जय जुंगीवारा
बेह गाममा बीराजेल वीर सोलंकी वछराज नी चोवीसी(24 दुहा) जे नंगा भाई गढवी (सलाया वारा) ए लख्या छे तेमाथी 12 दुहा ब्लोग पर मुकवानो नानकडो प्रयास करेल छे बीजा दुहा हवे पछी मुकवामा आवशे
||1|| बंधन पवित्र बहेन नो, ऐमा साचा सबंध नो सार, आतो तातणा तणो तहेवार, इतो विश्वास भर्यो वाछरा.....
न
||2|| राजपूत हाथे राखडी इतो बांधे देवल बाइ, इतो जाते चारण जाइ, तारा वारणा लीए वाछरा......
न
||2|| राजपूत हाथे राखडी इतो बांधे देवल बाइ, इतो जाते चारण जाइ, तारा वारणा लीए वाछरा......
||3|| बळेव पूनमे बेनळी, अने लागणी थी बांधे लीर एवो विश्व भरमा विर, तारो विजय थाय वाछरा. ....
||4|| माथुं तु मागी लेने, तने उतारी आपु आई, मारी बेनडी देवलबाई, तारे वचने बंधाणो वाछरो......
||5|| मरु तोय मागुं नही एवो, राणा तारों रुधिर, तुं बांधव मारो बलवीर मने, व्हालो बहुं तुं वाछरा......
||6|| मागीश मारा मोतने, अने शुरा नही मागुं शीर, पण साचवी लेजे शूरवीर, एवी विधी जवतलनी वाछरा. ......
||7|| मोढे तुं मागी लेने आज दीलथी देवलबाई, एवा अवसर टाणे आई, तने विनती करे छे वाछरो....
||8|| माग्यु कदी मले नही वीरा नभ माथी नीर, पण वमळ सर्जे ना विर कदी वहेता जळमा वाछरा......
||9|| मरे पण मागे नही ऐवी जगमा चारण जात, अमे वाणी करमे विख्यात, ऐवा वेद पुराणे वाछरा......
||10|| एवा फेरा मांडवे फरतो त्या आव्यो काने अवाज, आपणा गामनु आज ऐवो वारी गया धण वाछरा.....
||11|| मंगळ फेरा मेल्या ऐवा वरराजाने वेश, पछी खंभेथी हटावी खेश, एवी वरमाल तोडी वाछरा. ....
||12|| ऐवो पलमा घोडो पलाण्यो, धरी नही मनमा धीर, आज विना डरथी विर, ऐवो व्हारे चड्यो तुं वाछरा.. ..
(क्रमश)
(क्रमश)
लेखक: नंगा भाई गढवी
(नंगो चारण) सलाया
मो: 9904888458
(नंगो चारण) सलाया
मो: 9904888458
टाइप: रामदे पी गढवी (बेह)
टाइप मा भूल होय तो माफ करजो
वंदे सोनल मातरम्
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