ओगणीसमी सदी,वीसमी सदी, आजे ऐकविसमी सदी..आंम त्रण सदी थी जाग्रत नाम ऐटले भावनगर राज्यकवि पिंगळसी बापु...
वित्यां जुवो वरसो भला, ऐक सतक उन साठ
जनम उजल ई जोगडा, पिंगळ सिखवे पाठ
चारण कविता छंद चित, प्रीत कर पढ्यो पुरान
जद रचयो भल जोगडा, पिंगल वेद प्रमांन
ऐक रखी है अंतरे, चारण कवि गण चाह
जन्म पताउत जोगडा, उजवे भर उत्साह
जद पिंगळ जन्मा दीना, तद भावेणां तीर
जळ थळ राजी जोगडा, ईस निख नयन अधीर
क्रीष्ण रटण रसणा करी,घट नव रख्यो घमंड
जाती चारण जोगडा, पिंगळ नाम प्रचंड
. छंद: चतुस्पदी नाराच
हती हजुर हाजराय कंठ मे कदंबरी
रटंत छंद राधीकाय सेंण कान संभरी
भवेण राव भावणी डणंक काव्य डींगळा
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा
सतत्त चित्त चेतवे महा चतुर चारणा
सगत्त मात सारदा वळुंभ लेती वारणा
अनोख वात नाखणी ग्रजंत नाद जेगळा
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा
छटा अनेक छंद रुप लेख जात लावणा
कदीक सिस्ट काव्य मे गुंणी गझल्ल गावणा
लखे अद्वैत लेखणी कलम ब्रसी महा कळा
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा
आवीया अनेक जो प्रकांड भेद पावीय
पुरांण वात की प्रतां लखांण लार लावीया
मथेल सायरो महा तथापी पार ना तळां
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा
पढे निदान सास्त्र ज्ञान वान मोक्ष पायेगा
कलम्म आप ने लीखा वो याद आज आयेगा
अनेक बार आंणसी जलक्क नैंण जळजळा
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा
. कवित्त
विक्रम सवंत दो हजार द्विय सित्तर को
मित मे उचित्त धर्म दीप नाम धार्यो है.
आवन अनेक नेक नामदारी अती नेह
माडू महा मूल अति भाव आव कार्यो है.
रोशन कीयो हे कुल तेज राज कवि ताप
बाप ऋण आप ईहि ओसव उतार्यो है.
पाता उत पिंगल नरेला नवे खंड नाम
कहे जोगीदान नेह नगर निहार्यो है.
..
माढ
खेले नेह भर्युं नव खंड..रे ऐक पिंगळ नाम प्रचंड.
जळहळ चारण जोगडे भाळी..आतम ज्योत अखंड
काळज कायम कृष्ण ने राख्यो..क्रिष्णे कर्यां खुब काम
जेंणे सीता ने जंगल मेली, नव लीधुं ऐनुं नाम
भगती ऐवी भावेंणा भावे ,मानो ऋषी मरतंड रे..
खेले नेह भर्युं नव खंड.. रे ऐक पिंगळ नाम प्रचंड.
फांकडुं गाया के फिर नही आना..चित्त सियानां चेत
ज्ञाती चारण माथे गुंणीजन..हरदम राख्युं हेत..
खडतल बांधो आख खुमारी..पंड्य हुता पडछंद
खेले नेह भर्युं नव खंड.. रे ऐक पिंगळ नाम प्रचंड.
काग मेधांणी य आशायुं करता..साहित्य केरी सुजान
ऐवी अनोखी वातुं अजांणी....जांणे छे जेगीदान
त्रण त्रण सतक थी आवे अविचळ..भ्रात नरेला भुमंड
खेले नेह भर्युं नव खंड.. रे ऐक पिंगळ नाम प्रचंड.
रचियता :- जोगीदान गढवी(चडिया)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें