाखाना घर छे..

(१०५).

*बाडा* = बाडा चारणोनुं गाम नथी परंतु वानरिया, सिंधियां, अने भींडा शाखाना चारणो वसे छे. प्रख्यात कच्छी कलाकार नानो देरो-देवराज गढवी आ गामना वतनी छे..

(१०६).

*नाना लायजा* = आ गाम जाम शाखाना चारणोए जतो पासेथी ल‌इने वसाव्युं. अहिं जाम, केसरिया, साखरा, गेलवा, अने बारोट शाखाना चारणो वसे छे. अहिं पुन‌इमाता, आवडमां, वाछरावीर, ठाकर मंदिर, शिव मंदिर, अने हनुमानजीनुं मंदिर छे. 
महाराओश्री देशळजीना समयमां जीवीया शाखाना कवि श्री मीटकादादा थ‌इ गया. तेमने देशरा-परमेश्वरा नुं पामनार कच्छना राजा पर खुब ज प्रेम हतो. एक वखत कोइए खोटा समाचार आप्या के देशळजी देव थ‌इ गया छे तो तरत ज मिटका कविना प्राण स्वर्गे सिधावी गयख. चारण महात्मा निरंजन बापु पूर्वाश्रममां खेतशी जाम तरीके आ गामना वतनी हता..

(१०७).

*मोटा रतडिया* = बारोट, गेलवा, रवाणी, रायशीयाणी, समा, विसलपुरी, अने वानरिया शाखाना चारणो वसे छे. आ बधा पांचोटिया अने भाडा गामथी आवेला छे. आ गाम मुळ चारणोनो नथी.
शिव मंदिर, जोगणमां नुं मंदिर, वाछरादादाना मंदिरो छे. चारण अइ परंपराना वाहक आइ श्री हांसबाइ मां नुं भगवती कृपाधाम निरंतर भक्तोना प्रवाहथी शोभतुं रहे छे..

(१०८).

*रतडिया नाना* = नरा बारोट अने सेडाना घर छे. सेडा झरपराथी आव्या छे..

(१०९).

*शिराचा* = शिराचा चारणोनु स्वतंत्र गाम छे. आजपण पादरमां चारणोना अनेक मंदिरो, पाळिया अने देवस्थान जोवा मळे छे. बांढा (गेलवा) अने व्रमल शाखानुं आ गाम छे. बीजो भाग चौहाण राजपीतोनुं हतुं.
खेती अर्थे झरपराथी सेडा, बाटी, टापरिया, वगेरे घणी शाखाना चारणो आ गाममां आवीने रह्या छे..

(११०).

*नाना भाडिया* = काठडाथी आवेल मुंधुडा अने मोटा भाडियाथी थरियाना घर छे.

(१११).

*नविनाळ* = नवीनाळ मुळ नाइ लोकोनुं गखम छे. अहिं प्राचीन संस्कृति ना अवशेष पण जोवा मळे छे. पछघ जेसल जाडेजा अने खेंगार जाडेजा आव्या. जैनोनी पण वस्ती छे. चारणोमां गेलवा(बांढा) व्रमल अने भाडाथी आवेल विधाणी नुं एक घर छे. "गाममां रावळपीरदादानुं मंदिर, वाछरादादानुं मंदीर अने गात्राळ माताजीनुं मंदिर छे. हमणा चारणोनी समाजवाडी पण बनेल छे."
अत्यारे झरपरानी अनेक शाखाना चारणो नवीनाळमां खेती अर्थे आवी वस्या छे.

(११२).

*कोडाय* = भागचंद शाखाना लाधा भागचंदे विंझाण बाजुथी कंठीपट्टमां आवी रुक्मावती नदीना कांठे कोडाय गाम वसाव्युं. मोर, लाधो, आमीयु, अने जोगीराग आ चार मासीयाइ भाइ हता. ते वखते समाजना आगेवान हता. एमा पण लाधो सौथी मौटो हतो. तेथी एने वडळ(वडप) नी पदवी आपवामां आवी हती. ते वखते जाम, जामोतर, चौधरी, मुखी, गढेरा, पटेल, वडळ वगेरे पदवीओ हती. 
कोडायमां कारिया, काठडाथी गेलवा भाडियाथी साखरा उनडोठथी मुंधुडा वगेरे शाखाना चारणो आवीने वस्या छे. चारणवासमां लाधापीरनुं स्थान, भाराइ माताजीनुं मंदीर, वाछराविरनुं मंदिर, ठाकर मंदिर, हनुमानजी नुं मंदिर अने गात्राळ माताजीनुं मंदीर छे.
कच्छना सुप्रसिद्ध माताजी आइ श्री गंगामां रुक्मावती नदीना किनारे खोडलधाम आश्रममां भक्तिमय जीवन जीवी रह्या छे. दररोज कथाकिर्तनथी मंदिर गाजतुं यहे छे.

