. || पिंगळ नाम प्रचंड ||
. छंद: चतुस्पदी नाराच
. रचना : जोगीदान गढवी (चडीया )
हती हजुर हाजराय कंठ मे कदंबरी
रटंत छंद राधीकाय सेंण कान संभरी
भवेण राव भावणी डणंक काव्य डींगळा
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा
सतत्त चित्त चेतवे महा चतुर चारणा
सगत्त मात सारदा वळुंभ लेती वारणा
अनोख वात नाखणी ग्रजंत नाद जेगळा
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा
छटा अनेक छंद रुप लेख जात लावणा
कदीक सिस्ट काव्य मे गुंणी गझल्ल गावणा
लखे अद्वैत लेखणी कलम ब्रसी महा कळा
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा
आवीया अनेक जो प्रकांड भेद पावीय
पुरांण वात की प्रतां लखांण लार लावीया
मथेल सायरो महा तथापी पार ना तळां
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा
पढे निदान सास्त्र ज्ञान वान मोक्ष पायेगा
कलम्म आप ने लीखा वो याद आज आयेगा
अनेक बार आंणसी जलक्क नैंण जळजळा
जती व्रतीय जोगडा प्रचंड नाम पिंगळा.
जेमना कारणे भाव नगर चारण छात्रालय मां चारणो नी भावी पेढी नुं घडतर थाय छे तेवा नेक नामदार भावेंणा ना राज्य कवि पिंगळसी बापु ने तेमना आवती काल ना 159 मा जन्म दीन नी शुभेच्छा ना पांच पुस्पो
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