(११३).

*मोटी खाखर* = मोटी खाखर चारणोनुं गाम नथी परंतु पांचोटियानी काराणी अने वानरिया अने शिराचाथी गेलवा(बांढा) व्रमल वगेरे, रायथडीथी भांचळिया, झरपरा थी साखरा आव्या छे. खेती अर्थे झरपराना चारणो पण खाखरनी सीममां वाडीओ बनावीने रहे छे. 
संगठीत चारण समाजे आइ सोनलमां अने वाछरादादा वगेरे मंदीरो अने समाजवाडी बनाव्या छे. समूह लग्ननुं आयोजन पण करवामां आवे छे. 
प्रख्यात कथाकार डायाभाइ भांचळिया आ गामना छे..

(११४).

*मोटा भाडिया* = भाडिया मुळ दल राजपुतोनुं गाम हतुं। घंघोणथी गेलवा शाखाना वेजो गेलवो भाडिया आवी गामनी स्थापना करी. थरिया, तुरिया, बांढा गेलवानी पेटा शाखा छे. एमां गेलवा अने बातिया झरपरा तथा अन्य कंठीना गामोमां वसे छे.
मवर शाखाना चारणो बाराडीथी रायण गामथी आवेल छे. राग नानी भुजपरथी आव्या. भैया मवरनी पेटा शाखा छे. बीजा कारिया, विधाणी अने भलाना घर पण भाडियामां छे. 
चारण संत रावळपीर गेलवा शाखामां थया एमनुं भव्य मंदिर छे. आइ सोनलमांनु मंदिर अने भव्य विशाळ समाजवाडी अने गौशाळा आ गाममां छे. 
वाछरावीर, शिव मंदिर, ठाकर मंदिर अने इश्वर मंदीर प्रख्यात छे. 
वि.सं. १९०७मां माताजी राणबाइ सती पोताना पुत्र पाछळ सती थया. तेओ भाडाना वानरियाना दिकरी हता. अने भैयामां लग्न थया हता. आइ श्री खीमश्रीमां भाडियाना हता. एमनु आश्रम अने समाधी मंदीर तेमनी वाडीमां आवेल छे. गाममां शिक्षणनी पण सारी सुविधा छे..

(११५).

*ववार* = 'वो' एटले पाणीनुं वहेण वाळीने धांधुक चारणे गामनी स्थापना करी. 'वो'वार मांथी ववार बन्युं. प्रसिद्ध चारण महापुरुष मोर (मोड) आ गामना हता. एमना वंशजो सौराष्ट्र गया. आजे पण ववारमां मोरदादानुं मंदिर शोभे छे. अने समग्र ववारवासीओ मोरदादा पर संपूर्ण आस्था राखे छे. 
आइ सोनलमां, शिव मंदिर, मोरदादानुं मंदिर, रावळपीर, हनुमानजी अने रवेची माताजीना मंदिरो छे. 
लक्ष्मण राग चारण बोर्डिंगना मुख्य दाता भाणबाइमां ववारना खेतशी कारियाना पुत्री हता.
पिंगळशास्त्रना प्रकंड पंडित कविराज हभुभाइ इसर कारिया आ गामना हता.
प्रसिद्ध चारण महात्मा कवि श्री पालुभगत ववार गामना छे..

(११६).

*चांद्रोडा* = आ गाम रुडाच शाखानुं गाम छे. अत्यारे मात्र थोडा ज घर छे. बाकी आहिरोनी वस्ती मुख्य छे.
वाछरादादा अने माताजीनुं मंदीर छे..

(११७).

*वडाला* = आ गाम चारणोनुं नथी. परंतु व्यवसाय अर्थे वर्षोथी सुमणिया (चहुआ), बढा, भला, धांधुकीया, वगेरे शाखाना चारणो वसे छे..

(११८).

*छसरा* = भलानुं एक घर छे..

(११९).

*खेडोइ* = खेडोइ पासे पांतिया गाम छे. तेनी जग्याए पहेला काग शाखानु चारणोनुं ग्रास हतुं. आइ चांपबाइ माताजी नो इतिहास खेडोइ साथे संकळायेल छे. खेडोइनी पूर्व दिशामां आइ चांपबाइ माताजीनुं भव्य मंदिर संकुल आवेल छे. गेलवा तथा बांढा शाखाना चारणो धंधार्थे वसे छे..

(१२०).

*भाचुंडा* = भान शाखाना घर छे. वाछरादादानुं मंदिर छे..

(१२१).

*(बिट्टा)* = गेलवा भाडियाथी आव्या. सिंधिया भाडाथी आव्या. धूप (सागर) चांगडाइथी आव्या. मंधरिया सिंधोडीथी आव्या. भान भाचुंडाथी आव्या. वारिया सिंधोडीथी आव्या. टापरिया झरपराथी आव्या. आ गामनी जमीन रावळ शाखाना क्षत्रियो तरफथी चारणोने मळी हती. गाममां रावळपीरनुं मंदीर छे..

(१२२).

*खोंभडी* = भला शाखानुं एक घर छे..

(१२३).

*कोठारा* = मुंधुंडा, वारीया, भोजंग, अने मंधरिया शाखाना चारणोना घर छे..

(१२४).

*कोटाया* = लोडायो अने कोटायो बंन्ने नरा शाखाना भाइ हता. लोडायाए करोडियानी स्थापना करी पछी ३०० प्राजा जमीन भाइनी दबावी दीधी. तेथी कोटायाए भाइ पासे जमीन ल‌इ अलग कोटाया गामनी स्थापना करी.
नरा बारोट, सिंधिया, मसुरा, सेडा वगेरे शाखाना चारणो यहे छे. आइ धानबाइ पोताना ओरमान पुत्र पाछळ सती थया हता. मा-पुत्रना पाळिया आजेय पूजाय छे..

(१२५).

*कपुराशी* = रोहडिया, मिसण, मुंधुडा, लांगा खडिया वगेरे शाखाना चारणो पारकरथी आवी 71ना भारत-पाक युद्ध पछी आवीने वस्या छे..

(१२६).

*गांधीधाम, आदिपुर, गोपालपुरी, कंडला, गळपादर* = आ शहेरी विस्तारमां जुदा जुदा गामो अने कच्छ बहारथी पण चारणो आवीने वस्या छे. तेमनी मुख्य शाखाओ नीचे मुजब छे.
वारीया, माला, देवसुर, मंधरिया, नरा, बाटी, शेखडिया, भान, सेडा, गडदिया, वगडामा, सादैया, आंबा, अयाची, गेलवा, विधाणी, लांबा, बिजल, मीसण, भोजंग, वेरव, सिंधिया, मसुरा, मुंधुडा, विका, कांटा, जाम, आलंगा, केसरिया, साबा, भांचळिया, ठाकरिया, राबा, मारु, राग, वगेरे शाखाना चारणो वसे छे.
आदिपुर अने गांधीधाममां आइ सोनलमांंना भव्य मंदिरों आवेल छे. समाजना युवा कार्यकरो सक्रिय अने सुशिक्षीत छे.

(१२७).

*माडवी* = मांडवी कच्छना चारण समाजनुं केन्द्रबिंदु छे. आइ सोनलमांना प्रवासो, पू. श्री पचाण मास्तर प्रयत्नोथी पहेला गढवी मित्रमंडळ अने पछी लक्ष्मण राग चारण बोर्डिंगनी स्थापना थ‌इ. चारण कन्या छात्रालयनी‌ स्थापना थ‌इ. सोनलबीजनो मुख्य समारोह‌ मांडवी मां ज योजाय छे. अखिल कच्छ चारण समाज नुं संचालन मांडवीथी ज थाय छे.
वि. सं. १९५६ना दुष्काळ पछी चारणो मांडवीमां नोकरी धंधार्थे आववा लाग्या. अत्यारे मुंधुंडा, गेलवा, आलंगा, बाटी, आंबा, लांबा, सेडा, देथा, बारोट, जाम, भोजंग, देवसुर, कारिया, सुरताणीया, वेरव, सिंधिया, साखरा, वगेरे शाखाना घणा घर आवेला छे..

(१२८).

*झरपरा* = भारत वर्ष मां चारणो माटे सौदी मोटुं गाम झरपरानी स्थापना वि. सं. १२७०नी आसपास सेडायत नामना सिंधिया चारणे सात नेसडा स्वरुपे करी अने वि. सं. १५५६नी आसपास विर आमींया दादाए सात नेसडाने एक करी झरपरानुं तोरण बांध्युं अने एज समयमां अग्नेश्वर महादेवनुं मंदीर बांध्युं अने वाछरावीरनुं स्थान बन्युं.
झरपरानी स्थापना थ‌इ ते पहेला आ विस्तारमां चारणो अने काठिओनी वसाहतो हती. कोइपण शिल्पाकृति वगरना ऊंचा पाळिया, टिंबा, मोरी अने माथुं वाढे ते माल काढे एवा पाळिया काठिओनी वसाहतोना अवशेष छे. सोनीवाळा तळावनी पूर्वे सरवाळा खेतरमां आवेल पाळिया अने प्राचीन वसाहतोना अवशेष, छछमां सरमोरीनो पाळियो अने टिंबो, आलणवाळाना वडना त्रण पाळिया प्राचीन वसाहतोना अवशेष छे.

वि.सं.१८४१ इ.स.१७८५ पोष सुद-१४ना झरपरा पर मियाणांओनुं आक्रमण थयुं. आ युद्धमां झरपराधी पति गामधणी डाया गढेरा साथे ६१ विरोए गामना रक्षण माटे बलिदान आप्या हता. तेनख पाळिया जगासर नी पाळे आवेल छे.

वागडनी धरती पर बलिदान आपनार विर दादा आमियानुं भव्य स्मारक मंदीर गामनी अंदर छे. ज्यारे महमदसोताना समयमां लडनार राम-रवा मिंढाणीनुं स्मारक उत्तर पादरमां छे.
गाममां अनेक जग्याए शूरा सतीओना स्मारक , पाळिया, समाधिस्थानो अने मंदीरो छे. आइ सोनलमांने झरपरा तरफ विशेष लागणी हती. तेओ पांच वखत झरपरा पधार्या हता. तेमना स्वधाम गमन पछी सौ पहेलुं मंदिर झरपरामां ज बन्युं
झरपरामां झरपराना स्थापक सेडायतना वंशना चारणो काठडा अने नाना करोडिया गया.
सेडानी पेटा शाखामां सुमेसराणी, मींढाणी, हलवाणी, लाखाणी, वेजाणी, कानाणी, जगाणी, जशाणी, रामांणी, हासांणी, पालांणी, हभुआणी, मेघाणी, रविया, गढेरा मुख्य छे.
अन्य गुंगडा शाखामां राग नानी भुजपरथी, मवर शाखाना भाडियाथी, व्रमल नवीनाळथी आव्या छे.
भाणेज शाखाओमां साखरा झालावाडथी, भान हालारथी, गेलवा भाडियाथी, टापरिया झालावाडथी, गागिया गळपादरथी, नरा गुगड भाडाथी, नरा बारोट बुचडा अने करोडियाथी, बाटी सौराष्ट्रथी आव्या छे.
अत्यारे विविध गामोना विविध शाखाना चारणो व्यवसाय अर्थे झरपरामां वसे छे. झरपरा गाम समस्त भारत वर्षना चारणोना समन्वयनो प्रतिक छे.
झरपराना चारणो भुजपर, नानी भुजपर, प्रतापुर, बोराणा, समाघोघा, कपाया नाना-मोटा, मंगरा, मुंदरा, ध्रब, नवीनाळ, शिराचा, देशलपर, देपा, खाखर, गेलडा, जेवा आसपासना गामोमां वसे छे. 
मुळ झरपराना चारणो मोटी भुजपरमां‌ वांकराइ विस्तारमां आइ सोनल माताजी नुं मंदिर अने भव्य चारण समाजवाडी बनावी छे जेमां समुह लग्ननुं आयोजन कराम छे.
मूळ झरपाराना चारणो मंगरामां आइ सोनल मांनु मंदिर अने चारण समाजवाडी बनावी विकास कर्यो छे. झरपरामां बालमंदीरथी उच्चत्तर माध्यमिक शाळा सुधीनख शिक्षणनी व्यवस्था छे.

कच्छी कवि भक्त चारण पुनशी अने थार्योभगत नामना महान कवि आ गाममां थ‌इ गया. थार्या भक्त ना पुत्र नारायण जशाणी स्वामी सत्यनारायणगिरी तरिके प्रख्यात हता, कथाकार हता.

झरपरामां भव्य सोनलधाम मंदिर परिसर अने समाजवाडि आवेला छे. गाममां रावळपीर, आमिंयादादा, लाधादादा, खोडीयारमां, मोमायमां, गात्राळमां शिव मंदिर, वाछराविरना स्थानो वगेरे अनेक देवस्थानो आवेला छे..


 *कच्छना चारण गामोनी यादी कच्छना लेखक भाइ श्री आशानंदभाइ नी "चारण स्मृति" नामनी पुस्तक मांथी लीधी छे.. आ यादीमां वाचनार मात्रोने कोइपण छति देखाय तो नीचे आशानंदभाइ ना संपर्क नंबर आपेल छे एमना पर संपर्क करवो एना पछी ज कोइ सुधारो करवो.खास विंनती के खोटी अथवा अधुरी जाणकारी वगर पोस्ट मां छेडछाड करवी नहीं.*  
 *चारण स्मृति ना लेखक श्री आशांदभाइ गढवी*

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